नदियाँ किसी क्षेत्र की सभ्यता एवं संस्कृति का परिचायक हैं। क्षेत्र के आर्थिक विकास में इनका महत्वपूर्ण योगदान होता है । नदियाँ उपजाऊ भूमि का निर्माण करती हैं, ये पीने के लिए, सिंचाई तथा अन्य कार्यों हेतु स्वच्छ जल प्राप्ति का महत्वपूर्ण स्रोत हैं।
नदियाँ प्राचीन समय में एवं आज भी परिवहन का महत्वपूर्ण साधन हैं। महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल, औद्योगिक, व्यावसायिक केन्द्र एवं बड़े नगर नदियों के तट पर ही मिलते हैं। नदियाँ जलचरों का आश्रयस्थल होने के साथ-साथ प्राकृतिक सौन्दर्य को भी बढ़ाने वाली होती हैं।
छत्तीसगढ़ की नदि प्रवाह
छत्तीसगढ़ नदियों की दृष्टि से बहुत सम्पन्न राज्य है। यहाँ नदियों का जाल बिछा हुआ है। कई नदियों यहाँ उद्गम स्थल भी है। यहाँ चार प्रमुख अपवाह तंत्र हैं
- महानदी प्रवाह प्रणाली
- गोदावरी प्रवाह प्रणाली
- गंगा प्रवाह प्रणाली
- नर्मदा प्रवाह प्रणाली
नर्मदा प्रवाह प्रणाली को छोड़कर शेष सभी प्रवाह प्रणाली बंगाल की खाड़ी में विलीन हो जाती हैं। संपूर्ण राज्य का 75% भाग महानदी कछार में एवं शेष गंगा, गोदावरी एवं नर्मदा कछार में स्थित है।
छत्तीसगढ़ की प्रमुख नदियों के नाम बताइए
छत्तीसगढ़ के प्रमुख नदियों के नाम निम्नलिखित हैं -
- महानदी
- शिवनाथ
- खारून
- अरपा
- पैरी
- हसदेव
- इन्द्रावती
- मांड
- आमनेर
महानदी - छत्तीसगढ़ की जीवन रेखा महानदी राज्य की सबसे पवित्र एवं पूजनीय नदी है। महानदी देश की प्रमुख नदियों में से एक है। जल क्षमता की दृष्टि से गोदावरी के बाद यह दूसरे क्रम की नदी है। यह एक अंतर्राज्यीय नदी है। इसका उद्गम स्थल धमतरी जिले में स्थित सिहावा पर्वत है।
यहाँ से यह उत्तर तत्पश्चात् पूर्व गए की ओर बहते हुए बंगाल की खाड़ी में जो मिलती है। यह नदी छत्तीसगढ़ एवं उड़ीसा में प्रवाहित होती है। इसकी कुल लम्बाई 858 कि.मी. एवं अपवाह क्षेत्र 1-32 लाख वर्ग कि. मी. है।
प्रारंभिक अवस्था में नदी की चौड़ाई 5 से 12 मी. तक एक समतल मैदानी भाग में पहुँचने पर इसकी चौड़ाई 1200 मीटर तक हो जाती है। महानदी बेसीन के केन्द्रीय भाग को छत्तीसगढ़ बेसिन के नाम से जाना जाता है। संपूर्ण महानदी बेसिन को तीन भागों में विभक्त किया जा सकता है।
- ऊपरी महानदी बेसिन
- मध्य महानदी बेसिन
- निचला महानदी बेसिन
अंतिम अवस्था में महानदी विस्तृत उपजाऊ डेल्टा का निर्माण करती है । इस नदी पर अनेक बाँध बनाये गए हैं। इसमें से गंगरेल बाँध (धमतरी) एवं हीराकुण्ड बाँध (संबलपुर उड़ीसा) विशेष उल्लेखनीय हैं । हीराकुण्ड बाँध भारत के लंबे बाँधों में से एक है।
महानदी की प्रमुख सहायक नदी शिवनाथ है। अन्य महत्वूपर्ण सहायक नदियाँ पैरी, तेल नदी, हसदो, मांड, ईब, जोंक, सुरंगी आदि हैं।
महानदी के तट पर कई प्रसिद्ध धार्मिक ऐतिहासिक स्थल बसा है जिनमें राजिम, सिरपुर, शिवरीनारायण विशेष उल्लेखनीय है ।
शिवनाथ नदी - महानदी की प्रमुख सहायक शिवनाथ नदी राजनांदगांव जिले के अम्बागढ़ तहसील में स्थित 625 मीटर ऊँचा पानबरस की पहाड़ी से निकलकर राजनांदगांव, दुर्ग, बिलासपुर एवं जाँजगीर चाँपा जिले में बहते हुए शिवरीनारायण (जांजगीर जिला) के निकट महानदी में मिल जाती है।
