दोहा, कविता में स्व-निहित तुकबंदी का एक रूप है। कविता की यह शैली पहले अपभ्रंश में आम हो गई और आमतौर पर हिंदुस्तानी भाषा की कविता में इसका इस्तेमाल किया गया। यह कविता की तरह होता है जिसे गीत की तरह गया जाता है हिंदी में कबीर और रहीम के दोहे बहुत ही प्रसिद्ध है।
दोहा में चार चरण होते है जिसमे विषम चरणों अर्थात पहले और तीसरे में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों दूसरे और चौथे में 11-11 मात्राएँ होती हैं।