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करारोपण के उद्देश्य - kararopan ka uddeshya kya hai

 करारोपण के उद्देश्य

करारोपण के प्रमुख उद्देश्य निम्नांकित हैं -

1. आय प्राप्त करना - कर आय प्राप्त करने के उद्देश्य से लगाये जाते हैं। यद्यपि प्राचीनकाल में करारोपण का उद्देश्य केवल धन को एकत्रित करना था। किन्तु आज सरकार कर लगाने के पूर्व इसके आर्थिक व नैतिक प्रभावों का अध्ययन करती है। अतः वर्तमान करारोपण की नीतियाँ अधिक वैज्ञानिक हो गयी हैं।

2. अर्थव्यवस्था का नियमन एवं नियंत्रण - कर नीति द्वारा सरकार आयातों व निर्यातों को कम अधिक करती है अर्थात् उपभोग को हतोत्साहित या प्रोत्साहित करती है। इस प्रकार करों का उद्देश्य आय प्राप्त करना ही नहीं होता, बल्कि गैर आगम उद्देश्य से भी कर लगाये जाते हैं जिन्हें नियामक कर कहते हैं ।

3. आय का वितरण समान करना - चूँकि सरकार का उद्देश्य लोककल्याणकारी राज्य की स्थापना करना है। प्रगतिशील करों के माध्यम से धनी एवं ऊँची आय वालों पर कर लगाये जाते हैं तथा निर्धन वर्ग को इससे मुक्त रखा जाता है। इस प्रकार कर के माध्यम से धनी और निर्धन वर्ग की आय की असमानता को दूर किया जाता है। 

4. पूँजी निर्माण को प्रोत्साहन - आजकल विकासशील देशों में पूँजी निर्माण की कमी है। अतः कर इस उद्देश्य से भी लगाये जाते हैं कि बचत को उत्पादक कार्यों में लगाया जा सके। इसके पीछे मूल उद्देश्य यह है कि विकाससील देशों में बचत अपने आप विनियोगों की ओर प्रोत्साहित नहीं होती। अतः करों के माध्यम से की जाती है।

5. राष्ट्रीय आय को एक उपयुक्त स्तर पर बनाये रखना - प्रो. लर्नर का कहना है कि करों का उद्देश्य यह भी होना चाहिए कि करों के माध्यम से देश की राष्ट्रीय आय को एक निश्चित स्तर पर बनाया रखा जा सकता है। इसका अभिप्राय यह है कि करों से किसी आर्थिक क्रिया को इस प्रकार प्रोत्साहित न किया जाये कि उसका उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़े। यदि प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा तो राष्ट्रीय आय कम हो जायेगी।

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