स्वामी दयानंद सरस्वती का जन्म कब हुआ था

दयानंद सरस्वती का जन्म 12 फरवरी 1824 को गुजरात में हुआ था। इसके पिताजी का नाम लालजी तिवारी और यशोदाबाई था। उनका परिवार भगवान शिव का प्रबल अनुयायी था। धार्मिक होने के कारण दयानंद सरस्वती को बहुत कम उम्र से ही धार्मिक अनुष्ठान और उपवास का महत्व सिखाया जाता था।

शिवरात्रि के अवसर पर दयानंद सरस्वती भगवान शिव की पूजा में पूरी रात जागते रहे। ऐसी ही एक रात को उसने चूहे को भगवान का प्रसाद खाते हुए देखा। इसे देखने के बाद उन्होंने खुद से सवाल किया, अगर भगवान चूहे से प्रसाद का बचाओ नहीं कर सकता है तो वह दुनिया का उद्धार कैसे कर सकते है।

स्वामी दयानंद सरस्वती भारत के एक धार्मिक नेता थे जिन्होंने भारतीय समाज पर गहरा प्रभाव छोड़ा। उन्होंने आर्य समाज की स्थापना की जो भारतीयों की धार्मिक धारणा में बदलाव लाया। उन्होंने मूर्ति पूजा के खिलाफ अपनी राय रखा और महिलाओं को वेद पढ़ने की अनुमति देने की बात कही। 

उन्होंने छात्रों को अंग्रेजी शिक्षा के साथ-साथ वेदों के ज्ञान को सिखाने वाले पाठ्यक्रम की पेशकश करने के लिए एंग्लो-वैदिक स्कूलों की शुरुआत किया। वह सीधे राजनीति में कभी शामिल नहीं थे, लेकिन उनकी राजनीतिक टिप्पणियां भारत के स्वतंत्रता के संघर्ष के दौरान कई राजनीतिक नेताओं के लिए प्रेरणा का स्रोत था।

दयानंद सरस्वती का मृत्यु 30 अक्टूबर 1883 को दीपावली के दिन हुआ था। एक वेस्या ने रसोइए के साथ मिलकर दयानंद के दूध में पिसा हुआ कांच मिला दिया। जिसे पीकर स्वामी जी की तबियत ख़राब हो गया। और अस्पताल में  दयानंद की मृत्यु हो गयी।

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