मसाई जनजाति कहाँ निवास करती है

उष्ण कटिबन्धीय सवाना घास भूमि पर पशु-पालन करने वाली अनेक जातियों में मसाई एक प्रमुख जाति है, जो पूर्वी अफ्रीकी पठार पर निवास करती है। पहले ये लोग चलवासी पशु-चारक थे और ये लोग कीनिया, तन्जानिया और युगाण्डा के पठारी प्रदेश में पशु चारण किया करते थे।

किन्तु बाद में पशु-चारण क्षेत्रों पर श्वेत लोगों ने अधिकार जमा लिया कॉफी, चाय और कपास की कृषि करने लगे। अब मसाई लोग केवल कीनिया और तन्जानिया के लगभग 40,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र तक ही सीमित रह गये हैं तथा अब स्थानबद्ध पशु-पालन करते हैं।

निवास क्षेत्र - कीनिया और तन्जानिया की सवाना घास-१ -भूमि जिसका विस्तार यहाँ के पठारीय भागों में है, पर मसाई लोग निवास करते हैं। यह सूडान प्रदेश की पशु-पालक आदिम जाति है। अफ्रीका की रिफ्ट घाटी के इस क्षेत्र में कई झीलें तथा पठार पाये जाते हैं। मसाई लोग अपने घर ऊँची भूमि के मध्य टीलों पर बनाते हैं । 

जलवायु – इस क्षेत्र की जलवायु सूडान अथवा सवाना तुल्य है। इस क्षेत्र में वर्षा हिन्द महासागर से आने वाली पवनों द्वारा होती है तथा अधिकांश वर्षा शीतकालीन होती है। वर्ष भर ऊँचा तापमान एवं औसत वार्षिक वर्षा 100 सेमी होती है। उच्च तापमान तथा अधिक वाष्पीकरण के कारण यहाँ ऊँची-ऊँची सवाना घास उगती है।

शारीरिक गठन - इनका कद लम्बा, रंग गहरा भूरा व कुछ कत्थई, सिर कम चौड़ा, नाक लम्बी व पतली, ओंठ पतले और सिर के बाल लम्बे व साधारण घुँघराले होते हैं ।

भोजन - मुख्य भोजन पशुओं से प्राप्त दुग्ध तथा दुग्ध निर्मित पदार्थ, पशुओं का रक्त ( भोजन में मिलाकर), ज्वार, बाजरा और मक्का है। रक्त की प्राप्ति गाय-बैल से की जाती है। इनकी गर्दन में रस्सी बाँध दी जाती है, जिससे गर्दन की नसें फूल जाती हैं। इन नसों में तीर बेध कर रक्त एकत्रित कर लिया जाता है। ज्वारबाजरा व मक्का ये लोग आस-पास के कृषकों से खरीद लेते हैं।

वस्त्र - चमड़े का प्रयोग वस्त्र के रूप में किया जाता है। चमड़े पर मक्खन व चर्बी को बार-बार रगड़ कर चिकना कर लिया जाता है। स्त्रियाँ बकरी की खाल से बनी ओढ़नी ओढ़ती हैं ।

आवास-मसाई लोग समूह में रहते हैं। प्रत्येक समूह का अपना एक वास - क्षेत्र या गाँव होता है, जिसे काल कहते हैं । इस क़ाल में 40-50 झोपड़ियाँ इस ढंग से बनायी जाती हैं कि क्राल अण्डाकार बने जिसके बीच में खुला स्थान बच्चों के खेलने तथा रात्रि में पशुओं को रखने के लिए रखा जाता है और उसके आस-पास झोपड़ियाँ बनायी जाती हैं। क्राल के चारों ओर कँटीली बाड़ लगा दी जाती है। इन झोपड़ियों की दीवारें व छतें सूखी घास व बाँस से बनाकर चमड़े से ढँक दी जाती हैं।

दीवारों और छतों को गोबर व मिट्टी से लीप दिया जाता है। झोपड़ी में कुछ प्रकाश जाने के लिये दीवारों में छेद कर दिये जाते हैं झोपड़ी में मचान बनाकर सोने की व्यवस्था की जाती है । 

व्यवसाय – मसाई लोगों का प्रमुख व्यवसाय पशु - चारण है । ये लोग अपने भोजन, वस्त्र एवं आवास की सभी आवश्यकताओं की पूर्ति पशु उत्पादों से ही करते हैं ।

सामाजिक व्यवस्था - इनकी सामाजिक व्यवस्था में गोत्र होते हैं। शादी-विवाह एक ही गोत्र में नहीं किये जाते हैं। ये लोग रक्त भेद और जाति भेद में भी विश्वास करते हैं । बहु विवाह प्रथा प्रचलित है। पिता के मृत्यु के बाद सभी पशुओं को उसके लड़कों में बाँट दिया जाता है। इनके धार्मिक नेता को ‘लैबोन’ कहते हैं । लैबोन का बहुत सम्मान होता है। उसे पवित्रात्मा समझा जाता है। सभी योद्धाओं पर उसी का नियंत्रण होता है ।

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