मुद्रास्फीति को रोकने के उपाय

मूल्य वृद्धि को नियन्त्रित करने के लिए सरकार ने निम्नलिखित प्रयास किए हैं -

1. बैंक दर में वृद्धि - मूल्य वृद्धि को नियन्त्रित करने के लिए सरकार ने समय-समय पर बैंक दर में वृद्धि की है। 30 मई, 1974 को बैंक-दर 6 से 7 प्रतिशत कर दी गई, जो बढ़ते-बढ़ते 9 अक्टूबर, 1991 में 12 प्रतिशत हो गई थी, लेकिन वर्तमान में इसे कम करके 7.5 प्रतिशत रखा गया है

2. अनिवार्य जमा योजना - 17 जुलाई, 1974 को एक अध्यादेश से आयकर अधिनियम में परिवर्तन किया गया है। जिसके अनुसार, वर्तमान समय में 1,50 लाख रुपये से अधिक वार्षिक आय वाले करदाताओं को अपनी आय का एक भाग सरकार द्वारा निर्धारित दरों पर अनिवार्य रूप से जमा कराने की व्यवस्था की गयी है।

3. खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मन्त्रालय की स्थापना - अक्टूबर, 1974 को केन्द्रीय सरकार ने उद्योग एवं नागरिक आपूर्ति मन्त्रालय के अन्तर्गत एक नागरिक पूर्ति एवं सहकारिता विभाग की स्थापना की, किन्तु अब केन्द्र में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मन्त्रालय है। जिसका कार्य आवश्यक वस्तुओं की वितरण व्यवस्था में सुधार करना तथा केन्द्रीय व राज्य सरकारों के नागरिक आपूर्ति मन्त्रालयों में सहयोग करना है। जिससे कि आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति निर्धारित मूल्यों पर बनायी रखी जा सके।

4. आवश्यक वस्तुओं का वितरण - मूल्य वृद्धि को नियन्त्रित करने के लिए आवश्यक वस्तुओं की वितरण व्यवस्था भी की गई है। इस समय देश में 4 लाख उचित मूल्य या सरकारी फुटकर बिक्री केन्द्र हैं, जो गेहूँ, आटा, सूजी, मैदा, चावल आदि को सरकार द्वारा निर्धारित मूल्य पर राशन कार्ड धारकों को बेचते हैं।

5. मूल्य नियन्त्रण - आवश्यक वस्तुओं के मूल्यों को नियन्त्रित करने के लिए सरकार ने 'मूल्य नियन्त्रण' की नीति अपनायी है। आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के अन्तर्गत इस प्रकार के मूल्य नियन्त्रण आदेश 69 वस्तुओं पर लागू किये गये हैं। इस प्रकार, इन वस्तुओं की बिक्री एवं पूर्ति निर्धारित मूल्यों पर ही होती है । इन वस्तुओं में न्यूजप्रिण्ट, दवाई, मिट्टी का तेल, वनस्पति तेल आदि प्रमुख हैं।

6. उत्पादन एवं उत्पादकता को प्रोत्साहन - मूल्य वृद्धि को नियन्त्रित करने के लिए सरकार ने उत्पादन एवं उत्पादकता वृद्धि पर विशेष जोर दिया है। उत्पादन बढ़ाने के लिए आवश्यक मशीनरी आदि को आयात करने की अनुमति दे दी है। उत्पादन को प्रोत्साहित किया जाता है।

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