महादेवी वर्मा का गद्य में योगदान को बताइये

महादेवी वर्मा की गद्य- -कृतियों की संख्या ज्यादा नहीं है। पर कथ्य और प्रस्तुति की दृष्टि से ये कृतियाँ उत्कृष्ट है। उन्होंने कुल 25 संस्मरणात्मक-रेखाचित्र और 35 निबंध लिखे हैं। उन्होंने मुख्य रूप से रेखाचित्र, संस्मरण, निबंध और आलोचनाएँ लिखी है। 

महादेवी जी का गद्य उनकी वैचारिक विवशता का परिणाम है। नारी जीवन और समकालीन यथार्थ पर लिखते समय उन्होंने गद्य का आश्रय लिया। काव्य-कृतियों की भूमिका में उनकी आलोचना-शक्ति का भी परिचय मिलता है। 

“स्मृति की रेखाएँ”, “अतीत के चलचित्र” और “पथ के साथी” में लेखिका का संस्मरण शब्द-चित्रों के माध्यम से अभिव्यक्त हुआ है। “श्रृंखला की कड़ियाँ” में महोदवी वर्मा का नारी विषयक दृष्टिकोण प्रकट हुआ है। वस्तुतः यह नारी समस्याओं का दस्तावेज है।

हम यहाँ महादेवी के गद्य साहित्य का विवेचन दो भागों में करने जा रहे है- रेखाचित्र-संस्मरण और निबंध-आलोचना। महादेवी वर्मा का रचनाओं को देखने के बाद रेखाचित्र-संस्मरण को एक ही घड़े में रखना उपयुक्त होगा क्योंकि उनके रेखचित्र संस्मरण है और उनके संस्मरण रेखचित्र । 

इसे और भी स्पष्ट करने के लिए यह कहना उपयुक्त होगा कि उन्होंने अपने संस्मरणों को रेखाचित्रों और शब्द-चित्रों के माध्यम से अभिव्यक्त किया है। तो चलें, इनका अवलोकन शुरू किया जाए। 

रेखाचित्र और संस्मरण

रेखाचित्र और संस्मरण के क्षेत्र में महादेवी वर्मा के तीन ग्रंथ-“अतीत के चलचित्र”, “स्मृति की रेखाएँ” और “पथ के साथी” उल्लेखनीय है। महादेवी जी की इन रचनाओं में एक चित्रात्मकता, कथात्मकता और काव्य-प्रवाह है। इसलिए इन्हें पढ़ते वक्त कभी ये रचनाएँ रेखाचित्र प्रतीत होती है तो कभी संस्मरण; कभी-कभी ये कहानी से भी नाता जोड़ने लगती है। 

महादेवी वर्मा इन रेखाचित्रों के साथ कठोर धरती पर उतरी हैं, अतः दीन-हीन, पतित और अपेक्षित व्यक्तित्व इन रेखाओं एवं चित्रों के कलेवर में साँस भरते दीखते हैं। इन रचनाओं की प्रमुख विशेषता इनकी चित्रात्मकता ही है। आइए, इन रचनाओं का अलग-अलग परिचय प्राप्त करें।

अतीत के चलचित्र

"अतीत के चलचित्र" महादेवी जी के रेखाचित्रों का पहला संकलन है। इसका प्रकाशन पहली बार 1941 ई. में हुआ था। में

“अतीत के चलचित्र" नाम से ही स्पष्ट है कि ये अतीत के दस्तावेज भी है और घूमते-फिरते चित्र भी। इस कृति में ग्यारह रचनाएँ संग्रहीत है। इसमें अतीत, वर्तमान और भविष्य एक-दूसरे में सिमट गया है।

अतीत के इन चलचित्रों में सर्वहारा वर्ग की झाँकी प्रस्तुत की गई हैं। इसमें समा, एक विधवा युवती, बिंदा, सबिया, बिट्टो, अनाहुत की माँ, घीसा, विधवा, अलोपी, बदलू, रधिया और लछमा का रेखाचित्र खींचा गया है, जिसमें लेखिका का अतीत स्पष्ट रूप से झाँकता नजर आता है।

