विभिन्न प्रकार के महत्त्वपूर्ण नवीन उद्योगों का आधार रासायनिक उद्योग है। इसके द्वारा निर्मित उत्पादों का उपयोग लगभग कुछ-न-कुछ समस्त उद्योग करते हैं। कृषि से लेकर धातु कर्म, वस्त्र, चमड़ा, शीशा, साबुन, भोज्य पदार्थ, विस्फोटक, प्लास्टिक, कृत्रिम रबर आदि तक की निर्भरता रसायन उद्योग पर निरन्तर बढ़ती जा रही है।
आज से लगभग 10 वर्ष पूर्व रसायन उद्योग का सूत्रपात हुआ था, किन्तु इसका प्रसार एवं विकास बड़ी तीव्रगति से हुआ। रसायन उद्योग नवीन से नवीन उत्पाद बाजार में प्रस्तुत करता है तथा पूर्व निर्मित माल को अधिक सुन्दर, आकर्षक एवं सस्ता बनाने में जुटा रहता है।
रसायन उद्योग की स्थापना मुख्यतः निम्नलिखित कारकों द्वारा निर्धारित होती है -
1. कच्चा माल – इस उद्योग की स्थापना के लिए कच्चे माल के रूप में निम्नलिखित पदार्थों की आवश्यकता होती है। खनिज पदार्थ पोटाश, नमक, नाइट्रेट, पेट्रोलियम, कोयला, गन्धक व प्राकृतिक गैस। वनस्पति संबंधित पदार्थ लुग्दी, वनस्पति तेल, आलू, मक्का आदि। विभिन्न उद्योगों के अवशेष पदार्थ पेट्रो-रसायन उद्योग से प्राप्त कार्बन - ब्लैक, कोयले की भट्ठियों से प्राप्त गैस आदि। वातावरण की गैसें - ऑक्सीजन, नाइट्रोजन आदि।
2. श्रम – इस उद्योग में स्वचालित यन्त्रों एवं उपकरणों का अधिक प्रयोग होता है। अतः केवल कच्चे माल को एकत्रित करने और जुटाने में ही अकुशल श्रमिकों की आवश्यकता होती है।
3. बाजार – रासायनिक उद्योगों के उत्पादनों को प्राय: दूसरे उद्योग प्रयोग करके अपने लिए उत्पादक वस्तु का निर्माण करते हैं, इसलिए ऐसे क्षेत्र जहाँ बहुत अधिक औद्योगीकरण हुआ हो, रसायन उद्योग की स्थापना को प्रभावित करते हैं ।
4. सस्ता परिवहन – रसायन उद्योगों के कच्चे माल प्रायः अधिक वजन के होते हैं, अतः उनके लिए सस्ते परिवहन की आवश्यकता होती है। जल परिवहन सस्ता होने के कारण रासायनिक उद्योगों के कारखाने अधिकतर समुद्री तटों एवं नदियों के किनारे स्थापित होते हैं।
5. अन्य कारक – इस उद्योग के लिए पर्याप्त जल की पूर्ति, सस्ती जल विद्युत्, सरकारी नीति, पर्याप्त पूँजी की सुविधा, तकनीकी व वैज्ञानिक ज्ञान एवं अवशिष्ट पदार्थों के विसर्जन की सुविधा होना आवश्यक है।