हिंदी साहित्य के महाकवि जयशंकर प्रसाद का जन्म 30 जनवरी सन 1890 में काशी उत्तरप्रदेश में हुआ था। उनकी शिक्षा घर पर ही हुई, उन्होंने संस्कृत का गहन अध्ययन किया। बचपन से ही जयशंकर प्रसाद की शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया गया। उसके पिता घर पर संस्कृत, हिंदी, अंग्रेजी, फारसी को पढ़ाया करते थे। जयशंकर प्रसाद को पढ़ाने के लिए घर पर ही कई अध्यापक आया करते थे।
रचनाएँ
- महाकाव्य - कामायनी।
- खंडकाव्य - आंसू, लहर, झरना, प्रेम पथिक, पेशोला की प्रतिध्वनि, महाराणा का महत्व।
- नाटक - चंद्रगुप्त, स्कंद गुप्त, ध्रुवस्वामिनी।
- कहानी - संग्रह, आकाशदीप, आंधी, इंद्रजाल, छाया प्रतिध्वनि, कंकाल, तितली, इरावती।
कामायनी जयशंकर प्रसाद की सर्वश्रेष्ठ और अंतिम काव्य रचना हैं। जिसको 1936 ई. में प्रकाशित किया गया था। यह आधुनिक छायावादी युग का श्रेष्ठ महाकाव्य है। इस महाकाव्य में मानव मन की विविध चिंता से आनंद तक 15 सर्गों की विवेचना किया गया है।
कामायनी छायावादी काव्यकला का सर्वोत्तम प्रतीक है। मानव भावों की अभिव्यक्ति इस महाकाव्य की प्रमुख विशेषता हैं। इसमें लज्जा, सौंदर्य और श्रद्धा जैसे गुण दिखाई देते है।
कामायनी पौराणिक रूपकों को लेकर मानवीय भावनाओं, विचारों और कार्यों को दर्शाती है। कामायनी में मनु , इला और श्रद्धा जैसे व्यक्तित्व हैं जो वेदों में पाए जाते हैं। कविता में वर्णित महान जलप्रलय की उत्पत्ति शतपथ ब्राह्मण में हुई है।
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