इस कृषि पद्धति में फसलों का उत्पादन नगद लाभ या व्यापार की दृष्टि से किया जाता है। इसके अंतर्गत विशेष प्रकार की नगदी फसलें उगायी जाती हैं। अनुकूल भौगोलिक दशाओं में एक ही फसल पर अधिक बल देकर अधिकतम उत्पादन पाने का प्रयास किया जाता है।
इसके लिए अधिक श्रमिक, अधिक पूँजी, वैज्ञानिक विधियों, उर्वरकों एवं औषधियों, उन्नत यंत्रों एवं मशीनों का भरपूर उपयोग किया जाता है।
विश्व के विभिन्न देशों में व्यावसायिक कृषि का भिन्न-भिन्न स्वरूप देखने को मिलता है।
- शीतोष्ण कटिबन्धीय घास के मैदान जिनमें गेहूँ का विपुल उत्पादन किया जाता है।
- उष्ण कटिबन्ध के वे क्षेत्र जहाँ रोपण कृषि द्वारा चाय, गन्ना, कहवा आदि उत्पन्न किये जाते हैं ।
- यूरोपीय क्षेत्र जिनमें मिश्रित कृषि की जाती है।
- उद्यान कृषि, ट्रक फॉर्मिंग, डेयरी फॉर्मिंग वाले क्षेत्र।
मिश्रित कृषि, विस्तृत कृषि, व्यापारिक दुग्ध पशुपालन, कृषि, उद्यान कृषि एवं ट्रक फॉर्मिंग व्यावसायिक कृषि के अन्तर्गत आते हैं।
विशेषताएँ
- कृषि की यह आधुनिकतम पद्धति है।
- कृषक फसल का उत्पादन व्यापार के लिए करता है। ।
- यह कृषि बहुत बड़े पैमाने पर की जाती है।
- इस पद्धति में फसल तथा पशुओं का विशिष्टीकरण हो जाता है।
- इस पद्धति में आधुनिकतम वैज्ञानिक विधियों का उपयोग किया जाता है।
- सभी प्रकार की उत्तम खाद, उर्वरक, औषधियाँ तथा मशीनों आदि का प्रयोग होता है।
- कृषि क्षेत्रों का बाजारों से गहन सम्बन्ध परिवहन साधनों द्वारा किया जाता है।
- इस प्रकार की कृषि उन्नत देशों में की जाती है।
- कृषि का अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार पर विशेष प्रभाव पड़ता है।