स्विस संघीय सभा के संगठन एवं शक्तियों का वर्णन कीजिए

स्विट्जरलैण्ड में द्विसदनात्मक व्यवस्थापिका सभा है। संघ की व्यवस्थापिका सभा को फैडरल एसेम्बली कहते हैं। उसके निम्न सदन को राष्ट्रीय परिषद् और उच्च सदन को राज्य परिषद् के नाम से सम्बोधित किया जाता है।

राष्ट्रीय परिषद् की रचना

राष्ट्रीय परिषद की रचना स्विटजरलैण्ड की जनता द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधियों द्वारा होती है। समस्त देश प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों में विभाजित कर दिया जाता है। संविधान ने इस सभा के सदस्यों की संख्या निश्चित नहीं की है। इस सम्बन्ध में व्यवस्था है कि प्रति 22 हजार व्यक्तियों पर एक प्रतिनिधि इस सभा के लिये निर्धारित होनी चाहिए। इस समय इसकी सदस्य संख्या 200 है। 

जिन कैटनों की जनसंख्या अधिक होती है उनकी सदस्य संख्या अधिक होती है। बर्न जैसे बड़े कैंटनों से 33 प्रतिनिधि इस सभा के सदस्य निर्वाचित होते हैं और कुछ ऐसे कैंटन भी हैं जहाँ से केवल एक ही प्रतिनिधि निर्वाचित किया जाता है। संघ की सरकार प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों का निर्माण करती है। इस सम्बन्ध में विशेष रूप से ध्यान रखा जाता है कि एक निर्वाचन क्षेत्र में एक कैंटन के प्रदेश ही शामिल हों। इस कौंसिल के सदस्यों का निर्वाचन समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के आधार पर किया जाता है। 

इस व्यवस्था द्वारा उन राजनीतिक दलों को भी अपने सदस्य निर्वाचित करने का अवसर प्राप्त हो जाता है जिसका बहुमत नहीं होता। जिन कैटनों में से एक से अधिक सदस्यों का निर्वाचन किया जाता है उसको ऐसे निर्वाचन क्षेत्रों में विभाजित किया जाता है कि इनमें दो या तीन व उससे भी अधिक सदस्यों का निर्वाचन हो सके।

राष्ट्रीय परिषद् की अवधि – 1930 ई. के पूर्व राष्ट्रीय परिषद् की अवधि तीन वर्ष निश्चित थी, किन्तु इसके उपरांत उसकी अवधि चार वर्ष निश्चित कर दी गई है। अतः अब इसकी अवधि चार वर्ष हो गई और उसके समस्त सदस्यों का निर्वाचन चार वर्ष के लिये ही किया जाता है।

निर्वाचकों की योग्यता - स्विट्जरलैण्ड का प्रत्येक पुरुष, जिसकी आयु 20 वर्ष से अधिक है, निर्वाचक होता है। ऐसे प्रत्येक पुरुष को मतदान का अधिकार प्राप्त होता है। राज्य परिषद् का निर्माण स्विट्जरलैण्ड के व्यवस्थापन विभाग का द्वितीय सदन राज्य परिषद् कहलाता है। 

इसकी सदस्य संख्या 44 निश्चित है। स्विट्जरलैण्ड के कैंटनों की संख्या 25 है, किन्तु इसमें से 6 कैंटन ऐसे हैं जिनको पूरा कैटन नहीं माना जाता, वरन् उनको आधा कैंटन स्वीकार किया जाता है। वहाँ तीन कैटर-डन्टर- वाल्डन, आयनजेच और बास्ल ऐसे हैं जो शासन के प्रयोजन के लिये दो भागों में बाँट दिये गये हैं जिसके कारण वे तीन कैंटन न होकर छ कैटन बन जाते हैं। 

उनकी स्थानीय सरकारें भी छः होती हैं। परन्तु जहाँ तक राज्य परिषद् में प्रतिनिधि भेजने का प्रश्न है उसको तीन ही कैंटन माने जाते हैं।

इस प्रकार राज्य परिषद् के निर्माण के लिये 22 कैंटन स्वीकार किये गये हैं और प्रत्येक कैंटन को राज्य परिषद के लिये दो सदस्यों को भेजने का अधिकार प्राप्त है। इसम यह व्यवस्था नहीं की गयी कि अधिक जनसंख्या वाले कैंटन अधिक सदस्य भेजें और कम जनसंख्या वाले कैंटन कम सदस्य भेजें। इस प्रकार इसका निर्माण भारत की राज्यसभा के अनुसार न होकर संयुक्त राज्य अमेरिका की सीनेट के अनुसार होता है। 

