अमेरिका में न्यायिक पुनर्निरीक्षण के कार्यकरण की विवेचना कीजिए ।

अमेरिका में न्यायिक पुनर्विलोकन उत्तर अमेरिका के संविधान में स्पष्ट रूप से कहीं भी न्यायिक पुनर्विलोकन की शक्ति का उल्लेख नहीं है। 

अमेरिका में न्यायिक पुनर्निरीक्षण के कार्यकरण की विवेचना कीजिए। 

फिर भी संविधान के लिखित तथा अचल रूप और संघात्मक व्यवस्था से यह शक्ति स्पष्ट रूप से न्यायपालिका को प्राप्त हो जाती है। पहली बार मुख्य न्यायाधीश मार्शल ने 1803 ई. में मारबरी बनाम मेडीसन के मुकदमे के निर्णय में इसका उल्लेख किया था ।

अमेरिकी न्यायिक पुनर्विलोकन का स्वरूप-अमेरिका में न्यायिक पुनर्विलोकन के निम्नांकित तत्व हैं – 

(1) अमेरिका में शक्तियों के पृथक्करण का सिद्धान्त है। 

(2) अमेरिका में संविधान, बनाये गये कानून और उसके अन्तर्गत की गयी सन्धियाँ सर्वोच्च कानून हैं।

(3) काँग्रेस ऐसा कोई कानून नहीं बना सकती जो संविधान के प्रतिकूल हो । 

(4) अमेरिकी सर्वोच्च न्यायालय को यह अधिकार है कि वह संविधान का विरोध करने वाले कानूनों को अवैध घोषित कर दे। 

(5) अमेरिकी न्यायपालिका को संविधान की भी व्याख्या करने का अधिकार है। 

(6) अमेरिकी न्यायपालिका वहाँ की कार्यपालिका से पूर्ण स्वतन्त्र है । न्यायिक पुनर्विलोकन की विशेषताएँ- 

अमेरिका में न्यायिक पुनर्विलोकन की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

(i) यह संविधान में अन्तर्निहित है- संविधान की दो धाराओं में इसका परोक्ष रूप से उल्लेख है । संविधान की चौथी धारा की उपधारा -2 में यह उल्लेख है कि यह संविधान और संयुक्त राज्य के वे कानून, जो उसके अनुसार बनाये जायें और वे सन्धियाँ जो संयुक्त राज्य के अधिकार के अन्तर्गत की गयी हों, देश के अन्दर सर्वोच्च कानून होंगे। 

संविधान की धारा 3 की उपधारा-2 में भी यह व्यवस्था है कि "कानून और औचित्य के अनुसार न्यायपालिका की शक्ति के क्षेत्र में वे सभी मामले आयेंगे जो इस संविधान, संयुक्त राज्य के कानूनों एवं उनके अन्तर्गत की गयी या की जाने वाली सन्धियों के अन्तर्गत उत्पन्न हों।

(ii) यह राजनीतिक व्यवस्था का सन्तुलन चक्र है - अमेरिका का संविधान संधात्मक व्यवस्था की स्थापना करता है तथा साथ ही शक्तियों के पृथक्करण के आधार पर सरकार का संगठन करता है। इससे दो स्तर पर शक्तियों के सन्तुलन की आवश्यकता पड़ती है। 

एक स्तर पर संघीय और राज्यों की सरकारों की शक्तियों में तथा दूसरे स्तर पर संघीय सरकार के तीनों अंगों की शक्तियों के मध्य । न्यायिक पुनर्विलोकन इन दोनों ही स्तरों पर सन्तुलन चक्र का कार्य करता है। 

(iii) यह विवादग्रस्त है - अमेरिकी संविधान में स्पष्ट रूप से इससे सम्बन्धित व्यवस्था का अभाव या न्यायालयों की ऐसी शक्ति के प्रावधान का न होना अब भी न्यायिक पुनर्विलोकन को विवाद का विषय बनाये हुए है।

(iv) इसका क्षेत्र व्यापक है- अमेरिकी संविधान का संक्षिप्त रूप, कानून की उचित प्रक्रिया तथा मौलिक अधिकारों के परम रूप से चलते न्यायिक पुनर्विलोकन का क्षेत्र व्यापक हो गया है ।

(v) यह संविधान की सर्वोच्चता स्थापित करता है - अमेरिका के संविधान के द्वारा सापेक्ष रूप में संविधान की सर्वोच्चता के सिद्धान्त को स्वीकार किया गया है ।