स्मृति की रेखाएँ

महादेवी वर्मा के संस्मरणात्मक रेखाचित्रों का दूसरा संग्रह है “स्मृति रेखाएँ"। इसका प्रथम प्रकाशन 1945 ई. में हुआ। इसमें कुल सात रेखाचित्र संकलित है-भक्तिन, चीनी, जगिया-धनिया, मुन्नू की माँ, ठकुरी बाबा, बरेठिन गुंगिया। 

लेखिका ने उन्हें शीर्षकों में विभाजित नहीं किया है, पर इन शीर्षकों का आम तौर पर उपयोग किया जाता है, इसलिए हम भी उसका लाभ उठा रहे है। “अतीत के चलचित्र" में जहाँ लेखिका के किशोर काल के चित्र है वहाँ “स्मृति की रेखाएँ” में प्रौढ़ काल के चित्र हैं। 

पथ के साथी

“पथ के साथी” का प्रकाशन काल 1956 ई. है। इस संकलन में लेखिका ने अपने समसामयिक कवियों के जीवन-वृत्त, परिवेश और क्रियाकलाप का चित्रण और मूल्यांकन किया है। लेखिका ने कुल सात लेखकों की जीवनी प्रस्तुत की है। 

कवीन्द्र रवीन्द्र, मैथिलीशरण गुप्त, जयशंकर प्रसाद, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, सुभद्राकुमारी चौहान, सुमित्रानंदन पंत और सियारामशरण गुप्त । वस्तुतः इन शीर्षकों के तहत इन लेखकों का “लाइफ स्केच" खींचा गया है।

निबंध और आलोचना

निबंध और आलोचना के क्षेत्र में महादेवी वर्मा की चार पुस्तकों की चर्चा की जा सकती है(1) श्रृंखला की कड़ियाँ (1942), (2) क्षणदा (1956), (3) साहित्यकार की आस्था, (4) संकल्पिता (1969)। इसके अलावा उन्होंने अपनी काव्य-पुस्तकों की भूमिका के रूप में भी अपनी आलोचना-क्षमता का प्रमाण दिया है।

श्रृंखला की कड़ियाँ

“श्रृंखला की कड़ियाँ” में कुल ग्यारह निबंध संग्रहीत है। ये निबंध मूलतः “चाँद” के संपादकीय के रूप में लिखे गये थे। इसमें संकलित निबंध इस प्रकार है

1. श्रृंखला की कड़ियाँ 2. युद्ध और नारी 3. नारीत्व का अभिशाप 4. आधुनिक नारी. 5. घर और बाहर 6. हिंदू स्त्री का पत्नीत्व 7. जीवन का व्यवसाय 8. स्त्री के अर्थ-स्वातंत्र्य का प्रश्न 9. हमारी समस्याएँ 10. समाज और व्यक्ति 11. जीने की कला।

श्रृंखला की कड़ियाँ में जनता (खासकर नारी) का पीड़ित स्वर मुखरित हुआ है।

क्षणदा

"क्षणदा" (1956) महादेवी वर्मा का दूसरा निबंध संग्रह है। इसमें विचारात्मक निबंध भी है, यात्रा संस्मरण भी है, आलोचनात्मक निबंध भी है और भाषा, विज्ञान, साहित्य आदि से संबंधित निबंध भी है। इनका शीर्षक इस प्रकार है-

1. करुणा का संदेश वाहक 2. संस्कृति का प्रश्न 3. कसौटी पर 4. दोष किसका ? 5. कुछ विचार 6. स्वर्ग का एक कोना 7. सुई दो रानी 8. कला और चित्रमय साहित्य 9. साहित्य और साहित्यकार 10. अभिनय कला 11. हमारा देश और राष्ट्रभाषा 12. हमारे वैज्ञानिक।

“साहित्यकार की आस्था” और “संकल्पिता” में भी साहित्यिक और सांस्कृतिक विषयों से संबंधित निबंध संकलित है।

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