इस प्रकार प्रत्येक कैटन को चाहे वह छोटा हो या बड़ा राज्य परिषद के लिये दो सदस्यों के निर्वाचित करने की व्यवस्था है। यह निर्णय करने का अधिकार प्रत्येक कैंटन को प्राप्त है कि वह किस प्रकार से कितने समय के लिये अपने प्रतिनिधियों का निर्वाचन एक वर्ष के लिये, कुछ दो वर्ष के लिये, कुछ तीन वर्ष के लिए तथा कुछ चार वर्ष के लिये करते हैं। 

कुछ कँटनों में राज्य परिषद के सदस्यों का निर्वाचन जनता द्वारा और कुछ राज्यों में उनका निर्वाचन कैंटन की विधानसभा द्वारा किया जाता है। इस प्रकार स्विटजरलैण्ड में इसके निर्माण के लिये समान व्यवस्था को नहीं अपनाया गया है। यह कार्य पूर्णतया कँटनों की सरकारों पर छोड़ दिया है।

दोनों सदनों के समान अधिकार-विटजरलैण्ड में फैडरल एसेम्बली के दोनों सदनों-राष्ट्रीय परिषद और राज्य परिषद को समान अधिकार प्राप्त हैं। जिस प्रकार से संयुक्त राज्य अमेरिका की सीनेट को विशेष अधिकार प्राप्त है उसी प्रकार स्विट्जरलैण्ड में राज्य परिषद् को विशेष अधिकार प्राप्त नहीं हैं और जिस प्रकार इंग्लैण्ड की लोकसभा को विशेष अधिकार प्राप्त नहीं हैं उसी प्रकार स्विट्जरलैण्ड में राष्ट्रीय परिषद् को विशेष अधिकार प्राप्त नहीं हैं। यद्यपि वैधानिक दृष्टि से दोनों सदनों के अधिकार समान है, किन्तु व्यावहारिक दृष्टि से राज्य परिषद् का महत्व राष्ट्रीय परिषद् के महत्व की अपेक्षा कम है।

सम्मिलित बैठक के कार्य स्विटजरलैण्ड में ऐसी व्यवस्था है कि कार्यों का कुछ सम्पादन दोनों सदनों की सम्मिलित बैठक द्वारा किया जाता है। ये कार्य इस प्रकार हैं 

(1) संघ के बड़े-बड़े पदाधिकारियों का निर्वाचन करना। संघ के बड़े-बड़े पदाधिकारियों में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, चांसलर तथा संघीय न्यायालय के न्यायाधीश आते हैं। (2) संघीय सरकार तथा अन्य किसी शक्ति के विवादों का निर्णय करना। (3) फैडरल कौंसिल के सातों सदस्यों का निर्वाचन करना (4) क्षमा प्रदान कना।

फैडरल एसेम्बली के अधिकार और कार्य

फैडरल एसेम्बली के अधिकार और कार्य निम्नलिखित हैं

1. विधायिनी अधिकार तथा कार्य – जिन विषयों पर संघ को अधिनियम बनाने का अधिकार प्राप्त है, उन समस्त विषयों पर फैडरल एसेम्बली को भी अधिनियम बनाने का अधिकार प्राप्त है। समस्त अधिनियमों की रूपरेखा उसके सामने प्रस्तुत की जाती है और उनके द्वारा स्वीकृति हो जाने पर वे अधिनियम का रूप धारण कर लेते हैं। वहाँ के राष्ट्रपति को उन विधेयकों के सम्बन्ध में निषेधाधिकार प्राप्त नहीं हैं जिस विधेयकों को फैडरल एसेम्बली में स्वीकृत कर लिया गया है, किन्तु इस सम्बन्ध में जनता को यह अधिकार अवश्य प्राप्त है कि वह अपने अधिकारों का प्रयोग कर किसी विधेयक को अधिनियम बनाने से रोक सकता है।

2. वित्त सम्बन्धी अधिकार तथा कार्य – फैडरल एसेम्बली को वित्त सम्बन्धी अधिकार भी प्राप्त हैं। संघ के वित्त पर उसका पूर्ण अधिकार तथा नियन्त्रण है। वह प्रत्येक वर्ष के आरम्भ में आय-व्यय के ब्यौरे को पास करती है जो उसके समक्ष स्विट्जरलैण्ड की कार्यपालिका फैडरल कौंसिल द्वारा प्रस्तुत किया जाता है। उसको करों की मात्रा निश्चित करने तथा सरकारी आय को व्यय करने का अधिकार प्राप्त है।

