बाजार किसे कहते हैं?

अर्थशास्त्र में बाजार शब्द का अर्थ खरीदारों और विक्रेताओं के बीच वस्तुओं और सेवाओं के आदान-प्रदान से है। यह एक ऐसी व्यवस्था है जिसके माध्यम से क्रेता और विक्रेता आदान-प्रदान की जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों और मात्रा को निर्धारित करते हैं। 

बाज़ार कई अलग-अलग रूप में हो सकते हैं। आज कल दुनिया भर के खरीदारों और विक्रेताओं को जोड़ने वाले आधुनिक ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म उपलब्ध हैं।

बाजार किसे कहते हैं

अर्थशास्त्र में बाजार का अर्थ उस समस्त क्षेत्र से होता है, जिसमें क्रेता विक्रेता फैले हुए होते हैं, तथा आपस में प्रतियोगिता और मोलभाव करते हैं।

बाजार में कीमतें आपूर्ति और मांग के आधार पर निर्धारित होती हैं। बाजार अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, क्योंकि वे संसाधनों के आवंटन और उपभोक्ताओं की जरूरतों को पूरा करने वाली वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन करने की अनुमति देते हैं।

बाजार के प्रकार

बाजार विभिन्न प्रकार के हो सकते हैं, जैसे कि खरीदारों और विक्रेताओं की संख्या, वस्तुओं या सेवाओं का आदान-प्रदान होने की प्रकृति, और व्यक्तिगत फर्मों के पास बाजार की शक्ति। कुछ सामान्य प्रकार के बाजार निम्न लिखित हैं।

स्थानीय बाजार किसे कहते हैं

जब किसी वस्तु का क्रय विक्रय एक निश्चित क्षेत्र तक ही सीमित होता है तो उस वस्तु के बाजार को स्थानीय बाजार कहते हैं जैसे दूध सब्जी मछली आदि।

अंतर्राष्ट्रीय बाजार किसे कहते हैं

जब किसी वस्तु की मांग पूरे विश्व में होती है तो उस वस्तु का बाजार को अंतरराष्ट्रीय बाजार कहते हैं जैसे सोना चांदी एवं कीमती पदार्थ आदि।

अति अल्पकालीन बाजार किसे कहते हैं

जब किसी वस्तु की पूर्ति उसके उपलब्ध स्टॉक तक ही सीमित होती है तो उसे अति अल्पकालीन बाजार कहते हैं।

पुण प्रतियोगी बाजार किसे कहते हैं

जब बाजार में किसी वस्तु के क्रय विक्रय के लिए क्रेता व विक्रेताओं के बीच अधिकतम प्रतियोगिता होती है तब बाजार को पूर्ण प्रतियोगिता बाजार कहते हैं।

एकाधिकार बाजार किसे कहते हैं

जब किसी बाजार में केवल एक ही उत्पादक एवं विक्रेता होता है। तो उसे एकाधिकार बाजार कहते हैं। एकाधिकारी का अपनी वस्तु की कीमत तथा उसकी पूर्ति पर पूर्ण नियंत्रण होता है।

ये मौजूद बाजारों के प्रकारों के कुछ उदाहरण हैं। प्रत्येक बाजार की अपनी अनूठी विशेषताओं और गतिशीलता होती है, जो खरीदारों और विक्रेताओं के व्यवहार के साथ-साथ अर्थव्यवस्था के समग्र कामकाज के लिए महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकती है।

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