हजारी प्रसाद द्विवेदी जीवन परिचय

आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी जी का जन्म 1907 में बलिया जिले के एक छोटे-से गाँव में छपरा (ओझबालिया) में हुआ था। आपके पिता का नाम पं. अनमोल द्विवेदी था। आपने सन् 1920 में मिडिल की परीक्षा पास की। उसके बाद काशी में आपने संस्कृत का अध्ययन किया। यहाँ ज्योतिषाचार्य की परीक्षा प्रथम श्रेणी में पास की। 

सन् 30 में आपकी नियुक्ति हिन्दी विभाग के अध्यापन कार्य हेतु हो गयी। यहाँ आप कई वर्षों तक रहे। उसके बाद काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में हिन्दी विभाग के अध्यक्ष पद पर उन्नति के साथ चले गये। जुलाई, 1960 में पंजाब विश्वविद्यालय में रैक्टर के पद पर भी आसीन रहे। अथवा 

 आचार्य द्विवेदी को लखनऊ विश्वविद्यालय ने सन् 1940 में सम्मान डी. लिट. की उपाधि से विभूषित किया। सन् 1950 में आप राष्ट्रपति द्वारा पद्म भूषण की उपाधि से विभूषित किये गये।

सन् 1962 में साहित्य अकादमी ने आपको टैगोर पुरस्कार प्रदान किया। आप एक कुशल वक्ता, अच्छे लेखक प्रख्यात विद्वान हैं। आपकी निम्नलिखित रचनाएँ हैं

मौलिक - सूरसाहित्य, हिन्दी साहित्य की भूमिका, कबीर, सूरदास, बाणभट्ट की आत्मकथा, अशोक के फूल, कल्पलता, निबन्ध संग्रह। 

सम्पादित - पृथ्वीराज रासो, संदेश, रसिक आदि।

अनुदित - प्रबन्ध चिन्तामणि, विश्व परिचय, लाल कनेर, मेरा बचपन, आदि।

भाषा - संस्कृतनिष्ठ एवं शुद्ध हिन्दी है। आप संस्कृत के प्रकाण्ड विद्वान थे। 

शैली - विचारात्मक, वर्णनात्मक शैली के साथ विभिन्न शैलियों का प्रयोग किया है।

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