सिक्किम की राजधानी क्या है?

सिक्किम पूर्वोत्तर भारत का एक राज्य है। इसकी सीमा उत्तर पूर्व मे चीन, पूर्व में भूटान, पश्चिम में नेपाल और दक्षिण में पश्चिम बंगाल से लगती है।

सिक्किम भारत का दूसरा सबसे छोटा राज्य है। सिक्किम अपनी जैव विविधता के लिए जाना जाता है। सिक्किम मे स्थित कंचनजंगा भारत की सबसे ऊंची चोटी है।

सिक्किम की राजधानी क्या है

सिक्किम की राजधानी गंगटोक हैं। यह पूर्वी सिक्किम जिले का मुख्यालय है। गंगटोक 1,650 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। शहर में भूटिया, लेप्चा और भारतीय गोरखा जैसी विभिन्न जातियां रहती हैं।

हिमालय की ऊंची चोटी में बसा गंगटोक सिक्किम के पर्यटन उद्योग का केंद्र है।

1840 में एन्ची मठ के निर्माण के बाद गंगटोक एक लोकप्रिय बौद्ध तीर्थ स्थल बन गया हैं। 1894 में राजधानी को गंगटोक में स्थानांतरित किया था। 20 वीं शताब्दी की शुरुआत में गंगटोक तिब्बत और कोलकाता में हो रहे व्यापार का मुख्य पड़ाव था।

भाषा

सिक्किम में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा नेपाली है। लेकिन विभिन्न जनजातियों द्वारा अपनी भाषा भी बोली जाती हैं। जैसे भूटिया, लेप्चा, लिंबो आदि। कई लोगो द्वारा हिंदी भी बोली जाती हैं।

सिक्किम एक विविधता वाला देश है जिसमें विभिन्न भाषाओं के साथ विभिन्न प्रकार की जनजातियां रहती हैं और प्रत्येक भाषा बहुत ही अनोखी और अच्छी है। 

अर्थव्यवस्था

सिक्किम की अर्थव्यवस्था काफी हद तक कृषि और पर्यटन पर निर्भर है। 2014 तक राज्य की जीडीपी तीसरा सबसे छोटा था।

सिक्किम भारत में इलायची के उत्पादन का सबसे बड़ा उत्पादक है। सिक्किम ने 2003 और 2016 के बीच अपनी कृषि को पूरी तरह से जैविक बनाने वाला भारत का पहला राज्य बन गया।

यह पर्यावरण के प्रति जागरूक राज्यों में से एक है, जिसने किसी भी सरकारी समारोहों और बैठकों में प्लास्टिक की पानी की बोतलों और प्लास्टिक उत्पादों पर प्रतिबंध लगा दिया है।

संस्कृति

सिक्किम विभिन्न समुदायों रीति-रिवाजों, धर्मों और परंपराओं का एक अनूठा मिश्रण है। प्राचीन काल से सिक्किम पर तीन जनजातियों लेप्चा, भूटिया और नेपाली का कब्जा था। नेपाली आबादी सिक्किम के एक बड़े हिस्से पर हावी है।

पूरे देश में कई बंगाली, पंजाबी और बिहारी व्यवसाय स्थापित करने के लिए बस गए हैं। सिक्किम एक खूबसूरत सांस्कृतिक गुलदस्ते की तरह है जो विभिन्न जनजातियों के लोक नृत्यों, परंपराओं और रीति-रिवाजों से सुशोभित है। 

मुखौटा नृत्य भिक्षुओं द्वारा अत्यधिक उत्साह और ऊर्जा के साथ किया जाता हैं। चमचमाते हुए आभूषण और तलवारें प्रदर्शन में इजाफा करते हैं।

सिक्किम की संस्कृति में प्रकृति को भगवान माना गया है। फांग लबसोल त्योहार स्थानीय लोगों द्वारा मनाए जाने वाले त्योहारों में से एक है। वे इस त्योहार में पर्वत और जंगल के प्रति आभार व्यक्त करते हैं।

राज्य में मनाया जाने वाला एक और त्योहार जिसे देसियान त्योहार कहा जाता है, बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह दशहरे के त्योहार के समान ही है क्योंकि 10वें दिन दिवाली मनाई जाती है।

वेशभूषा

सिक्किम के कपड़े विविधता को दर्शाते हैं। तीन मुख्य निवासी समुदायों लेप्चा, भूटिया और नेपाली अपने पारंपरिक पोशाक पहनते हैं। बिहारी, बंगाली, मारवाड़ी, पंजाबी और दक्षिण-भारतीय जैसे अन्य राज्यों के लोग भी यहां बस गए हैं और वे अपने पारंपरिक कपड़ों का पालन करते हैं।

1. बाखू

सिक्किम और भूटिया के लोगों की पारंपरिक पोशाक बाखू है। पुरुषों और महिलाओं द्वारा समान रूप से पहना जाने वाला, बाखू तिब्बती चूबा के समान है। सिवाय इसके कि यह बिना आस्तीन का है। कमर के चारों ओर रेशम से बनी बेल्ट से कस दिया जाता है। आजकल महिलाएं इसके साथ जींस पहनती हैं।

2. थोको-दम

थोको-दम लेप्चा समुदाय के सदस्यों द्वारा पहना जाता है। इसमें एक सफेद पायजामा होता है। जो लगभग कराटे खिलाड़ी के पहनावे जैसा होता है। येनथत्से, एक लेप्चा शर्ट और शैम्बो के साथ एक टोपी जुड़ी होती है।

3. फारिया

नेपाली महिलाओं की शोभा को बढ़ाते हुए, पारंपरिक पोशाक जिसे फरिया कहा जाता है। विभिन्न प्रकार के रंगों में उपलब्ध होते है। इसके साथ एक लंबा, ढीला ब्लाउज पहना जाता है।

ऊपरी शरीर में कपड़े के एक टुकड़े को लपेटा जाता है जो सुंदर प्रिंटों में आता है, जिसे हेम्बारी के नाम से जाना जाता है। माजेट्रो शॉल भी उनके द्वारा उपयोग किया जाता है। फारिया के अलावा, नेपाली महिलाएं नृत्य करते समय सिर से कमर तक रंगीन कपड़े का एक टुकड़ा पहनती हैं। इसे पचौरी कहते हैं।

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