राजस्व का महत्व
राजस्व के महत्व का अध्ययन निम्न बिन्दुओं के रूप में किया जा सकता है -
1. राज्य के कार्यों में वृद्धि - वर्तमान समय में राज्य के कार्यों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। वह अब आंतरिक सुरक्षा, बाह्य आक्रमण से रक्षा और न्याय की व्यवस्था ही नहीं करती है, बल्कि वह मानव जीवन के प्रत्येक पहलू को छूती है।
अब सरकार बुनियादी सुविधाओं, जैसे- सड़क, बिजली, रेल, सिंचाई, स्वास्थ्य, शिक्षा के साथसाथ सामाजिक सुरक्षा, बीमा, बैंकिंग आदि कार्यों पर भारी मात्रा में व्यय करती है। इन कार्यों को करने के लिए वह करारोपण, सार्वजनिक ऋण आदि के आय स्रोतों से भारी मात्रा में वित्त एकत्रित करती है। इस प्रकार राजस्व का महत्व दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है।
2. आर्थिक स्थिरता - वर्तमान समय में तेजी एवं मंदी के कारण अर्थव्यवस्था में अस्थिरता बनी रहती है। राजस्व क्रियाओं से इन तेजी एवं मंदी पर नियंत्रण किया जा सकता है। जैसे - तेजी के समय सरकार नये कर लगाकर तथा पुराने करों की दर बढ़ाकर और सार्वजनिक आंतरिक ऋण लेकर बाजार में मुद्रा की मात्रा कम कर देती है।
जिससे बढ़ती कीमतें रुक जाती हैं। इस प्रकार मंदी में सार्वजनिक व्यय बढ़ाकर, ऋण लौटाकर, कर कम करके कीमतों को सरकार रोकती है। इन क्रियाओं से अर्थव्यवस्था में स्थिरता आती है।
3. आर्थिक नियोजन में महत्व – आज अनेक देश अपने तेजी से आर्थिक विकास हेतु आर्थिक नियोजन को अपना रहे हैं। आर्थिक नियोजन की सफलता एक बड़ी सीमा तक राजस्व की उचित व्यवस्था पर निर्भर करती है। नियोजन के लिए बड़ी मात्रा में साधनों को प्राप्त करना तथा अपनी प्राथमिकताओं के अनुसार उनका अनेक क्षेत्रों में व्यय राजस्व की कुशल प्रणाली पर निर्भर होता है।
4. पूँजी निर्माण में महत्व - पूँजी निर्माण में राजस्व का विशेष महत्व होता है। सरकार राजकोषीय नीति में परिवर्तन कर बचत बढ़ाकर पूँजी निर्माण की दर में वृद्धि कर सकती है। वह करों में छूट देकर, कर कम करके बचत बढ़ाने में सहयोग दे सकती है तथा इस बचत का उपयोग उत्पादक कार्यों में करके पूँजी निर्माण की दर में वृद्धि की जा सकती है।
5. पूर्ण रोजगार की प्राप्ति - प्रो. कीन्स का विचार है कि किसी भी देश की सरकार राजस्व की राजकोषीय नीतियों को समुचित ढंग से क्रियान्वित कर पूर्ण रोजगार की दशा प्राप्त कर सकती है।
6. राष्ट्रीय आय में वृद्धि - राष्ट्रीय आय को बढ़ाने में भी राजस्व का महत्व है। सार्वजनिक आयों का अधिकांश भाग उत्पादकीय कार्यों में लगाकर तथा कर ढाँचे को इस प्रकार का बनाकर कि बचत व विनियोग पर अनुकूल प्रभाव हो, के द्वारा राष्ट्रीय आय बढ़ायी जा सकती है।
7. औद्योगिक विकास में महत्व - किसी भी देश का औद्योगिक विकास एक बड़ी सीमा तक देश की राजस्व नीति पर निर्भर करता है। सरकार विदेशी वस्तुओं पर ऊँची दर से कर लगाकर देश के शिशु उद्योगों को संरक्षण प्रदान कर सकती है। नये उद्योगों को सरकार कुछ वर्षों के लिए कर में छूट प्रदान कर सकती है, इसके अतिरिक्त सरकार आधारभूत उद्योगों की स्वतः स्थापना एवं विकास कर सकती है।
8. सामाजिक न्याय - राजस्व का देश में विद्यमान आय एवं सम्पत्ति की असमानताओं को कम करके सामाजिक न्याय दिलाने में विशेष महत्व होता है। धनी वर्ग की आय एवं सम्पत्ति पर ऊँची दर से कर लगाकर और इसी प्रकार प्राप्त आय को निर्धन वर्गों पर व्यय करके आर्थिक असमानताओं को बड़ी सीमा तक कम किया जा सकता है।