आत्महत्या के कारण - aatmahatya ke kaaran

किसी कारणवश व्यक्ति द्वारा स्वयं अपने जीवन का अन्त कर लेना आत्महत्या कहलाता है। आज के जटिल समाज में व्यक्ति अनेक सामाजिक, वैयक्तिक, पारिवारिक दबाव तथा तनाव से ग्रस्त रहता है। 

इसके परिणामस्वरूप व्यक्ति में कभी-कभी ऐसी भावना जन्म लेती हैं जिनके वशीभूत व्यक्ति तुरन्त ही अपने जीवन को समाप्त कर इस प्रकार के तनावों से मुक्त होना चाहता है। आत्महत्या सदा से विश्व में विद्यमान रही है।

परिभाषाएँ 

#1 आत्महत्या शब्द, मृत्यु की उन सभी घटनाओं के लिये प्रयोग किया जाता है जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से स्वयं मृतक की निश्चित या निषेधात्मक क्रिया का परिणाम है।

#2 आत्महत्या की समस्या एक रूप में व्यक्ति की उन तीव्रतम समस्याओं का समाधान है, जिसका हल वह किसी प्रकार नहीं पा रहा है। 

आत्महत्या के कारण

आत्महत्या किसी एक कारण से नहीं होती हैं। इसके अनेक कारण जिम्मेदार होते हैं। निराशा, हताशा, दुश्मनों के शिकंजे से बचना, धार्मिक कृत्य की पूर्ति, दबाव आत्महत्या के लिये जिम्मेदार होते हैं। आत्महत्या के प्रमुख कारण निम्न निखित हैं -

1. शारीरिक दशाएँ - व्यक्ति की शारीरिक दशाएँ, आत्महत्या का कारण बनती हैं। यौन अथवा लिंग आत्महत्या का एक शारीरिक कारक है। पुरुषों में आत्महत्या की संख्या कम तथा स्त्रियों में अधिक पाई जाती है। 

पश्चिमी देशों में पुरुष आत्महत्या अधिक करते हैं। इसका कारण पुरुषों का अन्तर कोमल होना है। मरने की इच्छा का दुर्बल होना, आत्महत्या के साधनों का चयन, 30 वर्ष की आयु से कम में मरने की इच्छा आदि साधन तथा कारण आत्महत्या पर प्रकाश डालते हैं।

प्रायः देखा गया है कि स्त्रियाँ कम घातक साधन प्रयुक्त करती हैं।आयु के बढ़ने से आत्महत्या बढ़ती है। 45 से 60 वर्ष की आयु के मध्य, आत्महत्या की दर अधिक पाई गई। साथ ही शारीरिक बीमारियाँ, शारीरिक दोष, पाप भावना का विकास आदि भी आत्महत्या के लिये परिस्थितियाँ पैदा करते हैं।

2. मानसिक दशाएँ - मानसिक दशाएँ, व्यक्ति को आत्महत्या के लिये प्रेरित करती हैं। क्रोधी, गतिशील, अन्तर्मुखी तथा भावुक व्यक्ति आत्महत्या अधिक करते हैं। 

साथ ही मानसिक बीमारियाँ, जैसेमनोस्नायु विकृति, उन्माद स्नायु दौर्बल्य, चिन्ता अवस्थाएँ, संवेगात्मक अस्थिरता, निराशा, बौद्धिक प्रखरता, पातक भावना, मानसिक दुर्बलता आदि भी आत्महत्या के प्रमुख कारण हैं।

3. पारिवारिक दशाएँ - पारिवारिक विघटन के लिये उत्तरदायी कारण भी आत्महत्या के लिये प्रेरित करते हैं। तलाकशुदा लोगों में आत्महत्या का प्रतिशत अधिक पाया जाता है। 

रोमांस की असफलता, मातृहीनता, दहेज प्रथा, विधवा विवाह निषेध, दुर्व्यवहार तथा वैवाहिक दशाएँ आत्महत्या के कारण हैं।

