प्रसिद्ध दोहाकार तुलसीदास, कबीर दास, मीराबाई, रहीम, तुलसीदास और सूरदास हैं। सबसे लोकप्रिय तुलसीदास की रामचरितमानस है। जो संस्कृत महाकाव्य रामायण का प्रतिपादन है।
गोस्वामी तुलसीदास के दोहे
1. तुलसी नर का क्या बड़ा, समय बड़ा बलवान।
भीलां लूटी गोपियाँ, वही अर्जुन वही बाण।।
अर्थ - तुलसीदास जी कहते हैं, समय बड़ा बलवान होता है, समय व्यक्ति को छोटा या बड़ा बनाता है। एक बार जब महान धनुर्धर अर्जुन का समय ख़राबचल रहा था तब वह भीलों के हमले से गोपियों की रक्षा नहीं कर पाए।
2. काम क्रोध मद लोभ की, जौ लौं मन में खान।
तौ लौं पण्डित मूरखौं, तुलसी एक समान।।
अर्थ - तुलसीदास जी कहते है की, जब तक व्यक्ति के मन में काम, गुस्सा, अहंकार, और लालच भरे हुए हैं तब तक एक ज्ञानी और मूर्ख व्यक्ति में कोई भेद नहीं रहता, दोनों एक जैसे ही हो जाते हैं।
3. मुखिया मुखु सो चाहिऐ खान पान कहुँ एक।
पालइ पोषइ सकल अंग तुलसी सहित बिबेक।।
अर्थ - मुखिया मुख के समान होना चाहिए जो खाने-पीने के लिए अकेला होता है, लेकिन सब अंगों का पालन-पोषण करता है।
4. राम चरित मानस धरि ध्यान।
बिनय अति अमित यह भागवान।।
5. जेहि कारणि लखी यह कोई।
सो वाल्मीकि कहा सुन तोई।।
6. मन रंजन मूरत रचित राका।
चरित सुनि गुण बिचार कराका।।
7. बिस्व बिनोद भूषण तुलसी दासा।
अस कहति हृदय सारिखी तासा।।
8. बाहुत अनय सुरति सुनि संतान।
भवानि बनिता सीता रान।।