हरिऔध जी का जन्म निजामाबाद में सन् 1865 में हुआ था। आपके पिता का नाम भोलासिंह और माता का नाम रुक्मणी देवी था। 5 वर्ष की आयु में 'हरिऔध' जी ने पढ़ना आरम्भ किया। आपके चाचा पं. ब्रह्मसिंह उपाध्याय जी से आपको विशेष सहायता मिली। निजामाबाद से मिडिल स्कूल पास करके आपने बनारस के 'क्वींस कॉलेज' में प्रवेश लिया। किन्तु अस्वस्थता के कारण आपको कॉलेज का अध्ययन समाप्त करना पड़ा।
घर पर ही आपने फारसी और संस्कृत का अध्ययन किया। 17 वर्ष की आयु में उपाध्याय जी का विवाह हो गया, जीविकोपार्जन के लिए आप एक स्कूल में अध्यापक हो गये।
सन् 1889 में नौकरी करते हुए आपने कानूनगो की परीक्षा उत्तीर्ण कर ली और कानूनगो के पद पर नियुक्त हो गये । आप क्रमशः उन्नति करते हुए सदर कानूनगो के पद पर पहुँच गये। आप 34 वर्ष तक बड़ी कुशलता से नौकरी करते रहे।
इस सरकारी सेवा कार्य में भी आपकी काव्य-साधना चलती रही। सरकारी सेवा से मुक्त होने पर आप पूर्ण रूप से . काव्य-साधना में लग गये। हरिऔध जी 'काशी विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में अवैतनिक रूप से हिन्दी अध्यापक के पद पर नियुक्त हुए। आप कई वर्षों तक इस पद पर रहे। इसके पश्चात् आप अपनी जन्मभूमि आजमगढ़ चले गये। यहीं 6 मार्च, 1941 को आप स्वर्गवासी हुए।