ई-कॉमर्स क्या है?

आप साधारण व्यापार के बारे में जानते है। इसका अर्थ लोगो को अपने उत्पाद और सेवाएं खरीदना और बेचना होता है। हम अपने आसपास व्यापार के अनेक रूप देखते है। तीन प्रकार के लोग व्यापार में शामिल होते है। 

उत्पाद , विक्रेता एवं क्रेता व्यापार एक ऐसा गतिविधि है जिसमे ये तीन प्रकार के लोग शामिल होते है -

  1. उत्पादक - ये वे लोग होते है, जो विभिन्न प्रकार की वस्तुओं का उत्पादन करते है अथवा विभिन्न प्रकार की सेवाएं उपलब्ध कराते है। 
  2. विक्रेता- ये वे लोग होते है जो उन उत्पादों तथा सेवाओ को क्रेताओं (खरीदारों) को बेचते है। 
  3. क्रेता- ये वे लोग होते है जो उन उत्पादों तथा सेवाओ को विक्रेताओ  से खरीदते हैं। 

ई- कॉमर्स को ई बिजनेस भी कहा जाता है। हालांकि अधिकांश लोग दोनो को अलग-अलग मानते है, परन्तु वास्तव में इनमे बहुत मामूली अंतर है। 

ई-बिजनेस मुख्य रूप से व्यपारिक संगठनों और उपभोक्ताओं के मध्य के इंटरनेट द्वारा लेने-देने का नाम है, जबकि ई-कॉमर्स मुख्य रूप से विभिन्न व्यपारिक संगठनों के मध्य आपसी लेन देन से सम्बंधित है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि ई - बिजनेस एक सीमित गतिविधि है। जबकि ई-कॉमर्स का क्षेत्र बहुत व्यापक हैं।

ई-कॉमर्स क्या है

ई -कॉमर्स व्यपारिक लेंन-देनो में इलेट्रॉनिक संचार और डिजिटल इंपफोर्मेशन प्रोसेसिंग तकनीक का उपयोग है, जो विभिन्न संगठनों तथा व्यक्तियों के मध्य सम्बन्ध को पुनः परिभाषित करता है अथवा नया रूप देता है।

ई-कॉमर्स का कार्य क्षेत्र अब इंटरनेट पर किया जाने वाला एक महत्वपूर्ण कार्य बन गया है। बहुत -सी वेबसाइटों में उनके उत्पाद और सेवाओं को ऑनलाइन खरीदने या आदेश करने की सुविधा उपलब्ध होती है। इन वेबसाइटों को विशेष रूप से ई-कॉमर्स के लिए ही तैयार किया जाता है और इनमें किसी उत्पाद या सेवा का आदेश देने को विशेषताए शामिल होती है। 

वैसे ई-कॉमर्स में केवल उत्पादों या सेवाओं का क्रय - विक्रय ही शामिल नही है। इनमे वे सभी व्यपारिक गतिविधियां शामिल है, जो इंटरनेट और अन्य कम्प्यूटर नेटवर्क का उपयोग करती है। उदाहरण के लिए इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर सप्लाई चेन मैनेजमेंट ई-मार्केटिंग ऑनलाइन मार्केटिंग प्रोसेसिंग तथा ऑटोमेटेड डाटा कलेक्शन आदि गतिविधियां भी ई-कॉमर्स का भाग है।

इन समस्त कार्यों में इंटरनेट और अन्य कम्प्यूटर नेटवर्क तथा संचार तकनीकों का व्यापक उपयोग किया जाता है। ई-कॉमर्स वल्ड वाइड वेब से भी अधिक डाटाबेस और ई - मेल जैसी सुविधाओ पर निर्भर करता है। इस प्रकार ई-कॉमर्स वास्तव में साधारण व्यापार का ही दूसरा और विस्तृत रूप है।

ई-कॉमर्स के प्रकार

ई-कॉमर्स कई प्रकार का होता है। हम एक प्रकार के ई-कॉमर्स को दूसरे प्रकार के ई-कॉमर्स से इस आधार पर अलग करते है कि उनमें विक्रेता कोंन हैं? हालांकि इस मामलों में यह पूरी तरह लागू नही होता, परंतु मोटे तौर पर ई-कॉमर्स के इसी आधार पर कई प्रकार बताए गए है।

इस प्रकार वैसे तो ई-कॉमर्स अनेक रूपो में किया जाता है, परंतु उन्हें निम्नलिखित चार श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है -

  1. व्यापार से उपभोक्ता
  2. व्यापार से व्यापार
  3. उपभोक्ता से-उपभोक्ता
  4. मोबाइल कॉमर्स

1. व्यापार से उपभोक्ता

इसे संक्षेप में बिटूसी (b2c) ई-कॉमर्स भी कहा जाता है। केवल ई-कॉमर्स कहने से वास्तव में इसी प्रकार के ई_कॉमर्स का बोध होता है, हालांकि इसकी मात्रा तलनात्मक रूप से कम होती है। इस प्रकार के ई-कॉमर्स में कोई कम्पनी अपने उत्पाद और सेवाए उपभोक्ताओंको बेचती है। 

