मानव क्रियाकलाप के प्रकार क्या है - what are the types of human activity

मानव अपनी विभिन्न आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु कोई न कोई आर्थिक कार्य करता है। मानव द्वारा जीवन-यापन के लिए की जाने वाली इन्हीं आर्थिक क्रियाकलापों को व्यवसाय कहते हैं। 

इन आर्थिक क्रियाकलापों या व्यवसाय को मुख्य रूप से प्राथमिक, द्वितीयक, तृतीयक एवं चतुर्थक क्रियाकलापों में बाँटा गया है ।

1. प्राथमिक क्रिया-कलाप – ये वे व्यवसाय हैं जिनके द्वारा मनुष्य प्राकृतिक संसाधनों से सीधे भोजन, वस्त्र, आवास तथा अन्य सुविधाएँ प्राप्त करता है । इनका सीधा संबंध प्राकृतिक वातावरण की दशाओं से होता है। 

वनों से संग्रहण, आखेट, लकड़ी काटना, घास के मैदानों में पशु चराना, नदियों, झीलों व समुद्रों से मछली पकड़ना, पशुओं दूध, माँस, खालें आदि प्राप्त करना, उपजाऊ मैदानी भागों में कृषि करना तथा खानों से खनिज निकालना आदि प्राथमिक व्यवसायों के महत्वपूर्ण उदाहरण हैं। इन व्यवसायों की प्रमुख विशेषताएँ निम्नांकित हैं

  1. प्राथमिक व्यवसाय सरल होते हैं और कम बुद्धि का व्यक्ति भी इन्हें अपना सकता है। 
  2. ये व्यवसाय प्रायः परम्परागत होते हैं।
  3. ये व्यवसाय आदिम कालीन आर्थिक तथा सामाजिक संरचना के प्रतीक हैं।

यद्यपि विश्व के सभी भागों में लोग प्राथमिक व्यवसायों में लगे हुए हैं, किन्तु एशिया, अफ्रीका, दक्षिणी अमेरिका तथा उत्तरी ध्रुव प्रदेशों के अधिकांश निवासी प्राथमिक व्यवसाय में कार्यरत हैं।

2. द्वितीयक क्रिया-कलाप - प्राथमिक व्यवसायों से उपलब्ध उत्पादों को संशोधित कर अथवा उनका रूप बदलकर उन्हें अधिक उपयोगी वस्तुएँ बनाने की समस्त प्रक्रियाएँ द्वितीयक व्यवसाय के अन्तर्गत आती हैं। 

जैसे - कपास से सूती वस्त्र बनाना, गन्ने से शक्कर बनाना, लौह-अयस्क तथा कोयले आदि के सहयोग से लौह-इस्पात बनाना आदि। चूँकि इस व्यवसाय द्वारा नवीन पदार्थों का निर्माण होता है, अत: इसे निर्माण उद्योग कहा जाता है। 

इसके अन्तर्गत छोटी से छोटी वस्तु से लेकर बड़ी से बड़ी एवं जटिल वस्तुएँ, मशीनें, यन्त्र, औजार आदि बनाये जाते हैं। इस उद्योग की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं।

  1. अधिकांश उत्पादन मशीनों द्वारा होता है। 
  2. उत्पादन अत्यधिक मात्रा में किया जाता है। 
  3. अधिक पूँजी की आवश्यकता पड़ती है।
  4. विभिन्न प्रकार के औद्योगिक अनुसंधान होते रहते हैं। 
  5. ये व्यवसाय अर्थव्यवस्था के प्रमुख आधार होते हैं। 
  6. अधिकांश उत्पादन निर्यात के लिए किया जाता है। 
  7. उत्पादन एवं कार्यों का विशिष्टीकरण होता है।
  8. एक उद्योग के साथ अनेक सहायक उद्योग विकसित होते हैं। 
  9. उत्पादित वस्तुओं का नवीनीकरण होता रहता है। 
  10. वस्तु निर्माण उद्योग के तीन स्तर हैं - (a) कुटीर, (b) लघु, (c) वृहत् उद्योग।

3. तृतीयक क्रिया-कलाप - तृतीयक व्यवसाय के अन्तर्गत वे सभी सेवाएँ आती हैं, जो प्राथमिक एवं द्वितीयक व्यवसाय में लगे लोगों को व्यक्तिगत रूप से दी जाती हैं। इस व्यवसाय में लगे हुए लोग प्रत्यक्ष रूप से किसी वस्तु का उत्पादन नहीं करते, बल्कि अपनी कार्य कुशलता तथा तकनीकी क्षमता से समाज की सेवा करते हैं। 

इसीलिए इस व्यवसाय को "सेवा श्रेणी" भी कहा जाता है। परिवहन, व्यापार, संचार स्वास्थ्य, शिक्षा, प्रशासनिक सेवा आदि तृतीयक व्यवसाय के महत्वपूर्ण उदाहरण हैं।

4. चतुर्थक व्यवसाय  - मानव द्वारा किये जाने वाले उच्च स्तर के कार्य को इसके अंतर्गत रखा जाता है। जीन गॉटमैन के अनुसार - अप्रत्यक्ष सेवाएँ चतुर्थक व्यवसाय है। इस दृष्टि से अनुसंधान, प्रबन्धन, उच्च शिक्षा, मनोरंजन के साधन, सूचना तकनीक आदि चतुर्थक व्यवसाय हैं।

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