3.राज्यों के उच्च पदाधिकारियों की नियुक्ति करना - यद्यपि संविधान द्वारा राज्य की कार्यपालिका शक्ति फैडरल कौंसिल में निहित है, किन्तु कुछ सीमा तथा फैडरल एसेम्बली भी इस शक्ति का प्रयोग करती है। वह राज्य के उच्च पदाधिकारियों की नियुक्ति करती है। वह फैडरल कौंसिल के सदस्यों का निर्वाचन, उसके अध्यक्ष का निर्वाचन, संघीय न्यायाधीशों का निर्वाचन तथा प्रधान सेनापति का निर्वाचन करती है।

अन्य देशों में उच्च पदाधिकारियों की नियुक्ति इस प्रकार से नहीं की जाती हैं। 

अन्य कार्य उक्त कार्यों के अतिरिक्त स्विटजरलैण्ड का व्यवस्थापन विभाग कुछ अन्य कार्य भी करता है जो निम्नलिखित हैं

(i) अन्य देशों के साथ किये गये समझौते तथा संधियों को स्वीकार करना। 

(ii) कैटनों द्वारा परस्पर किये गये कँटनों द्वारा पड़ोस के अन्य राज्यों के साथ किये गये समझौते व संधियों को स्वीकार करना।

(iii) अपने देश की बाह्य आक्रमण के समय रक्षा करने की व्यवस्था करना, किसी देश के विरुद्ध युद्ध की घोषणा करना तथा उसके उपरान्त शांति की स्थापना करना।

(iv) कैटनों की सीमा की रक्षा करना तथा देश में आंतरिक शांति की स्थापना करना। 

(v) संघ की सेना पर नियन्त्रण रखना। 

(vii) क्षमा प्रदान करना। 

(viii) स्थानीय राज-कर्मचारियों पर नियन्त्रण रखना। 

(ix) संघीय सरकार के पदाधिकारियों के क्षेत्राधिकार के सम्बन्धी विवादों का निर्णय करना।

यद्यपि ये समस्त कार्य स्विटजरलैण्ड की कार्यपालिका–फैडरल कॉसिल करती है, किन्तु इस समस्त कार्यों के सम्बन्ध में उसको फैडरल एसेम्बली की स्वीकृति प्राप्त करना आवश्यक है।

स्विटजरलैण्ड के व्यवस्थापन विभाग के सम्बन्ध में विद्वानों ने अपने मत इस प्रकार प्रकट किये हैं-लार्ड ब्राइस का कथन है कि, 'स्विट्जरलैण्ड का व्यवस्थापन विभाग बड़ी ईमानदारी से कार्य करने वाली संस्था है, जो शांति तथा देशप्रेमं से प्रभावित होकर अपने कार्य का सम्पादन करती है। 

वहाँ के सदस्य व्यर्थ में ओजस्वी भाषण नहीं देते न भाषण की प्रशंसा की जाती है और न बीच में उनकी काट ही की जाती है। उनको अपने कार्य से विशेष सम्बन्ध रहता है। ऑग के शब्दों में उसके सदस्यों की बुद्धि तथा उनकी ईमानदारी बहुत ऊँची है। इनमें राजनीतिक दलबंदी की भावना का अभाव है। वहाँ का अध्यक्ष समस्त व्यक्तियों के साथ सहानुभूति और निष्पक्षता के साथ व्यवहार करता है। 

वहाँ अनुशासन भंग नहीं होता। वहाँ नियम थोड़े हैं वे बहुत साधारण हैं। किसी विधेयक पर वाद-विवाद बन्द करने की माँग सदन के 1/13 सदस्यों द्वारा की जा सकती है, किन्तु उस समय तक ऐसा नहीं किया जाता जब तक कि एक भी सदस्य को जो वाद-विवाद में भाग लेना चाहता है अथवा कोई संशोधन प्रस्तुत करना चाहता है, अपने विचार प्रकट करने की आज्ञा प्राप्त नहीं हो गई हो। 

इस प्रकार फैडरल एसेम्बली का कार्य बहुत उच्च कोटि का होता है और समस्त सदस्य आदर्श नागरिकता से प्रभावित होकर कार्य का सम्पादन करते हैं। संसार के किसी अन्य देश में ऐसा नहीं होता है।

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