ब्यौरा | विवरण |
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क्षेत्रफल | 1,96,024 वर्ग किलोमीटर |
जनसंख्या | 6,03,83,628 |
राजधानी | गांधीनगर |
मुख्य भाषा | गुजराती |
गुजरात का इतिहास लगभग 2,000 साल पुराना है। भारत के पश्चिमी तट पर स्थित गुजरात प्राचीन काल से समृद्ध रहा है। हालांकि पड़ोसी राज्य राजस्थान राजसी वैभव में अधिक प्रशिद्ध रहा है। लेकिन लोथल के खुदाई से पता चलता है कि यह क्षेत्र 3700 ईसा पूर्व में सिंधु घाटी सभ्यता का हिस्सा था। आपको बता दूँ यह सभ्यता उस समय का सबसे विकसित सभ्यता थी। यूनानियों व फारसी द्वारा विभिन्न आक्रमणों ने यहां अपना प्रभाव छोड़ा है।
आजादी से पहले गुजरात दो भागों में बंटा था - एक ब्रिटिश क्षेत्र और दूसरा देसी रियासतें। बाद में गुजरात और बॉम्बे क्षेत्र को मिलाकर एक नयी द्विभाषी बंबई राज्य का गठन किया गया। आजादी के समय अफ्रीका से लोगो को गुजरात क्षेत्र में शरणार्थी के रूप में बसाया गया था। जो आज भी इस राज्य के निवासी है।
गुजरात आरंभिक इतिहास
सबसे पहला ज्ञात इतिहास चंद्रगुप्त मौर्य के बारे में है जो इस क्षेत्र में लगभग 294 ईसा पूर्व से 322 ईसा पूर्व के बीच शासन किया करते थे। इसका शासन क्षेत्र जूनागढ़ था। लगभग उसी समय ग्रीक से डेमेट्रियस ने गुजरात में घुसपैठ की, लेकिन अपनी सत्ता स्थापित करने में नाकाम रहा।
महाक्षत्रप रुद्रदामन प्रथम ने कर्दमक वंश की स्थापना की जो भरुच से पंजाब तक फैला था। गुप्त वंश के पतन के बाद सेनापति भट्टारका के पास शासन आ गया। जो एक सेनापति था। जिसने स्वतंत्रता की घोषणा की और 470 ई के आसपास अपना स्वयं का साम्राज्य स्थापित किया। जिसकी राजधानी वल्लभीपुर थी। इसके बाद राजवंश का 475 से 767 ईस्वी तक शासन चला। 8 वीं से 9 वीं शताब्दी ईस्वी तक गुर्जर प्रतिहारों का प्रभुत्व रहा जिसके बाद सोलंकियों ने अधिकार जमा लिया।
सोलंकी राजवंश
राजपूतों ने 960 से 1243 ईस्वी तक गुजरात पर शासन किया। सोलंकियों ने 10 वीं से 13 वीं शताब्दी तक पश्चिमी और मध्य भारत के कुछ हिस्सों पर अपना वर्चस्व स्थापित किया। मूलराज प्रथम ने चावदा वंश को उखाड़ फेंका और अनिलवाद पाटन को अपने अधीन कर लिया। जो बाद में सिद्धपुर शहर के नाम से जाना जाने लगा। उनके शासन में गुजरात कला और वाणिज्य के क्षेत्र में बहुत विकसित हुआ।
मूलराज प्रथम के उत्तराधिकारि कर्णदेव प्रथम शामिल थे। जिन्होंने 1064 से 1094 ईस्वी तक शासन किया और कोंकण और कर्णावती क्षेत्र को अपने आधीन कर लिया जो आज अहमदाबाद के रूप में जाना जाता है। हालांकि, वह दुशहाल चौहान द्वारा पराजित और मारे गए थे। उनके बेटे सिद्धराज जयसिंह प्रथम ने सिंहासन पर फिर कब्ज़ा कर लिया और सोलंकी वंश के सबसे प्रसिद्ध राजा बन गए।
