न्यूटन के गति के नियम उदाहरण सहित

हैल्लो  दोस्तों न्यूटन के गति के नियम के बारे में बताने वाला हूँ तो चलिए शुरू करता हूँ। न्यूटन की गति के नियम, शरीर पर काम करने वाली बल के बीच संबंध और शरीर की गति से है। यह नियम भौतिक विज्ञानी और गणितज्ञ सर आइजैक न्यूटन द्वारा तैयार किए गए है।

न्यूटन के प्रथम गति नियम क्या है

न्यूटन के पहले नियम में कहा गया है कि, यदि कोई शरीर आराम अवस्था में है या एक सीधी रेखा में स्थिर गति से आगे बढ़ रहा है, तो वह आराम पर रहेगा या जब तक किसी बल द्वारा उस पर कार्य नहीं किया जाता है। तब तक वह निरंतर गति से सीधी रेखा में चलते रहेंगे। इस अवस्था को जड़त्व का नियम के रूप में जाना जाता है। 

जड़ता का नियम पहले गैलिलियो गैलीली द्वारा पृथ्वी पर क्षैतिज गति के लिए तैयार किया गया था और बाद में रेने डेकार्टेस द्वारा सामान्यीकृत किया गया था। गैलीलियो से पहले यह सोचा गया था कि सभी क्षैतिज गति को एक प्रत्यक्ष कारण की आवश्यकता होती है, लेकिन गैलीलियो ने अपने प्रयोगों से यह अनुमान लगाया कि गति में एक शरीर तब तक गति में रहेगा जब तक कि एक बल (जैसे घर्षण) के कारण उसे रोका नहीं जाता।

  1. वस्तुओं की आरम्भिक अवस्था ( गति या विराम की अवस्था ) में स्वतः परिवर्तन नहीं होता है।
  2. प्रथम नियम को " जड़त्व का नियम " भी कहा जाता है।
  3. प्रथम नियम से बल की परिभाषा प्राप्त होती है।

न्यूटन के प्रथम नियम के उदाहरण

1. चलती हुई गाड़ी के अचानक रुकने पर उसमें बैठे यात्री का आगे की ओर झुक जाना ।
2. रुकी हुई गाड़ी के अचानक चल पड़ने पर उसमें बैठे यात्री का पीछे की ओर झुक जाना।
3. गोली मारने पर कांच में गोल छेद हो जाना ।
4. कम्बल को डंडे से पीटने पर धूल-कणों का झड़ना।

न्यूटन के गति का दूसरा नियम

न्यूटन का दूसरा नियम उन परिवर्तनों का एक मात्रात्मक वर्णन है जो एक पिंड की गति पर एक बल उत्पन्न कर सकता है। इसमें कहा गया है कि किसी पिंड के संवेग के परिवर्तन की समय दर उस पर लगाए गए बल के लिए परिमाण और दिशा दोनों में बराबर है। किसी पिंड का संवेग उसके द्रव्यमान और उसके वेग के गुणनफल के बराबर होता है। 

गति की तरह, गति एक वेक्टर मात्रा है, जिसमें परिमाण और दिशा दोनों हैं। किसी निकाय पर लागू बल गति की परिमाण, या उसकी दिशा या दोनों को बदल सकता है। न्यूटन का दूसरा नियम सभी भौतिकी में सबसे महत्वपूर्ण है। एक ऐसे पिंड के लिए जिसका द्रव्यमान m स्थिर है, इसे F = ma के रूप में लिखा जा सकता है, जहाँ F (बल) और a (त्वरण) दोनों सदिश मात्राएँ हैं। यदि किसी निकाय का शुद्ध बल उस पर कार्य करता है, तो यह समीकरण के अनुसार त्वरित होता है। इसके विपरीत, यदि किसी शरीर को त्वरित नहीं किया जाता है, तो उस पर कोई शुद्ध बल कार्य नहीं करता है।

न्यूटन के दूसरा नियम के उदाहरण

(1) तेज गति से आती हुई गेंद को कैच करते समय क्रिकेट खिलाड़ी अपने हांथों को पीछे की ओर खींचता है ।
(2) गाड़ियों में स्प्रिंग एवं शॉक एब्जॉरबर का लगाया जाना।
(3) कील को अधिक गहरे तक गड़ाने के लिए भारी हथौड़े का प्रयोग किया जाता है।
(4) कराटे खिलाड़ी द्वारा हाँथ के प्रहार से ईंटों की पट्टी तोड़ना।

न्यूटन के गति का तीसरा नियम

न्यूटन के तीसरे नियम में कहा गया है कि जब दो शरीर आपस में बातचीत करते हैं, तो वे एक दूसरे पर बल लागू करते हैं जो परिमाण में बराबर और दिशा में विपरीत होते हैं। तीसरे नियम को क्रिया-प्रति क्रिया का नियम (law of action and reaction) के रूप में भी जाना जाता है। यह नियम स्थिर संतुलन की समस्याओं के विश्लेषण में महत्वपूर्ण है। जहां सभी बल संतुलित हैं, लेकिन यह समान या त्वरित गति से निकायों पर भी लागू होता है। 

उदाहरण के लिए, एक मेज पर राखी पुस्तक टेबल पर अपने वजन के बराबर नीचे की ओर बल लगाती है। तीसरे नियम के अनुसार, टेबल पुस्तक के बराबर और विपरीत बल लागू करती है। यह बल इसलिए होता है क्योंकि पुस्तक का वजन टेबल को थोड़ा विकृत करने का कारण बनता है ताकि यह पुस्तक पर एक कुंडलित वसंत की तरह पीछे धकेल दे।

  1. प्रत्येक क्रिया के बराबर, परन्तु विपरीत दिशा में प्रतिक्रिया होती है।
  2. तृतीय नियम को ' क्रिया-प्रति क्रिया का नियम ' भी कहते हैं।

न्यूटन के तीसरे नियम का उदाहरण

1. रॉकेट का आगे की ओर बढ़ना ।
2. बन्दूक से गोली निकलने पर पीछे की ओर झटका लगना।
3. नाव से जमीन पर कूदने पर नाव का विपरीत दिशा में अथवा पीछे हटना।

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