बसंत ऋतु का मौसम था। खिली हुई धूप वाली सुबह श्याम बहुत खुश था। क्योंकि उसका आज स्कूल में पहला दिन था। उसने अपनी माँ को कहा, मेरा दोपहर का भोजन कहाँ है? अगर मैं जल्दी नहीं गया, तो मैं समय पर स्कूल नहीं पहुँचूँगा।
स्कूल के रास्ते मे भयानक जंगल पड़ता था और उसे स्कूल पहुँचने में एक घंटा लग जाता था। माँ ने जल्दी से उसे दोपहर का भोजन दिया और उसे अपना ध्यान रखने को कहा।
श्याम जंगल के रास्ते से निकल गया। उसे पेड़ों के बीच झांकती धूप और पक्षियों की चहकती आवाज देखना अच्छा लगता था। वह जल्द ही स्कूल पहुंचा और गांव के अपने दोस्तों से मिलने लगा। उनका स्कूल में बहुत अच्छा समय गुजरता था।
श्याम ने स्कूल में कई नई चीजें सीखीं 4 बजते ही स्कूल की छुट्टी हो गई। श्याम घर वापस आ रहा था। लेकिन शाम को जंगल बहुत डरावना लगता था। कई अजीबो गरीब आवाजें और आकृतियाँ दिखाई देती थीं जो नन्हे श्याम को डराती थीं।
अचानक अंधेरे में एक तेज आवाज आई।
श्याम डर से जोर से चिल्लाया।
वह इतना डरा हुआ था कि उसने देखा नहीं किसकी आवाज हैं, और तेजी से भागा भागा घर पहुंच गया।
श्याम को रोता देख माँ बहुत चिंतित हुई।
उसकी माँ ने पूछा "क्या हुआ श्याम?"
सहमा हुआ श्याम बोला "माँ मैं फिर से स्कूल नहीं जाऊँगा। शाम को जंगल बहुत अंधेरा होता है और मुझे अकेले चलने में डर लगता है।"
उसकी माँ सोचने लगी मैं श्याम को उसके डर पर काबू पाने में कैसे मदद कर सकती हूं?" तभी उसकी माँ ने श्याम की डर को दूर करने के लिए एक योजना बनाई।
माँ ने कहा "श्याम, जब तुमको डर लगे, तो अपनी आँखें बंद कर लेना और अपने बड़े भाई गोपाल को बुलाना। वह आएगा और तुम्हारी मदद करेगा।"
हैरान श्याम ने कहा "मुझे नहीं पता था कि मेरा एक भाई भी हैं।"
उसकी माँ ने कहा "तुम्हारा हमेशा से एक भाई हैं। बस तुम्हें नहीं पता था क्योंकि तुमने उसके बारे में कभी नहीं पूछा।"
माँ ने मुस्कुराते हुए कहा "अब जाओ और अपने हाथ धो लो और मैं तुम्हारे लिए खाना लाती हूँ।"
श्याम संतुष्ट था। उसका भाई गोपाल उसकी मदद करेगा। उसने सारी चिंता छोड़ दी और खाना खाकर चैन से सो गया।
अगली सुबह श्याम जल्दी से स्कूल गया। शाम को जब वह घर आ रहा था तो जंगल में वह फिर से डर गया। उसने अपने भाई को बुलाने का फैसला किया।
श्याम ने आंख बंद कर बोला “भाई गोपाल, कहाँ हो तुम? कृपया आओ और मुझे घर ले चलो।"
जैसे ही श्याम ने आंखे खोली, एक मधुर संगीत जंगल में भर गया। अचानक कहीं से एक लड़का दिखाई दिया और श्याम के पास आया।
वह सांवली त्वचा और शरारती मुस्कान के साथ आकर्षक लग रहा था। वह श्याम का हाथ पकड़कर जंगल के छोर तक ले गया। श्याम प्रसन्न हुआ।
उस दिन से हर शाम गोपाल श्याम को घर वापस लेने आता। वे सबसे अच्छे दोस्त बन गए।
एक सुबह, सभी छात्रों ने अपने शिक्षक के लिए एक उपहार लाने का फैसला किया क्योंकि अगले दिन उसका जन्मदिन था।
श्याम को समझ नहीं आ रहा था कि गिफ्ट में क्या लेकर जाऊं। उसने सलाह के लिए भाई गोपाल से पूछने का फैसला किया।
जब श्याम गोपाल से मिला तो उसने पूछा "कल मैं अपने शिक्षक के लिए क्या उपहार ले सकता हूँ भाई?"
गोपाल ने सोचा और कहा, "तुम मेरा दही का कटोरा ले सकते हो बड़ा ही स्वादिष्ट हैं।"
यह सुनकर श्याम बहुत खुश हुआ। वह अगले दिन गर्व से उसे स्कूल ले गया और अपने शिक्षक को दे दिया।
उसके शिक्षक को दही बहुत स्वादिष्ट लगा लेकिन उसने महसूस किया की, दही खतम नही हो रही हैं।
उसके शिक्षक ने श्याम से कहा, "तुम्हें यह दही कहाँ से मिला?"
श्याम ने उत्तर दिया "मेरे भाई गोपाल ने मुझे दिया सर।"
उसके शिक्षक ने डांटते हुए कहा "झूठ मत बोलो तुम्हारा तो कोई भाई नहीं है।"
श्याम ने कहा "मैं झूठ नहीं बोल रहा हूंँ। मेरे साथ जंगल में आओ मैं आपको अपने भाई से मिलवाऊंगा।"
उनके शिक्षक बहुत गुस्से में थे, और श्याम के साथ जंगल में चला गया।
वह चिल्लाया "कहाँ है तुम्हारा भाई मुझे तो नही दिखाई दे रहा।" सर ने जैसे ही श्याम को पीटने के लिए हाथ उठाया, एक मधुर संगीत से जंगल भर गया।
एक कोमल आवाज आई "केवल वही लोग देख सकते है जिसका दिल और मन साफ होता हैं।
आश्चर्यचकित शिक्षक अपने घुटनों पर गिर कर बोला "कृपया मुझे क्षमा करें, भगवान।"
श्याम ने यह भी महसूस किया कि उसका भाई कोई और नहीं बल्कि भगवान कृष्ण थे। वह यह देखकर बहुत खुश हुआ कि जब भी वह उसे पुकारता है, तब तब प्रभु उसके पास आते है।