कथानक या कथावस्तु एकांकी का सर्वप्रथम तत्व है। यही नहीं तत्वों में एक है। इसका मुख्य कारण यह है कि उसके बिना एकांकी का साँचा-ढाँचा बिल्कुल ही तैयार नहीं हो सकता है। अतएव इसके प्रति एकांकीकार विशेष रूप से जागरूक और प्रयत्नशील होता है।
कथानक या कथावस्तु की दृष्टि से जब हम प्रख्यात एकांकीकार श्री लक्ष्मीनारायण मिश्र लिखित एकाकी ‘एक दिन' का विवेचन करना चाहेंगे तो हम यह पाएँगे कि इसकी कथावस्तु या कयानक सामाजिक है।
अतएव इसे एकांकीकार ने विशेष सामाजिक सन्दर्भो में प्रस्तुत किया है। इसमें एकाकीकार ने सामाजिक परम्पराओं को प्रतिष्ठित करते हुए पाश्चात्य मान्यताओं को विखण्डित करने का पूरा प्रयास किया है। इसके लिए उसने बहुत ठोस, सधे हुए और अपेक्षित कथानक या कथावस्तु को अपनाया है।
इस दिशा में एकांकीकार का प्रयास बहुत ही सराहनीय और उल्लेखनीय है। अतएव कथानक या कथावस्तु के आधार पर प्रस्तुत एकाकी ‘एक दिन' एक सफल एकांकी सिद्ध होती है।
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