अमेरिकी सीनेट तथा ब्रिटिश लार्ड सभा की तुलना

सीनेट अमेरिकी काँग्रेस का और लार्ड सभा ब्रिटिश संसद का द्वितीय सदन है। रचनाओं और शक्ति की दृष्टि से ब्रिटिश लार्ड सभा तथा अमेरिका की सीनेट में काफी भेद है। 

ब्रिटिश लार्ड सभा व अमेरिकी सीनेट की शक्तियों व कार्यों का तुलनात्मक वर्णन कीजिए।

जहाँ सीनेट संसार के द्वितीय सदनों में सर्वाधिक शक्तिशाली है वहीं लार्ड सभा को संसार के द्वितीय सदनों में सर्वाधिक शक्तिहीन सदन कहा गया है। रचना और शक्ति की दृष्टि से सीनेट तथा लार्ड सभा की तुलना निम्नलिखित आधारों पर की जा सकती हैं। 

(अ) रचना के दृष्टिकोण से अन्तर- एक राजनीतिक संस्था के कार्यों एवं शक्तियों पर उसकी रचना का प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है। अमेरिकी सीनेट और लार्ड सभा की रचना में तीन प्रमुख अन्तर निम्नलिखित हैं-

(1) निर्वाचन सम्बन्धी अन्तर- लार्ड सभा के अधिकांश सदस्य वंश परम्परा के आधार पर अपना पद ग्रहण करते हैं, इस कारण वह जनन-प्रतिनिधि होने का दावा नहीं कर सकते हैं तथा बिना किसी प्रयास के मिली हुई सदस्यता उनके लिए तिरस्कार की वस्तु बन सकती है। 

अमेरिकी सीनेट के सदस्य प्रत्यक्ष निर्वाचन के आधार पर अपना पद ग्रहण करते हैं। प्रयासपूर्वक प्राप्त की गई सदस्यता को वह सम्मान की दृष्टि से देखते हैं और जन-प्रतिनिधि होने का दावा कर सकते हैं।

(2) सदस्य संख्या - अमेरिकी सीनेट की सदस्य संख्या निश्चित अर्थात् 102 है, जबकि लार्ड सभा की सदस्य संख्या परिवर्तनीय और अधिक (वर्तमान में लगभग 1,200) है। 

एक हजार से अधिक सदस्यों वाली लार्ड सभा न तो ठीक प्रकार से कार्यों का संचालन कर सकती है और न ही उससे ऐसी उम्मीद की जा सकती है, परन्तु सीनेट एक छोटी संस्था होने के कारण एक सुसंगठित इकाई के रूप में कार्य करती है।

(3) कार्यकाल-लार्ड सभा एक स्थायी सदन है। इसके अधिकांश सदस्यों के पास आजीवन सदस्यता होती है। हालांकि सीनेट एक स्थायी सदन है, परन्तु इसके एक-तिहाई सदस्य प्रति दूसरे वर्ष सेवा निवृत्त होते जाते हैं। सीनेट के सदस्यों का चुनाव 6 वर्ष की अवधि के लिए होता है।

(ब) शक्तियों के दृष्टिकोण से अन्तर- शक्तियों की दृष्टि से सीनेट लार्ड सभा की तुलना में अत्यधिक शक्तिशाली है। इन शक्तियों की तुलना व्यवस्थापन, विधायी, कार्यपालिका और न्यायिक क्षेत्रों में की जा सकती है।

(1) व्यवस्थापन सम्बन्धी कार्य एवं शक्तियाँ-कॉमन्स सभा की तुलना में लाई सभा की शक्तियाँ काफी कम हैं। लार्ड सभा किसी विधेयक को अधिकतम एक वर्ष के लिए रोक सकती है। सामान्य विधेयक दोनों में से किसी भी सदन में प्रस्थापित किया जा सकता है। 

सीनेट की व्यवस्थापन शक्तियाँ प्रतिनिधि सभा के समान हैं। विधेयक को पारित करने के लिए दोनों सदनों की स्वीकृति आवश्यक है। सामान्य विधेयक दोनों में से किसी भी सदन में प्रस्थापित किया जा सकता है। ।

(i) वित्तीय व्यवस्थापन सम्बन्धी शक्तियाँ-वित्त विधेयक लार्ड सभा में प्रस्थापित नहीं किये जा सकते। वित्त विधेयक अनिवार्यतया कॉमन्स सभा में ही सर्वप्रथम स्थापित किये जाते हैं। इस बारे में लार्ड सभा की शक्तियाँ नगण्य हैं। वह किसी वित्तीय विधेयक को अधिकतम एक महीने तक रोक सकती है। 

सीनेट एवं प्रतिनिधि सभा की शक्तियाँ सामने हैं। यद्यपि वित्त विधेयक पहले प्रतिनिधि सभा में प्रस्थापित किये जाते हैं, परन्तु सीनेट उसमें इच्छानुसार संशोधन कर सकती है। वित्त विधेयक को पारित कराने हेतु दोनों सदनों की स्वीकृति आवश्यक है।

(ii) साधारण विधेयकों के सम्बन्ध में शक्तियाँ- साधारण विधेयकों के बारे में भी सीनेट की स्थिति ही अधिक शक्तिशाली है। जहाँ तक विधेयकों के प्रस्तुतीकरण का प्रश्न है, दोनों की स्थिति एक समान है, क्योंकि सीनेट और लार्ड सभा दोनों में ही साधारण विधेयकों का प्रस्तुतीकरण हो सकता है। 

