स्थानान्तरी कृषि क्या है

स्थानान्तरी कृषि आत्म-निर्वाह या जीविकोपार्जन हेतु प्रारम्भिक काल में मानव ने प्रारम्भ की थी। आज भी उष्ण कटिबन्धीय वनों में रहने वाली आदिम जातियाँ स्थानान्तरी कृषि करती हैं।

स्थानान्तरी कृषि क्या है

स्थानांतरित खेती एक कृषि प्रणाली है जिसमें भूमि पर अस्थायी रूप से खेती की जाती है, फिर कुछ वर्षों के लिए बंजर छोड़ दिया जाता है। जिसके बाद वनस्पति को स्वतंत्र रूप से बढ़ने का मौका मिलता है जबकि किसान दूसरे भूखंड पर कृषि कार्य करने लगता है। अर्थात स्थान बदल बदल कर कृषि करने की प्रणाली को स्थानान्तरी कृषि कहते है।

स्थानान्तरी कृषि वनों को काटकर तथा झाड़ियों को जलाकर छोटे से क्षेत्र को साफ कर लिया जाता है। इस भूमि को लकड़ी के हल या अन्य इसी प्रकार के साधारण औजार द्वारा जोतकर बीज का रोपण किया जाता है और कुछ समय के बाद फसल का उत्पादन हो जाता है। इस प्रकार की कृषि जीवन यापन के लिए किया जाता हैं। 

दो-तीन फसलें उस कृषि भूमि से प्राप्त करने के बाद मिट्टी की उर्वरा शक्ति कम हो जाती है और कृषक उस भूमि को छोड़कर दूसरी भूमि पर इसी प्रकार की कृषि करने लगता है। सामान्यतः लगातार एक स्थान पर तीन या चार वर्ष तक स्थानान्तरी कृषि की जाती है।

वैज्ञानिक विधि से कृषि करने का प्रसार एवं प्रचार के कारण अब इस प्रकार की कृषि के क्षेत्र बहुत सीमित रह गये हैं। इस कृषि को श्रीलंका में चेना और भारत में झूम कृषि तथा ब्राजील में रोका कहा जाता है।

Related Posts