आजादी से पहले भारत में पाकिस्तान और बांग्लादेश शामिल था। परंतु ब्रिटिश सरकार ने यहां से जाने से पहले भारत को धर्म के आधार पर दो भागों में विभाजित कर दिया।
जिसके कारण इस क्षेत्र मे अस्थिरता उत्पन्न हो गई। यदि पाकिस्तान और बांग्लादेश भारत का हिस्सा होते तो भारत का स्थान विश्व में कही अधिक होता। चलिए जानते हैं आखिर भारत का विभाजन कब और क्यों हुआ था।
भारत का विभाजन कब हुआ था
भारत का विभाजन 15 अगस्त 1947 की आधी रात को हुआ था। भारत के विभाजन ने भारत को दो स्वतंत्र देशों भारत और पाकिस्तान में विभाजित कर दिया। विभाजन में दो प्रांतों, बंगाल और पंजाब का विभाजन शामिल था। विभाजन को भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 में उल्लिखित किया गया था और इसके परिणामस्वरूप ब्रिटिश राज का विघटन हुआ। भारत और पाकिस्तान 15 अगस्त 1947 की आधी रात को कानूनी रूप से अस्तित्व में आए।
विभाजन में भारतीय सेना, रॉयल इंडियन नेवी, इंडियन सिविल सर्विस, रेलवे और केंद्रीय खजाने का विभाजन दोनों देशो के आधार पर किया गया था। विभाजन मे दोनों देशों के 10 से 20 मिलियन लोग विस्थापित हुए थे। जिससे दोनों देशों मे कई समस्याए पैदा हुई थी।
इसे अक्सर इतिहास के सबसे बड़े शरणार्थी संकटों में से एक के रूप में वर्णित किया जाता है। विभाजन के समय बड़े पैमाने पर हिंसा हुई। जिसमे लाखो लोगों की मृत्यु भो हो गयी थी। विभाजन की हिंसा ने भारत और पाकिस्तान के बीच शत्रुता और संदेह का माहौल को बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
भारत का विभाजन क्यों हुआ था
3 जून 1947 को कांग्रेस और मुस्लिम लीग के साथ एक संयुक्त सम्मेलन में भारत के अंतिम वायसराय लुई माउंटबेटन ने भारत के विभाजन की घोषणा की। इसके बाद पूर्ण आतंक का दौर था। अनुमानों के अनुसार एक मिलियन से अधिक लोग मारे गए और 14 मिलियन से अधिक लोगों को जबरन स्थानांतरित किया गया। हमारे लिए यह जानना महत्वपूर्ण है कि यह तबाही क्यों हुई।
जिन्ना को विभाजन के लिए पूरी तरह जिम्मेदार माना जाता हैं। लेकिन उस दुखद घटना के लिए दोषी अकेले नहीं थे। इसमें ब्रिटिश और कांग्रेस का मिलीभगत था।
1947 भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम यूनाइटेड किंगडम का एक अधिनियम था। जिसके तहत भारत और पाकिस्तान का विभाजित किया था। इस अधिनियम को 18 जुलाई 1947 को लागू किया गया और इस तरह भारत और पाकिस्तान का विभाजन हो गया।
विभाजन का कारण धर्म था। मुस्लिम अपने लिए एक अलग देश चाहते थे। जिसके कारण उस समय जहा मुसलमानो की अधिक संख्या थी। उसे पाकिस्तान बनाने की पेशकस किया गया। इस तरह पंजाब और बंगाल का विभाजन पाकिस्तान के रूप में हो गया।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रतिनिधियों मुस्लिम लीग और सिख समुदाय ने लॉर्ड माउंटबेटन के साथ एक समझौता किया जिसे माउंटबेटन योजना के रूप में जाना जाता है। यह योजना स्वतंत्रता की अंतिम योजना थी।
अटेली की घोषणा
- यूनाइटेड किंगडम के प्रधान मंत्री क्लीमेंट एटली ने 20 फरवरी 1947 को घोषणा की।
- ब्रिटिश सरकार 30 जून 1948 तक ब्रिटिश भारत को पूर्ण स्व-शासन प्रदान करेगी।
- अंतिम हस्तांतरण की तारीख तय होने के बाद रियासतों का भविष्य तय किया जाएगा।
रियासतों का भविष्य
18 मार्च 1947 को एटली ने माउंटबेटन को लिखा। यह महत्वपूर्ण है कि भारतीय राज्यों को अपने संबंधों को उन अधिकारियों के साथ समायोजित करना चाहिए। जिनके लिए ब्रिटिश भारत में सत्ता सौंपना है। लेकिन जैसा कि कैबिनेट मिशन द्वारा स्पष्ट रूप से कहा गया था कि महामहिम सरकार किसी भी उत्तराधिकारी सरकार को सर्वोपरि के तहत अपनी शक्तियां और दायित्व सौंपना नहीं चाहती है।
इसलिए राज्यों को यह अधिकार दिया गया की 15 अगस्त 1947 से देशी रियासतों पर ब्रिटिश आधिपत्य समाप्त हो जाएगा। ये राज्य भारत या पाकिस्तान में शामिल हो सकते थे।
बांग्लादेश का विभाजन कब हुआ था
पाकिस्तान उस समय पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान दो भागो में विभाजित था। पूर्वी पाकिस्तान वर्तमान बांग्लादेश हैं। पूर्वी पाकिस्तान मे अत्याचार और विकास की दर धीमा थी। जिसके कारण इस क्षेत्र के लोगों मे एक आक्रोश उत्पन्न हुआ। जिससे अलगाव का विचार उत्तपन होने लग और पाकिस्तान के खिलाप विद्रोह उत्पन्न हो गया।
जिसके बाद पाकिस्तान ने इस क्षेत्र मे सैनिक भेज दिए और लोगों को जेलों में डालने लगे। इस नरसंहार को रोकने के लिए भारत ने बंगलदेश की मदद की जिसके परिणाम स्वरूप 1971 का युद्ध हुआ और बांग्लादेश स्वतंत्र देश बन गया।
विभाजन के समय कई प्रांत स्वतंत्र रहना चाहते हैं - हैदराबाद, जूनागढ़, और जम्मू और कश्मीर बाद मे ये भारत मे विलय हो गए। कश्मीर रियासत बाद मे पाकिस्तान के आक्रमण के बाद मे भारत मे विलय हुआ। यहा आज भी विवाद का मुद्दा हैं।