ऐसे मामलों में कम्पनी की एक वेबसाइट होती है, जिसमे से ग्राहक सूचनाएं ले सकता है और किसी उत्पादया सेवा का आदेश दे सकता है। इस प्रकार का ई-कॉमर्स भी प्रायः कई रूपों में किया जाता है, जैसे - वेब पोर्टल  ऑनलाइन रिटेलर सामग्री प्रदाता लें देंन ब्रोकर सेवा प्रदाता आदि।

2. व्यापार से व्यापार

इसे संक्षेप में बिटुबी (b2b) ई-कॉमर्स भी कहा जाता है। इस प्रकार के ई-कॉमर्स में कोई कम्पनी अपने उत्पाद और सेवाएं कम्पनियों को बेचती है या उनसे खरीदती है। यह ई-कॉमर्स के सबसे बड़ा रूप या भाग है। वास्तव में ई-कॉमर्स के सभी रूपों में इस रूप के विस्तार की सम्भावनाए सबसे अधिक है।

प्रारंभ में इस प्रकार के ई-कॉमर्स में व्यापारियों के बीच  आपसी खरीद-बिक्री या लेंन-देंन ही होता था, परंतु समय के साथ इनमें सर्विस प्रदाता मैचमेकर सूचना - दलाल आदि , जिनके कारण व्यापार से  व्यापार ई-कॉमर्स विस्तृत होता जा रहा है।

3. उपभोक्ता से उपभोक्ता

इसे संक्षेप में सिटुसि (C2C) ई-कॉमर्स भी कहा जाता है। इस प्रकार ई-कॉमर्स में उपभोक्ता अपनी वस्तुएं आपस में एक - दूसरे को बेच सकते है। इसमें किसी ऑनलाइन मार्केट की सुविधा उपलब्ध कराने वाली वेबसाइट जैसे-नीलामी की वेबसाइट की सहायता ली जाती है। इस प्रकार के ई-कॉमर्स की मात्रा अपेक्षाकृत रूप से कम है।

ऐसे ई-कॉमर्स में किसी वस्तु को बेचने की इच्छा रखने वाला कोई उपभोक्ता अपनी वस्तु का विवरण और अपेक्षित मूल्य वेबसाइट पर डाल सकता है। अन्य उपभोक्ता उस वस्तु के लिए बोली लगा सकते है। वेबसाइट का स्वामी या संचालक अपना कमीशन लेकर उस वस्तु के विक्रय और धन को लेंन-देंन के सम्भव बनाता है।

4. मोबाइल कॉमर्स

इसे संक्षेप में एम-कॉमर्स (m-commerce) भी कहा जाता है। एम-कॉमर्स से हमारा तात्पर्य किसी बेतार अंकीय साधन जैसे - मोबाइल फोन के माध्यम ले सामानों और सेवाओं के क्रय -विक्रय से है। एक बार ऐसे साधन से सम्पर्क जुड़ जाने पर  उपभोक्ता अपनी आवश्यकता की वस्तुओं का आदवश कर सकता है और कई प्रकार के लेंन-देंन कर सकता है। 

ई-कॉमर्स के लाभ

साधारण व्यापार की तुलना में ई-कॉमर्स करने के कुछ लव्ह होते है जो निम्नलिखित है -

1. यह छोटे और मध्यम आकार के व्यापारियों को संसार भर में अपने उत्पाद बेचने और सेवाए उपलब्ध कराने की सुविधा प्रदान करता है।

2. ई-कॉमर्स के माध्यम से कोई ग्राहक अपनी आवश्यकता की सभी वस्तुओं के लिए घर बैठे ऑर्डर दे सकता है और घर बैठे सिस्ट समान और सेवाए या शोरूम में जाने की आवद्यकता नही है।

3. ई-कॉमर्स के माध्यम से दुनियाभर में बिखरे हुए उत्पादकों और विक्रेताओ को नेटवर्क के माध्यम से एक स्थान पर आने की सुविधा मिलती है, जो साधारण परम्परागत व्यापार  में लाखों रुपए खर्च करने के बाद ही प्राप्त हो सकती है।

ई-कॉमर्स की हानियाँ

हालांकि साधारण परम्परागत व्यापार की तुलना में ई-कॉमर्स अधिक लाभदायक है और यही कारण है कि ई-कॉमर्स लगातर बढ़ता जा रहा है। फिर भी लाभ के साथ इसमें कुछ हैनियाँ भी जुड़ी हुई है, जिनकी उपेक्षा नही की जा सकती ।ई-कॉमर्स में मुख्य रूप से निम्नलिखित हैनियाँ है-

1. इसमें खरीददार और विक्रेता सभी एक दूसरे को नही देखते । इससे विक्रेता खरीददार की कोई प्रत्यक्ष सहायता यहीं कर पाता और न उसकी शिकायतों पर तत्काल कार्यवाही कर सकता है।

2.समाज का एक बहुत बड़ा भाग अभी भी कंप्यूटर और इंटरनेट जैसी सुविधओं से वंचित है। इस कारण वे चाहते हुए भी ई-कॉमर्स में कोई भाग नही ले सकते । यही कारण है कि ई-कॉमर्स की तमाम सुविधओं के बावजूद इसकी मात्रा परम्परागत व्यापार की तुलना में ही कम है।

3. ई-कॉमर्स में सेल्समैन और सेल्सगर्ल का कार्य वेबसाइट ही कर लेती है। इससे बसरोजगरी बढ़ती है तथा अनेक सामाजिक समस्याएं पैदा ही सकती है।

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