4. आर्थिक दशाएँ - निर्धनता, बेरोजगारी, व्यवसाय, व्यापार चक्र, पद की हानि, आराम की हानि, सुरक्षा की हानि आदि भी आत्महत्या की दशाएँ हैं। इलियट एवं मैरिल ने ठीक ही कहा है। 

जैसे-जैसे व्यापार-चक्र नीचे की ओर जाता है वैसे-वैसे आत्महत्या की मात्रा में वृद्धि होती जाती है।

5. भौगोलिक दशाएँ - विश्वकोश के अनुसार, बसन्त में आत्महत्याएँ अधिक होती हैं। यह दर जनवरी से बढ़ती हुई मई तक चरम सीमा पर पहुँचती है। 

जुन से दिसम्बर तक आत्महत्या की दर में धीरे-धीरे कमी होने लगती है। वर्षा, अकाल, बाढ़, प्राकृतिक आपदा, भूमि की उर्वरता आदि आत्महत्या के विशेष कारण हैं।

6. पारिस्थितिकी - कैवन ने शिकागो का अध्ययन कर ये निष्कर्ष निकाले कि व्यापारिक केन्द्र जहाँ गंदे होटल आदि होते हैं। गृहविहीन लोग रहते हैं, जनसंख्या गतिशील है। एक-दूसरे से  सम्बन्धित नहीं हैं। व्यावसायिक दुर्गुण है।वहाँ पर आत्महत्या के मामले अधिक पाये जाते हैं। 

7. नगरीकरण - नगरों में बढ़ती भीड़ के साथ-साथ प्राथमिक सम्बन्धों में भी शिथिलता आती जा रही है। सोरोकिन तथा जिमरमैन ने नगरों में आत्महत्याओं के कारण, मनुष्यों  में सामुदायिक परम्पराओं,भावनाओं, विश्वास, स्वार्थ तथा सम्बन्धों की घनिष्ठता का समाप्त होना बताया है। 

8. धार्मिक दशाएँ - धर्म, आत्महत्या को पाप मानता है। धर्म की सर्व स्वीकृत धारणा है कि आत्महत्या पाप है। यह आत्महत्या की दर को नियन्त्रित करता है, किन्तु जापान में हाराकिरी, धार्मिक कृत्य माना जाता है। 

9. समाजीकरण - यदि व्यक्ति का समाजीकरण ठीक नहीं हुआ उसमें समाजीकरण के दोष पाये जाते हैं तो आत्महत्या की परिस्थितियाँ उत्पन्न होती हैं। 

10. युद्ध - युद्ध में व्यक्ति संगठित हो जाते हैं। राष्ट्रीय तथा देशभक्ति के तत्व उभरते हैं। किन्तु युद्ध के बाद की विभीषिका अत्यन्त भयानक होती है। यह विभीषिका आत्महत्या की दशाएँ पैदा करती हैं। 

11. मद्यपान - मदिरापान, व्यक्ति में असामान्य व्यवहार उत्पन्न करता है । मद्यपान की अधिकता से मानसिक क्रियाएँ अनियन्त्रित एवं शिथिल हो जाती हैं। कुछ व्यक्ति ऐसी स्थिति में आत्महत्या कर लेते हैं।

12. स्थान परिवर्तन  - स्थान तथा देश परिवर्तन के कारण सांस्कृतिक आघात के कारण आत्महत्या की दरों में वृद्धि होती है।

13. गिरफ्तारी - किसी कारण से अपराध अथवा संदिग्ध परिस्थितियों में गिरफ्तारी के कारण, व्यक्ति अपने को अपराध बोध तथा सामाजिक अपमान अनुभूति से पीड़ित होकर आत्महत्या की ओर बढ़ता है।

14. परीक्षा  - आजकल परीक्षाफल निकलने के दिनों में असफल व्यक्ति आत्महत्या की ओर अग्रसर होते हैं।

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