परन्तु सीनेट की स्वीकृति के बिना जहाँ अमेरिका में कोई भी विधेयक पारित नहीं हो सकता, वहीं इंग्लैण्ड की लार्ड सभा किसी साधारण विधेयक को सिर्फ एक वर्ष हेतु रोक सकती है तथा उसके पश्चात् वह विधेयक सम्राट् की स्वीकृति के बाद कानून का रूप धारण कर लेता है।

(iii) सवैधानिक विधेयकों के सम्बन्ध में शक्तियाँ-जहाँ तक संवैधानिक विधेयकों का प्रश्न है, लार्ड सभा की स्थिति साधारण विधेयकों जैसी ही है। इसके विपरीत सीनेट की स्थिति लार्ड सभा की तुलना में अत्यधिक शक्तिशाली है, क्योंकि संवैधानिक विधेयकों के विषय में उसे सभी प्रकार से प्रतिनिधि सभा के समान अधिकार प्राप्त हैं। 

सीनेट एवं प्रतिनिधि सभा दोनों में ही सवैधानिक विधेयक पेश किये जा सकते हैं तथा जब तक दोनों सदन किसी संवैधानिक विधेयक पर एकमत न हो जायें, वह काँग्रेस द्वारा पारित नहीं हो सकते।

(2) कार्यपालिका सम्बन्धी कार्य एवं शक्तियाँ- कार्यपालिका पर लार्ड सभा का कोई प्रभावी नियन्त्रण नहीं होता है। प्रधानमन्त्री एवं उसकी मन्त्रिपरिषद् कॉमन्स सभा के प्रति उत्तरदायी होती है। 

हालांकि मन्त्रिपरिषद् में लार्ड सभा के भी कुछ सदस्य होते हैं तथा लार्ड सभा के सदस्यों को मन्त्रियों से प्रश्न पूछने, आलोचना करने, कटौती प्रस्ताव रखने इत्यादि का अधिकार अवश्य है। 

परन्तु वह मन्त्रिपरिषद् के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव नहीं रख सकते तथा उसका कोई महत्व भी नहीं है।सीनेट का कार्यपालिका पर प्रभावी नियन्त्रण रहता है । 

यद्यपि कार्यपालिका (राष्ट्रपति) तथा उसके मन्त्रिमण्डल में सीनेट के सदस्य नहीं होते तथा न ही वह राष्ट्रपति व उसके मन्त्रियों से लार्ड सभा के सदस्यों की तरह प्रश्न पूछ सकते हैं फिर भी राष्ट्रपति द्वारा की गई नियुक्तियों की पुष्टि करके तथा शासन के विरुद्ध प्राप्त शिकायतों की जाँच करके, वे कार्यपालिका पर प्रभावी नियन्त्रण रखते हैं।

(3) न्यायिक शक्तियाँ- महाभियोगों की जाँच करके उन पर निर्णय देने का कार्य एक ऐसा न्यायिक कार्य है, जो अमेरिकी सीनेट एवं ब्रिटिश लार्ड सभा दोनों के द्वारा किया जाता है। परन्तु न्यायिक क्षेत्र में इस दृष्टि से ब्रिटिश लार्ड सभा की स्थिति अमेरिकी सीनेट की तुलना में उच्चतर है। 

क्योंकि ब्रिटिश लार्ड सभा अपनी न्यायिक समिति के माध्यम से जहाँ ग्रेट ब्रिटेन और उत्तरी आयरलैण्ड के लिए अपील का सर्वोच्च न्यायालय है. अमेरिकी सीनेट को इस प्रकार की शक्ति प्राप्त नहीं है।

(4) विदेश नीति के सम्बन्ध में प्राप्त शक्तियाँ-विदेश नीति अथवा विदेशों के साथ ब्रिटिश सरकार द्वारा किये गये समझौतों के बारे में लार्ड सभा को सामान्य विचार-विमर्श करने के अतिरिक्त कोई अधिकार प्राप्त नहीं है। 

जबकि अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा विदेशों से की गई सन्धियों की सीनेट द्वारा पुष्टि आवश्यक है। उपर्युक्त से स्पष्ट है कि सिर्फ न्यायालय के क्षेत्र को छोड़कर व्यवस्थापन एवं कार्यपालन दोनों के क्षेत्र में अमेरिकी सीनेट ब्रिटिश लार्ड सभा से अधिक शक्तिशाली है। 

विधायिका के दोनों सदनों की पारस्परिक स्थिति की दृष्टि से भी अमेरिकी सीनेट की स्थिति लार्डसभा से अच्छी है। क्योंकि अमेरिकी सीनेट जहाँ प्रतिनिधि सभा की तुलना में अत्यधिक सबल है, लार्ड सभा वहाँ लोकसदन की तुलना में अत्यधिक निर्बल है। 

प्रो. स्ट्रोंग के शब्दों में अमेरिकी सीनेट को अत्यधिक शक्तियाँ प्राप्त हैं। सम्भवतया संसार का कोई ऐसा द्वितीय सदन नहीं होगा। 

जो राष्ट्रीय सरकार के समस्त मामलों में वास्तविक तथा सीधा महत्वपूर्ण प्रभाव रखता हो। विदेशी मामलों से लेकर संघीय कानून निर्मित करने, बिल तथा सहकारी क्षेत्र की प्रत्येक छोटी-से-छोटी बात पर सीनेट का प्रत्यक्ष प्रभाव है।

प्रो. मुनरो ने तो यहाँ तक कहा है कि अभी तक ऐसा कोई समय नहीं आया है और सम्भवतया कभी आयेगा भी नहीं, जबकि काँग्रेस का दूसरा सदन अर्थात् सीनेट द्वितीय श्रेणी का सदन कहलायेगा। सम्भवतया सीनेट की स्थिति वैसी कदापि नहीं होगी, जैसी कि ग्रेट ब्रिटेन की संसद में लार्ड सभा की हुई है । 

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