अर्थशास्त्र में बाजार का अर्थ उस समस्त क्षेत्र से होता है, जिसमें क्रेता विक्रेता फैले हुए होते हैं, तथा आपस में प्रतियोगिता और मोलभाव करते हैं।
स्थानीय बाजार किसे कहते हैं
जब किसी वस्तु का क्रय विक्रय एक निश्चित क्षेत्र तक ही सीमित होता है तो उस वस्तु के बाजार को स्थानीय बाजार कहते हैं जैसे दूध सब्जी मछली आदि।
अंतर्राष्ट्रीय बाजार किसे कहते हैं
जब किसी वस्तु की मांग पूरे विश्व में होती है तो उस वस्तु का बाजार को अंतरराष्ट्रीय बाजार कहते हैं जैसे सोना चांदी एवं कीमती पदार्थ आदि।
अति अल्पकालीन बाजार किसे कहते हैं
जब किसी वस्तु की पूर्ति उसके उपलब्ध स्टॉक तक ही सीमित होती है तो उसे अति अल्पकालीन बाजार कहते हैं।
पुण प्रतियोगी बाजार किसे कहते हैं
जब बाजार में किसी वस्तु के क्रय विक्रय के लिए क्रेता व विक्रेताओं के बीच अधिकतम प्रतियोगिता होती है तब बाजार को पूर्ण प्रतियोगिता बाजार कहते हैं।
एकाधिकार बाजार किसे कहते हैं
जब किसी बाजार में केवल एक ही उत्पादक एवं विक्रेता होता है। तो उसे एकाधिकार बाजार कहते हैं। एकाधिकारी का अपनी वस्तु की कीमत तथा उसकी पूर्ति पर पूर्ण नियंत्रण होता है।