मानव अधिवास की समस्या क्या है

विकासशील देशों में प्रगति के साथ-साथ मानव अधिवास की समस्यायें भी सामने आई हैं। इन समस्याओं को दो वर्गों में विभाजित किया जाता है

  1. ग्रामीण क्षेत्रों की समस्यायें
  2. नगरीय क्षेत्रों की समस्यायें

ग्रामीण क्षेत्रों की समस्यायें

विकासशील देशों में जनसंख्या तीव्र गति से बढ़ रही है जिसके फलस्वरूप अधिवास की समस्यायें उत्पन्न हुई हैं। ये निम्नलिखित हैं

1. मकानों का बँटकर छोटे-छोटे होते जाना - जनसंख्यावृद्धि के कारण एक-एक मकान में बँटवारे के फलस्वरूप मकानों का स्वरूप छोटा होता जा रहा है। एक छोटे से कमरे में आवश्यकता से अधिक लोग निवास करते हैं जिससे स्थानाभाव हो जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों की समस्यायें

2. मकान निर्माण हेतु भूमि की कमी — गाँवों में मकान बनते जाते हैं फलस्वरूप और अधिक मकान निर्माण हेतु भूमि की कमी हो जाती है।

3. इमारती लकड़ी का अभाव – वनों की कटाई के कारण अब वन बहुत कम रह गये हैं जिससे मकान निर्माण हेतु लकड़ी की कमी हो गई है या बहुत महँगी हो गई है। निर्धन ग्रामीण जो पहले वनों से लकड़ी प्राप्त कर मकान बना लेते थे उनके लिये अब आवश्यकतानुसार लकड़ी प्राप्त करना कठिन हो गया है।

4. धनाभाव — गाँवों में अधिकांशतः कृषक और मजदूर वर्ग निवास करते हैं। इनके पास जीवन-यापन के सीमित साधन होते हैं । अतः इनके पास पर्याप्त धन नहीं होता है जिससे मकान बनाना इनके लिये समस्या होती है।

5. स्वच्छ एवं हवादार मकानों का अभाव — गाँवों में प्रायः बन्द कमरों के मकान बनाये जाते हैं जिनमें सूर्य का प्रकाश एवं स्वच्छ वायु का यथोचित प्रवेश नहीं हो पाता है। अतः उनमें नमी, सीलन आदि बनी रहती है।

6. ग्रामीण बस्तियों का व्यवस्थित न होना — गाँवों में लोगों को जहाँ जगह मिलती है, वहीं मकान बना लेते हैं। जिससे इन बस्तियों में न तो कोई क्रम होता है और न ही आने-जाने के लिये पर्याप्त मार्ग ।

7. जल निकासी का अभाव – ग्रामीण क्षेत्रों में जल निकासी की व्यवस्था भी नहीं होती है जिससे गन्दा जल यत्र-तत्र बहता रहता है जो स्वास्थ्य के लिये हानिकारक होता है। शुद्ध पेय जल की भी कमी होती है उपर्युक्त समस्यायें प्रायः सभी विकासशील देशों यथा - भारत , बांग्लादेश, पाकिस्तान, श्रीलंका आदि में पाई जाती हैं।

नगरीय क्षेत्रों की समस्यायें

ग्रामीण क्षेत्रों की अपेक्षा नगरीय क्षेत्रों की समस्यायें अधिक जटिल हैं। प्रमुख समस्यायें अग्रांकित हैं

  1. नगरों की जनसंख्या में बेतहाशा वृद्धि।
  2. मकानों की कमी।
  3. झोपड़पट्टी समस्या।
  4. जीवनयापन की सुविधाओं में कमी ।
  5. कानून एवं व्यवस्था की समस्या। 
  6. नगरों की साफ-सफाई की समस्या।
  7. स्वास्थ्य सुविधाओं में कमी ।
  8. शुद्ध पेयजल की कमी।
  9. परिवहन साधनों पर भारी दबाव।

उपर्युक्त सभी समस्यायें प्रायः सभी बड़े नगरों यथा करांची, मुम्बई, दिल्ली, ढाका, बीजिंग आदि में पाई जाती हैं। प्राय: लोग रोजगार की तलाश में नगरों की ओर पलायन या स्थानान्तरण करते हैं।

अत: वहाँ लोगों की भीड़ हो जाती है। नगरों में मकानों की कमी तो होती ही है, इस भीड़ को सोने के लिये भी स्थान नहीं मिल पाता है। ये लोग सड़कों के किनारे तथा फुटपाथों पर ही रात गुजारते हैं। बहुत से लोग नगरों के किनारे झोपड़पट्टी बनाकर रहने लगते हैं।  

जिससे अनेक गम्भीर समस्यायें उत्पन्न हो जाती हैं। चारों ओर प्रत्येक क्षेत्र में जीवनयापन के साधनों में कमी होती जाती है। कानून व्यवस्था की समस्या जटिल हो जाती है। पेयजल की कमी हो जाती है।

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