भारत का 90 प्रतिशत सतही जल बंगाल की खाड़ी में बह जाता है और शेष अरब सागर में मिल जाता है। अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में बहने वाली जल निकासी प्रणालियाँ पश्चिमी घाट, अरावली और यमुना सतलुज डिवाइड के साथ फैले एक जल विभाजन द्वारा अलग हो जाती हैं।
अरब सागर का अपवाह तंत्र
भारतीय जल निकासी प्रणाली में बड़ी संख्या में छोटी और बड़ी नदियाँ शामिल हैं। यह तीन प्रमुख भौगोलिक इकाइयों की विकास प्रक्रिया और वर्षा की प्रकृति का परिणाम है। हिमालय की जल निकासी प्रणाली में गंगा, सिंधु और ब्रह्मपुत्र नदी घाटियां शामिल हैं। नर्मदा और तापी दो प्रमुख नदियाँ हैं जो अरब सागर में गिरती हैं।
1. नर्मदा नदी - नर्मदा नदी जो मध्य भारत से होकर बहती है। इसे नदियों के दिल के रूप में जाना जाता है। यह उत्तर और दक्षिण भारत के बीच पारंपरिक विभाजन रेखा का कार्य करता है। गुजरात, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र से यह नदी होकर बहती हैं। नर्मदा नदी की सहायक नदियाँ कोलार नदी, शकर नदी, दुधी नदी, तवा नदी और हिरन नदी हैं।
भारत की सभी नदियों में से पूर्व से पश्चिम की ओर केवल नर्मदा, ताप्ती और माही नदियाँ बहती हैं। नर्मदा नदी पर कई बांध बनाये गए है जिससे बिजली बनायीं जाती हैं। इसमें महेश्वर बांध, सरदार सरोवर बांध और इंदिरा गांधी सागर बांध शामिल हैं। यह नदी गुजरात से होते हुए अरब सागर में मिल जाती हैं।
2. तापी नदी - जिसे ताप्ती नदी के नाम से भी जाना जाता हैं। नदी मध्य प्रदेश के मुलताई आरक्षित वन से निकलती है। यह नदी मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात राज्यों से होकर बहती है। काकरापार बांध, उकाई बांध, गिरना बांध इस नदी पर प्रमुख परियोजनाएं हैं। ताप्ती नदी की प्रमुख सहायक नदियाँ सुकी, गोमई, अरुणावती, वाघुर, अमरावती, पूर्णा, मोना और सिपना हैं।