आज के इस पोस्ट में हम जानने वाले हैं पत्र लेखन के बारे में पत्र लेखन को अंग्रेजी में Letter-Writing कहते हैं।
इस पोस्ट को आगे और पढ़े इससे पहले आपको बता दूँ यार पिछले पोस्ट में हमने जाना था, अनुच्छेद लेखन के बारे में यदि आप उस पोस्ट को पढ़ना चाहते हैं तो पढ़ सकते हैं।
पत्र लेखन किसे कहते हैं
पत्र-लेखन हमारे जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह ऐसी कला है, जिसके माध्यम से हम विचारों का आदान-प्रदान करते हैं। हमारे मन में जो बात रहती है उसे दूसरे तक पहुंचाते हैं। भावों की इस अभिव्यक्ति के इस माध्यम से हम जहां चाहें पहुंच सकते हैं।
पत्र-लेखन के समय हमें निम्नांकित बातों का ध्यान रखना चाहिए -
- पत्र का संबंध सही सम्बोधन और अभिवादन से होना चाहिए।
- पत्र की भाषा सहज, स्पष्ट एवं सरल होनी चाहिए।
- पत्र में लिखने वाले का पूरा पता और दिनांक उपयुक्त स्थान पर ही लिखा होना चाहिए।
पत्र निम्नलिखित दो प्रकार के होते हैं -
- औपचारिक पत्र
- अनौपचारिक पत्र
औपचारिक पत्र
1. औपचारिक पत्र - वह पत्र जो सरकारी कार्यालयों के कर्मचारियों, प्रधानाचार्यों, प्रकाशकों, व्यावसासिक-संस्थानों के अधिकारियों आदि को लिखे जाते हैं, वे औपचारिक पत्र कहलाते हैं।
औपचारिक पत्र का प्रारूप -
- पत्र लिखने वाले का नाम अथवा पता।
- दिनांक
- पत्र प्राप्तकर्ता का पद नाम अथवा कार्यालय का नाम
- विषय
- सम्बोधन-महोदय, मान्यवर
- मुख्य विषय का वर्णन
- समापन और धन्यवाद
- भवदीय/हस्ताक्षर नाम
आओ, औपचारिक पत्र के कुछ उदाहरण देखें -
1. कक्षा में बढ़ती चोरी की घटनाओं की सूचना देते हुए प्रधानाचार्य को पत्र लिखो।
सेवा में,
प्रधानाचार्य जी,
राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय,
राजेंद्र नगर, नई दिल्ली,
दिनांक : 17-03-2021
विषय : चोरी की घटनाओं की सूचना देते हुए प्रधानाचार्य को पत्र।
महोदय,
सविनय निवेदन है मैं कक्षा दसवीं 'बी' का छात्र हूँ। पिछले कुछ दिनों से हमारी कक्षा में चोरी की घटनाएँ बढ़ गई हैं। पेन, पुस्तके, टिफिन और कापियाँ के साथ-साथ अब रुपयों की चोरी भी होने लगी है।
आज बबली के आठ सौ रूपये उसके बस्ते से चुरा लिए गए। वह फीस जमा करने के लिए रुपए लाई थी। हमने कक्षा-अध्यापिका श्रीमती मोनिका शर्मा को भी सूचित कर दिया है।
कृपया इस दिशा में कार्यवाही करने का कष्ट करें।
धन्यवाद !
