संधि ‘संस्कृत भाषा का शब्द है। दो वर्णों के मेल से होने वाले विकार को संधि कहते हैं | स्वर, व्यंजन एवं विसर्ग नाम की तीन संधियाँ होती हैं। स्वर संधि के दीर्घ, गुण, वृद्धि, यण एवं अयादि नामक पाँच भेद होते हैं। पाँचों प्रकार की स्वर संधियों के उदाहरण दृष्टव्य है
- दीर्घ स्वर संधि - शिव + आलय = शिवालय
- गुण स्वर संधि - देव + + इन्द्र = देवेन्द्र
- वृद्धि स्वर संधि - मत + एक्य = मतैक्य
- यण स्वर संधि - यदि + अपि = यद्यपि
- अयादि स्वर संधि - ने + अन = नयन
संधि की परिभाषा देते हुए उसके भेदों को उदाहरण सहित समझाइए
संधि संस्कृत का शब्द है। दो वर्णों के मेल से जो विकार उत्पन्न होता है, उस विकारजन्य मिलावट को सन्धि कहते हैं । जैसे- विद्या + आलय = विद्यालय,
वर्णों के आधार पर सन्धि के तीन भेद होते हैं
- स्वर सन्धि
- व्यंजन सन्धि
- विसर्ग सन्धि
स्वर सन्धि - दो स्वरों के मेल से उत्पन्न विकार को स्वर सन्धि कहते हैं । इसके पाँच भेद हैं
- दीर्घ स्वर सन्धि
- गुण स्वर सन्धि
- वृद्धि स्वर सन्धि
- यण् स्वर सन्धि
- अयादि स्वर सन्धि