महादेवी वर्मा का जीवन परिचय – mahadevi verma

श्रीमती महादेवी वर्मा का जन्म सन 1907 में फर्रुखाबाद के एक परिवार में हुआ। इनकी प्रारम्भिक शिक्षा इन्दौर में हुई तथा इसके पश्चात् उन्होंने प्रयागराज (इलाहाबाद) से संस्कृत में एम. ए. किया।

शिक्षा प्राप्ति के पश्चात् प्रयाग महिला विद्यापीठ में वे पढ़ान  का कार्य करती थी। महादेवी जी को छायावाद का प्रमुख आधार-स्तम्भ माना जाता है। 

साहित्य-सृजन के प्रारम्भिक काल में इन्हें सेक्सरिया पुरस्कार मिला तथा बाद में ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला हैं। वे पद्म विभूषण की उपाधि से भी अलंकृत हुईं। प्रयाग महिला विद्यापीठ की प्रधानाचार्य के रूप में इनका समस्त जीवन महिलाओं की शिक्षा एवं कल्याण तथा साहित्य की सेवा में बीता हैं। महादेवी वर्मा की मृत्यु 11 सितम्बर, 1987 को प्रयाग में हुई थी।

महादेवी वर्मा की प्रसिद्ध रचनाएँ - नीहार, नीरजा, रश्मि, सान्ध्यगीत, दीपशिखा आदि है। महादेवी वर्मा को हिन्दी-साहित्य के गद्य लेखकों में भी सम्मानित स्थान प्राप्त हुआ है। उनके निबन्ध, संस्मरण और रेखाचित्र हिन्दी-साहित्य की अमूल्य कृति हैं। 

अतीत के चलचित्र, स्मृति की रेखाएँ, 'पथ के साथी, 'मेरा परिवार उनकी प्रसिद्ध गद्य रचनाएँ हैं। इनमें समाज के पीड़ित व्यक्तियों की गाथाएँ तथा पशु-पक्षियों के मार्मिक चित्रण देखने को मिलते हैं।

भाषा-शैली - महादेवी जी की भाषा अत्यन्त सहज और सरल है। वह लोक-प्रचलित हैं। इसीलिए वह सामान्य पाठक के अधिक निकट है। आपकी शैली भाषण शैली है। संस्मरणात्मक शैली की रचना में आप अत्यन्त विशिष्ट चित्रात्मकता आपकी शैली की सर्व प्रधान विशेषता है।

साहित्य में स्थान - महादेवी जी का व्यक्तित्व करुणा, काव्य और गद्य का त्रिवेणी है, आपके इस अद्भुत योगदान को सदैव याद किया जायेगा । आपकी दार्शनिक चिन्तन धाराएँ आपको आधुनिक मीरा की उपमा से विभूषित करके अलग पहचान बनाती हैं। 

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