कोंकणी भाषा कहाँ बोली जाती है

कोंकणी भाषा को गोवा में सबसे अधिक बोली जाती है। कोंकणी गोवा राज्य की आधिकारिक भाषा भी है।

यह विशेष रूप से कर्नाटक, महाराष्ट्र और केरल के कुछ क्षेत्रों में बोली जाती है। कोंकणी भाषा बोलने वालों की संख्या लगभग 2.5 मिलियन से अधिक है।

अधिकतर कोंकणी भाषी मराठी भाषियों के पास रहते हैं। क्योंकि दोनो भाषाएँ काफी मिलती जुलती हैं, लेकिन कोंकणी की उत्पत्ति मराठी से पहले मानी जाती है। पहला ज्ञात कोंकणी शिलालेख 1187 का मिला है।

दमन से लेकर कोचीन तक कोंकणी भाषा के साथ कई अन्य कोंकणी बोलियाँँ बोली जाती हैं। जिनमें से अधिकांश भाषाई संपर्क की कमी और मानक सिद्धांत के रूपों की भिन्नता के कारण एक दूसरे की बोली को कम ही समझ पाते हैं।

कोंकणी भाषा की इतिहास

कोंकणी नाम का उल्लेख 13 वीं शताब्दी से पहले के साहित्य में नहीं मिलता है। कोंकणी नाम का पहला संदर्भ 13 वीं सदी के हिंदू मराठी संत कवि, नामदेव के "अभंग" में मिलता है। 

कोंकणी को कई नामों से जाना जाता है, जैसे कैनरीम, कॉनकनिम, गोमांतकी, ब्रमना और गोनी आदि। मराठी भाषी इसे गोमंतकी कहते हैं।

कोंकणी भाषा का आधार कुरुख, उरांव और कुकनी नामक जनजातियों के बोली का मिश्रण है। कुरुख, कुनरुख, कुन्ना और माल्टो इसकी बोलियां हैं।

द्रविड़ मूल के कोंकणी शब्दों के कुछ उदाहरण हैं: नाल (नारियल), मदवल (धोने वाला), कोरू (पका हुआ चावल) और मूली। भाषाविदों का यह भी सुझाव है कि मराठी और कोंकणी का आधार द्रविड़ कन्नड़ से अधिक निकटता से संबंधित है।

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