(vi) यह न्यायालयों के लिए बाध्यकारी नहीं है- न्यायिक पुनर्विलोकन की शक्ति का संविधान में स्पष्ट प्रावधान न होने के कारण यह सर्वोच्च न्यायालय के लिए बाध्यकारी नहीं है।

अमेरिका में न्यायिक पुनर्विलोकन का प्रभाव - अधिकांश विद्वानों का विचार है कि न्यायिक पुनर्विलोकन के प्रयोग से सर्वोच्च न्यायालय ने अमेरिका की राजनीतिक व्यवस्था में अपने लिय विशेष स्थान बना लिया है। 

सर्वोच्च न्यायालय संविधान की व्याख्या करता है और काँग्रेस तथा राज्यों की व्यवस्थापिकाओं के कानूनों तथा अन्य प्रशासनिक आदेशों की वैधानिकता - अवैधानिकता का निर्णय करता है। इस शक्ति के चलते सर्वोच्च न्यायालय एक तरह से उच्चतर व्यवस्थापिका बन गया है। 

इस सम्बन्ध में ब्रोगन ने लिखा है सर्वोच्च न्यायालय की सत्ता को हम एक राजनीतिक संस्था और एक ऐसे तृतीय सदन के रूप में समझ सकते हैं, जो कार्यपालिका और विधानमण्डल के कार्यों को विशेष सिद्धान्तों के अनुसार नियमित करता है। अमेरिकी सर्वोच्च न्यायालय इस शक्ति के प्रयोग से काँग्रेस का तीसरा सदन बन गया है। 

इसका अन्य प्रभाव यह हुआ है कि सर्वोच्च न्यायालय इससे संविधान की रक्षा, व्याख्या और सर्वोच्चता का स्थापक बन गया है। 

कार्ल जे. फ्रेडरिक ने लिखा है। जब कभी किसी सांविधानिक धारा के पूर्ण अर्थ के सम्बन्ध में सन्देह होता है। तो न्यायिक पुनर्विलोकन की संस्था लोगों के निर्वाचित प्रतिनिधियों के निर्णय को न्यायाधीशों के निर्णय से स्थानापन्न करती है। 

अनेक बार संविधान निर्माताओं के मन्तव्य का वास्तव में पता लगाना कठिन होता है और तब न्यायाधीशों का कर्त्तव्य है कि वे आधुनिक परिस्थितियों के अनुकूल सांविधानिक प्रावधान को ढालें या किस प्रावधान की कमी को अपनी व्याख्या से प्रकाश में लायें। 

निष्कर्ष के रूप में हम कह सकते हैं कि परिवर्तित परिस्थितियों में न्यायपालिका न्यायिक पुनर्विलोकन के माध्यम से ही संविधान को सजीव बनाये रखने का काम कर सकती है। 

लेकिन यह भी कहा जाता है कि अमेरिका का सर्वोच्च न्यायालय अनेक बार यह भूमिका निभाने में असफल रहा है। जिसके आधार पर उसकी आलोचना होती रही । न्यायिक पुनर्विलोकन की आलोचनाएँ–

(1) सर्वोच्च न्यायालय सांविधानिक सम्मेलन बन गया है ।

(2) सर्वोच्च न्यायालय नीति निर्माता बन गया है ।

(3) सर्वोच्च न्यायालय कानूनों की व्याख्या से अधिक उनके औचित्य की जाँच करने लगा है।

(4) न्यायिक पुनर्विलोकन से राजनीतिक व्यवस्था में प्रगतिशीलता का समावेश नहीं हो पा रहा है ।

(5) न्यायिक पुनर्विलोकन ने अनावश्यक रूप से अनेक राजनीतिक विवादों को जन्म दिया है।

उपर्युक्त आलोचनाएँ सैद्धान्तिक अधिक हैं। यह सही है कि संविधान की प्रकृति की विशेषता के चलते सर्वोच्च न्यायालय को कानून और नीति निर्माता की स्थिति में ला दिया गया है। 

वास्तव में अमेरिका का सर्वोच्च न्यायालय राजनीति से बहुत कुछ ऊपर रहा है। निष्कर्ष के रूप में हम कह सकते हैं कि अमेरिकी सर्वोच्च न्यायालय ने अपने न्यायिक पुनर्विलोकन के अधिकार के कारण विश्व के न्यायालयों में अपना कीर्तिमान स्थापित किया है। 

विशेष रूप से दूसरे विश्व युद्ध के बाद न्यायिक पुनर्विलोकन की शक्ति का बहुत सँभलकर प्रयोग किया है। फाइनर ने अमेरिकी सर्वोच्च न्यायालय को राजनीतिशास्त्र की सबसे बड़ी मौलिक देन बताया है 1

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