सीतापुर नामक गांव में एक मुख्या रहता था उसकी दो पत्नी थी। पहले पत्नी के सिर पर बाल बहुत कम था और काली भी थी। तथा दूसरी पत्नी के सिर में काले घने और लम्बे बाल थे। मुख्या अपनी छोटी पत्नी बहुत घमंडी और स्वार्थी थी।
मुख्या अपनी दूसरी पत्नी को आवाज लगाता है। तो मुख्या की पहली पत्नी आती है और बोलती है क्या हुआ आपने मुझे बुलाया आपको कुछ चाहिए क्या मुख्या बोलता है नहीं मैंने तुम्हे आवाज नहीं लगाया मै तो छोटी बहु को आवाज लगा रहा था कहा है।
छोटी तो अपने बाल बनाने में ब्यस्त है क्या चाहिए आप मुझे बताइये मै ला दूंगी। उसी समय छोटी बहु आ जाती है बड़ी बहु की बाते सुनकर वो बोलती है तुम तो मेरी बुराई ही करते रहो मुख्या जी के सामने बड़ी बहु नहीं मै ऐसा नहीं करती हु मुख्या अपनी दूसरी पत्नी को डांटते है और उसे अपने लिए पान लाने भेज देता है।
मुख्या अपनी दूसरी पत्नी को पास बुलाता है और कहता है मै अपने कारोबार को आगे बढ़ाने के लिए एक माह के लिए देश विदेश में जा रहा हु ये बात बड़ी बहु को पता नहीं चलना चाहिए मै उसका चेहरा देख कर नहीं जाना चाहता हूँ।
बड़ी बहु उनकी बाते सुन लेती है और रोने लगती है। सुबह होते ही मुख्या जाने के लिए गाड़ी में बैठता है। छोटी बहु मुख्या से कहती है आप मेरे लिए रेशमी साड़ी और गहने लाइएगा।
बड़ी बहु दरवाजे के पास खड़े रहती है और बोलती है आप अपना ख्याल रखना और मुझे कुछ नहीं चाहिए कहते हुए वही उदास बैठ जाती है। छोटी बहु बोलती है यहाँ ऐसे क्यों बैठी हो घर का काम कौन करेगा ये कहकर घर का सारा काम बड़ी बहु से ही कराती है।
छोटी बहु बाल सवार रही थी बड़ी बहु बोलती है छोटी तुम्हारे बाल को मै सवार देती हु। बाल सवारते सवारते थोड़ा सा बाल टूट जाता है ये देख छोटी बहु गुस्सा हो जाती है और बड़ी बहु के बालो को पकड़ के खींचने लगती है।
बड़ी बहु रोते हुए घर से निकल जाती है और एक जंगल में पहुंच जाती है जंगल में उसे एक पेड़ के नीचे बहुत कचड़ा दिखा तो वहां की सफाई कर दी। आगे जाते ही उसे एक केले का पेड़ झुका हुआ दिखा तो बड़ी बहु ने सूखे लकड़ी की सहयता से सीधा करती है और आगे बढ़ती है बड़ी बहु को साधु दिखाई देता है वह उसे प्रणाम करती है।
साधु बड़ी बहु को आशीर्वाद दे कर तालाब में एक डुबकी लगा के आने के लिए बोलता है। बड़ी बहु जादुई तलाब में डुबकी लगती है तो वह बहुत सुन्दर हो जाती है और उसके बाल भी घने और लम्बे हो जाते है। बड़ी बहु बहुत खुश हो जाती है। और आकर साधु बाबा से से फिर से आशीर्वाद लेती है।
साधु बाबा एक टोकरी देता है जिसमे सोना चांदी भरा हुआ था। बड़ी बहु टोकरी को पकड़ के आती है वह जब केले के पेड़ के पास पहुँचती है तो केले का पेड़ बोलता है बेटी तुम मेरे इस पीले रंग के पत्ते को तोड़ कर ले जाओ इससे तुम्हे विभिन्न प्रकार के भोजन मिल जायेंगे।
बड़ी बहु उस पेड़ के पहुँचती है जहा उसने सफाई की थी। पेड़ उसे कहता है बेटी तुम ये सुखी हुई डाली को ले जाओ इससे तुम्हे रेशमी साड़ी और रंग बिरंगे कपडे मिलेंगे। बड़ी बहु पेड़ को प्रणाम कर के घर वापस चली जाती है।
बड़ी बहु घर आ के छोटी बहु को सब बताती है और लाये हुए चीजों को आपस में बाँटने को कहती है लेकिन छोटी मना कर देती है और भी जंगल में चली जाती है। पेड़ छोटी बहु को सफाई करने बोलता है तो छोटी मना कर देती है और आगे बढ़ती है।
केले का पेड़ छोटी बहु को बोलता है सुनो बेटी देखो मै गिर रही हु आकर मुझे सीधा कर दो छोटी उसकी बात को भी मना कर के चली जाती है। छोटी बहु साधु को देखती है और साधु से पूछती है बाबा मुझे भी जादुई तालाब कहा है बताओ ताकि मै भी डुबकी लगा के सुन्दर बन सकू।
साधु बाबा छोटी बहु को एक बार तालाब में डुबकी लगाने के लिए बोलता है छोटी बहु तालाब में जाकर एक बार डुबकी लगाती है तो वह सुन्दर हो जाती है। छोटी बहु लालच में एक बार और डुबकीहै जिससे वह काली और उसके बल कम हो जाते है।
छोटी बहु एक बार और तालाब में डुबकी लगाती है लेकिन कुछ नहीं होता छोटी बहु साधु के पास रोते हुए आती है और बोलती है साधु बाबा मेरे साथ ये क्या हो गया साधु बोलता है तुम्हे तुम्हारे लालच का फल मिल गया है। छोटी बहु अपने काले चेहरे को लेकर वापस नहीं जाना चाहती इसलिए वह अपनी पूरी जिंदगी जंगल में ही रहने का फैसला लेती है। और बड़ी बहु मुख्या के साथ खुशी ख़ुशी रहते है।