इसकी लंबाई 290 कि.मी. है। इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ-हाँप, अरपा, खारून, मनियारी, आंगर, लीलागर, तांदुला, खरखरा, आमनेर, खोरसी, जमुनियाँ आदि हैं।
शिवनाथ महानदी प्रवाह क्रम की सबसे बड़ी सहायक नदी है।
खारून नदी – खारून नदी दुर्ग जिले के दक्षिण-पूर्व में पेटेचुआ के समीप से निकलकर 80 कि.मी. उत्तर की ओर प्रवाहित होते हुए जांमघाट के निकट शिवनाथ नदी में मिल जाती है।
रायपुर जिले में नदी का प्रवाह क्षेत्र 2700 वर्ग कि.मी. एवं दुर्ग जिले में 19980 वर्ग कि. मी. है। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर इसी नदी के तट पर बसा है।
हसदो नदी - हसदो नदी कोरिया की पहाड़ी से निकलकर कोरबा के कोयला क्षेत्र एवं चांपा के मैदान में प्रवाहित होते हुए शिवरीनारायण से 8 मील दूर महानदी में मिल जाती है। गज एवं तान नदी इसकी सहायक नदियाँ है।
हसदो नदी के प्रवाह क्षेत्र का अधिकांश भाग उबड़-खाबड़ है। नदी का उत्तरी भाग सकरा एवं गहरा है । यह नदी चीर बालू के लिए प्रसिद्ध है। हसदो एवं उसकी सहायक नदियों के प्रवाह क्षेत्र के नीचे गोंडवाना क्रम की चट्टानें है।
ये साधारणतः आयाताकार प्रवाह प्रणाली का निर्माण करते हैं। कहींकहीं वृत्ताकार प्रवाह प्रणाली भी दिखाई देता हैं। हसदो की सहायक नदियाँ बेसिन में उतरते ही छोटे-छोटे प्रपात बनाती हैं। सरगुजा जिले में इस नदी का प्रवाह क्षेत्र 3700 वर्ग कि. मी. एवं बिलासपुर जिले में 3500 वर्ग कि. मी. है। इस नदी के तट पर कोरबा एवं चांपा नगर बसा हुआ है।
पैरी नदी - पैरी नदी का उद्गम स्थल रायपुर जिले में बिन्द्रा नवागढ़ के निकट लगभग 493 मीटर ऊँची मातृगढ़ की पहाड़ी है। इसकी लम्बाई 90 कि. मी. एवं प्रवाह क्षेत्र 3000 वर्ग कि.मी. है। यह नदी दक्षिणी रायपुर जिले के दक्षिण पूर्व से आकर महानदी में मिल जाती है।
अरपा नदी - अरपा नदी शिवनाथ की प्रमुख सहायक नदी है । यह नदी पेन्ड्रा पठार के खोड्री पहाड़ी से निकलकर बिलासपुर तहसील में प्रवाहित होते हुए बरटोरी के निकट ठाकुरदेवा नामक स्थान पर शिवनाथ नदी में मिल जाती है। इसकी लम्बाई 147 कि. मी. है एवं प्रवाह क्षेत्र 7521 कि. मी. है। इसकी सहायक नदी खारंग है जिस पर खूँटाघाट जलाशय निर्मित है।
इन्द्रावती नदी – इन्द्रावती नदी उड़ीसा के धरमगढ़ तहसील में स्थित मुंगेर पहाड़ी से निकलकर पूर्व से पश्चिम दिशा की ओर बहती हुई जगदलपुर से 38-4 कि.मी. दूर पर चत्रकोट जलप्रपात बनाती है। यह प्रपात भारत का सबसे चौड़ा एवं सर्वाधिक जलराशि वाला प्रपात है।
इसकी ऊँचाई 90 फीट, चौड़ाई लगभग 750 मीटर है। यह प्रपात 'भारत का नियाग्रा ' एवं ' एशिया का नियाग्रा' के नाम से प्रसिद्ध है। आगे इन्द्रावती नदी महाराष्ट्र से छत्तीसगढ़, की सीमा बनाती हुई दक्षिण दिशा में प्रवाहित होती है एवं अंत में छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र एवं आंध्र प्रदेश के सीमा संगम पर भोपालपट्टनम से दक्षिण की ओर कुछ दूरी पर स्थित 'भद्रकाली' के समीप गोदावरी नदी से मिल जाती है।
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