आपकी आज्ञाकारिणी शिष्य
राहुल
मॉनीटर, दसवीं 'बी'
2. परीक्षा के दिनों में बजने वाले लाउडस्पीकरों को बंद करवाने हेतु जिलाधीश को पत्र लिखो -
सेवा में,
जिलाधीश महोदय,
तिलक नगर,
नई दिल्ली।
दिनांक : 28-02-2021
विषय : लाउडस्पीकरों के शोर को बंद करवाने हेतु जिलाधीश को पत्र।
मान्यवर,
इस पत्र के माध्यम से हम आपका ध्यान शहर की एक मुख्य समस्या की तरफ आकर्षित कराना चाहते हैं। विद्यार्थियों की वार्षिक परीक्षाएँ स्कूलों में प्रारम्भ होने वाली हैं, परन्तु शहर के अनेक स्थलों पर ऊँचे स्वरों में लाऊडस्पीकर बजने से पढ़ाई में व्यवधान उत्पन्न हो रहा है।
सार्वजनिक स्थलों, शहर की गलियों में व्यापारी वर्ग द्वारा विज्ञापन के लिए तथा सिनेमाघरों द्वारा चलचित्रों के प्रचार के लिए इनका प्रयोग किया जाता है।
इससे उत्पन्न शोर का ही दुष्परिणाम है - ध्वनि प्रदूषण तथा अध्ययन में विघ्न उत्पन्न होना। इस प्रकार के शोर से जन सामान्य, अस्पतालों में मरीज तथा छात्र-वर्ग को कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।
आपसे प्रार्थना है कि इस दिशा में उचित कदम उठाएँ। अनावश्यक रूप से बजने वाले इन लाऊडस्पीकरों को प्रतिबंधित कर दें, ताकि हमें शांत वातावरण मिल सके तथा हम मानसिक संतुलन एवं एकाग्रता के साथ अध्ययन का लाभ उठा सकें।
भवदीय,
खिलावन पटेल
लक्ष्मी नगर
नई दिल्ली।
3. दिल्ली परिवहन निगम के मुख्य प्रबंधक को एक बस चालक के प्रशंसनीय व्यवहार की सूचना देते हुए उसे सम्मानित करने का आग्रह करो।
सेवा में,
श्रीमान मुख्य प्रबंधक,
दिल्ली परिवहन निगम,
हरि नगर, नई दिल्ली।
दिनांक : 17-03-2021
विषय : बस चालक का प्रशंसनीय व्यवहार।
महोदय,
इस पत्र के माध्यम से मैं आपको आपकी बस के एक चालक के प्रशंसनीय व्यवहार से अवगत कराना चाहता हूँ।
मैं जनकपुरी सी-1 का निवासी हूँ तथा प्रतिदिन अपने दफ्तर मायापुरी जाता हूँ। गत 10 मार्च की बात है, मैं मायापुरी से 753 नंबर की बस में सायकल लगभग आठ बजे अपने घर लौट रहा था की लाजवंती बस स्टॉप से कुछ मनचले बस में चढ़े।
उन्होंने उसमें बैठी कुछ महिलाओं से न केवल छेड़खानी की अपितु उनमें से एक ने एक यात्री की जेब में से मोबाइल भी निकाल लिया। यात्रियों के विरोध करने पर वे पांच-छः युवक उन पर टूट पड़े तथा मारपीट करने लगे। बस के कुशल एवं कर्तव्यनिष्ठ चालक ने स्थिति को समझ लिया तथा बस रोककर बहादुरी से उनमें से दो को पकड़ लिया।
तीसरे ने बस से उतर कर भागने की कोशिश की तो चालक ने अपनी जान की परवाह न करते हुए खतरनाक जेबकतरे को पकड़ लिया। यात्रियों ने भी चालक को पूरा सहयोग दिया। बाद में चालक गाड़ी को पुलिस स्टेशन ले गया जहां पुलिस अधिकारी ने भी चालक के साहस की सराहना की।
आपसे आग्रह है की उस बस चालक मोहनलाल शर्मा को उनके प्रशंसनीय व्यवहार के लिए सम्मानित किया जाए जिससे अन्य कर्मचारियों को भी प्रेरणा मिल सके।
भवदीय,
विनोद कुमार वर्मा
अनौपचारिक पत्र
2. अनौपचारिक पत्र - वह पत्र जो रिश्तेदारों, मित्रों, परिचितों आदि को लिखे जाते हैं, वे अनौपचारिक पत्र अथवा व्यक्तिगत-पत्र कहलाते हैं।
अनौपचारिक पत्र का प्रारूप -
- नाम/पता/दिनांक
- सम्बोधन-प्रिय मित्र, प्रिय बंधु, पूज्य, पूजनीय तथा आदरणीय आदि।
- विषय वस्तु-मुख्य विषय का वर्णन।
- अंत में नाम।
आओ देखें कुछ उदाहरण अनौपचारिक पत्रों के जो की इस प्रकार है -
1. पुरस्कार प्राप्त होने पर अपनी बड़ी बहन को पत्र।
एफ-155/5, रमेश नगर
नई दिल्ली
29 मार्च 2021
आदरणीय दीदी,
सादर प्रणाम!