वाघेला राजवंश
वाघेल राजवंश गुजरात के उत्तर-पश्चिम के शहर ढोलका में अपना सत्ता स्थापित किये हुए थे। और सोलंकी वंश के दुश्मन थे। सोलंकि राजवंश ने 13 वीं शताब्दी तक इस क्षेत्र में स्थिरता बनाए हुए थे। उसके बाद करणदेव गुजरात पर शासन करने वाले वाघेला वंश का अंतिम शासक था। वह समय था जब मुस्लिम आक्रमणकारियों ने गुजरात में घुसपैठ करना शुरू कर दिया था। अलाउद्दीन खिलजी ने गुजराती पर आक्रमण किया। कर्णदेव ने अपना राज्य और अपनी पत्नी कुलारानी को खो दिया।
गुजरात में मुस्लिम
दिल्ली से अल्लाउद्दीन खिलजी ने 1297 ई के आसपास गुजरात पर आक्रमण किया। जिससे इस क्षेत्र में मुस्लिम शासन का मार्ग प्रशस्त हुआ जो अगले 400 वर्षों तक चला। हालांकि, यह पहली बार नहीं था। जब मुस्लिम आक्रमण हुए थे। महमूद गजनी ने 1026 ई के आसपास गुजरात पर आक्रमण किया था।
गुजरात में ब्रिटिश शासन
1800 ई से यह क्षेत्र अंग्रेजों के शासन के अधीन आ गया और तब तक रहा जब तक महात्मा गांधी ने 1947 में आजादी के लिए नेतृत्व करने वाले भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत नहीं की। ज्यादातर गुजरात बड़ौदा को छोड़कर बंबई प्रेसीडेंसी के अधिकार क्षेत्र में था।
गुजरात में पुर्तगाल
पुर्तगाली गुजरात पहुंचे और दमन, दीव, दादरा और नगर हवेली में अपनी राज्य स्थापित कीं, लेकिन ब्रिटिश की मजबूत उपस्थिति के कारण वे अपने क्षेत्रों का विस्तार नहीं कर सके।
आजादी के बाद गुजरात
आजादी के बाद गुजरात और कच्छ का क्षेत्र बॉम्बे राज्य का हिस्सा हुआ करता था। उस समय बॉम्बे राष्ट्रपति के अधीन था। इंदुलाल ने गुजरात राज्य के लिए आंदोलन किया और 1 मई 1960 को गुजरात महाराष्ट्र से अलग हुआ।
जिसके बाद अहमदाबाद को राजधानी बनाया गया। अहमदाबाद में 100 से अधिक बड़ी कपड़ा कारखाने थी। इसी कारण इसे मैनचेस्टर के नाम से जाना जाता था। इनमें से अधिकांश कारखाने अब बंद हो चुकी हैं गांधीनगर को चंडीगढ़ की तर्ज पर योजनाबद्ध तरीके से 1971 में गुजरात की राजधानी बनाया गया।
1960 से अबतक
इस राज्य में बसने वाले लोगो को गुजरती कहा जाता है। और गुजरती व्यवसाय व व्यापार में सबसे आगे हैं।आजादी के बाद यहाँ सांप्रदायिक दंगे हुए है। 1969 में हुआ दंगे को शायद ही कोई भूलपाया होगा। राजनीतिक उथल-पुथल के खेल में कभी-कभी साम्प्रदायिक गंदे जन्म ले लेते है।
2001 में राज्य विनाशकारी भूकंप की चपेट में आ गया था और 2002 में फिर से राज्य को सांप्रदायिक हिंसा ने हिला दिया गया था। जिसे गोधरा कांड के रूप में जाना जाताहैं। हाल के वर्षों में यह भाजपा सत्ता में आई है। खासकर नरेंद्र मोदी के असाधारण प्रदर्शन के कारण यहाँ विकास की गति काफी तेज हुयी है।