आपका पत्र मिला था। मैं यहाँ कुशलतापूर्वक हूँ, आशा है आप सभी कुशलतापूर्वक होंगे। आपको जानकार प्रसन्नता होगी कि मुझे इस वर्ष का 'सर्वश्रेष्ठ समाजसेवी' पुरस्कार मिला है। यह पुरस्कार यहाँ की प्रसिध्द संस्था 'मानव सेवा समाज' द्वारा दिया गया है।
मैंने अपने विद्यालय की ओर से कारगिल युध्द में शहीद हुए सैनिकों के परिवारों की सहायतार्थ प्रधानमंत्री राहतकोष में देने के लिए बारह हजार रूपये एकत्र किए थे। किसी विद्यार्थी द्वारा एकत्र की जाने वाली यह सबसे अधिक राशि थी।
हमारी प्रधानाचार्या श्रीमती राधिका वर्मा भी समारोह में उपस्थित थीं। हमारे विद्यालय को भी सबसे अधिक धन-राशि एकत्र करने के लिए पुरस्कृत किया गया। आदरणीय जीजा जी को मेरा प्रणाम कहिएगा। अनुज और शोभा को मेरा प्यार।
आपकी प्रिय बहन,
तान्या
2. कविता प्रकाशित होने पर मित्र को पत्र लिखो।
ए-195/वन,
शास्त्री नगर, नई दिल्ली।
29 मार्च, 2021
प्रिय मित्र,
तुम्हें जानकर प्रसन्नता होगी कि मेरी कविता 'नव भारत टाइम्स' के रविवारीय अंक में प्रकाशित हुई है। हमारी हिंदी की अध्यापिका श्रीमती राधा शर्मा ने विद्यालय पत्रिका के लिए कविता लिखने के लिए कहा था। मैंने कविता लिखकर उन्हें दिखाई तो उन्होंने उसे समाचार-पत्र में भेजने के लिए कहा।
उनके कहने पर मैंने कविता भेजी थी। कविता प्रकाशित हुई तो मैंने सबको दिखाई। प्रधानाचार्या के कहने पर मैंने यह कविता प्रातः कालीन सभा में सभी विद्यार्थियों के समक्ष सुनाई थी।
अपनी रचना प्रकाशित होने पर अद्भुत आनंद मिलता है। तुम इन दिनों क्या कर रही हो? माता जी-पिता जी और राजेश भैया को मेरी ओर से प्रणाम करना।
तुम्हारी प्रिय सखी,
तान्या
3. अपने मित्र को परीक्षा में असफल होने पर सांत्वना पत्र लिखो।
225/14 सी, राज नगर,
गली नं. - 5 नई दिल्ली।
29 मार्च 2021
प्रिय सखी रोशनी,
मुझे कल रिया का पत्र मिला जिसमें उसने अपने और अपने मित्रों के परीक्षा परिणाम की सूचना दी है। पत्र को पढ़कर अत्यंत दुःख हुआ कि तुम इस वर्ष आठवीं कक्षा में अनुतीर्ण हो गई।
प्रिय सखी, तुमने पूरे वर्ष बहुत परिश्रम किया था। अपनी पढ़ाई बहुत मन लगाकर की थी। हाँ दो-तीन महीने पहले तुम्हारा स्वास्थ्य सही न होने के कारण तुम्हारी पढ़ाई के मार्ग में अवश्य बाधा आई। तुम्हारे परिश्रम को देखकर कोई अनुमान भी नहीं लगा सकता था कि तुम्हें असफलता का मुंह देखना पड़ेगा।
खैर जो कुछ हुआ सो हुआ। अब तुम्हें आगे का सोचना है। तुमने यह तो आवश्य ही पढ़ा होगा कि 'असफलता सफलता की सीढ़ी है।' जीवन में सफलता-असफलता तो आती रहती है, फिर सफल न होने पर निराश होकर बैठ जाना या हिम्मत हार जाना ठीक नहीं है बल्कि दुगुने उत्साह से आगे की ओर बढ़ना है।
मुझे विश्वास है कि तुमने अभी से अगले वर्ष के लिए सर्वोच्च अंक प्राप्त करने का संकल्प किया होगा तथा पूरे आत्म-विश्वास के साथ परीक्षा की तैयारी कर रही होगी। मेरे योग्य कोई सेवा हो तो लिखना। आंटी तथा अंकल को नमस्ते कहना व मिता को प्यार।
तुम्हारी सखी
तान्या
आओ देखें हमने क्या-क्या जाना
- पत्र के माध्यम से हम अपने मन के विचारों तथा भावों को सरलता से प्रकट कर सकते हैं।
- पत्र की भाषा सहज, स्पष्ट तथा सरल होनी चाहिए।
- पत्र दो प्रकार के होते हैं - औपचारिक पत्र और अनौपचारिक पत्र।
अभ्यास
फॉर्मेटिव अभ्यास
सोचिए और बताइए -
(क) पत्र किसे कहते हैं? बताओ।
(ख) पत्र लिखते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? बताओ।
(ग) पत्र कितने प्रकार के होते हैं? बताओ।
समेटिव अभ्यास
(क) अपने मित्र को अपने नए अध्यापक की विशेषताएँ बताते हुए पत्र लिखो।
(ख) नई कक्षा तथा विद्यालय के प्रथम दिन के अनुभव का वर्णन करते हुए अपने पिता को पत्र लिखो।
(ग) माता जी को छात्रावास का वातावरण बताते हुए पत्र लिखो।
(घ) थाना इंचार्ज को क्षेत्र में पढ़ते अपराधों की रोकथाम के लिए पत्र लिखो।
(ङ) आपका टेलीफोन दो सप्ताह से खराब है। इसकी शिकायत करते हुए किसी दैनिक समाचार पत्र के सम्पादक को पत्र लिखो।