रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के कार्यों का वर्णन कीजिए

 रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के कार्य

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के कार्यों को तीन भागों में बाँटा जा सकता है- 

  1. केन्द्रीय बैंकिंग संबंधी कार्य,
  2. साधारण बैंकिंग संबंधी कार्य,
  3. विकास सम्बन्धी कार्य। 

केन्द्रीय बैंकिंग संबंधी कार्य

रिजर्व बैंक केन्द्रीय बैंक के समस्त कार्यों को करता है। इनमें से मुख्य कार्य निम्नांकित हैं -

1. नोट निर्गमन - रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया अधिनियम के अंतर्गत रिजर्व बैंक को नोट निर्गमन का एकाधिकार प्राप्त है। यह बैंक 2, 5, 10, 20, 50, 100, 500 रुपये के नोट निकाल सकती है। जिसके लिए न्यूनतम कोष पद्धति को अपनाया जाता है। नोट निर्गमन के लिए रिजर्व बैंक के पास कम से कम 200 करोड़ रुपये का अंश होना आवश्यक है, जिसमें 115 करोड़ रुपये का स्वर्ण होना चाहिए। शेष राशि विदेशी प्रतिभूतियों में हो केन्द्रीय बैंकिंग संबंधी कार्य सकती है।

2. साख नियमन - रिजर्व बैंक का दूसरा कार्य साख नियमन करना है। यह नियमन (i) बैंक दर, (ii) खुले बाजार की क्रियाएँ, (iii) नगद कोषों के अनुपात में परिवर्तन, (iv) तरल कोषों में परिवर्तन, (v) चयनात्मक साख नियंत्रण, (vi) बिल बाजार योजना, (vii) बहुमुखी ब्याज दरें, (viii) नैतिक दबाव नीति आदि के माध्यम से किया जा सकता है।

3. सरकारी बैंकर, प्रतिनिधि एवं सलाहकार - रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया भारत सरकार एवं राज्य सरकारों के बैंकर, प्रतिनिधि व सलाहकार का कार्य करता है तथा सरकारों की समस्त आय अपने पास जमा करता है। व्ययों का भुगतान करता है एवं ऋण की व्यवस्था करता है। इसके द्वारा सार्वजनिक ऋण, कृषि वित्त, औद्योगिक वित्त, सहकारिता, पूँजी विनियोग, पंचवर्षीय योजनाओं के संबंध में वित्तीय पहलुओं आदि के बारे में सरकार को सलाह दी जाती है।

4. विदेशी विनिमय का नियमन - रिजर्व बैंक का चौथा कार्य विदेशी विनिमय का नियमन करना है। इसके लिए यह रुपये की बाह्य दर को बनाये रखने के लिए कार्य करता है। विदेशों में स्थित भारतीय दूतावासों के लिए विनिमय की व्यवस्था करता है। 

5. बैंकों का बैंक - रिजर्व बैंकों को बैंक के नियमन का अधिकार है। कोई भी नयी बैंक बिना रिजर्व बैंक की अनुमति के स्थापित नहीं हो सकती और न पुरानी बैंक अपनी शाखाएँ ही खोल सकती है। वह बैंकों के बिलों को भुनाती है। उनके समाशोधन की व्यवस्था करती है तथा उनका साख नीति को निर्धारित करती है। रिजर्व बैंक के द्वारा बैंकों के अवांछनीय कार्यों को करने से रोका जाता है। 

उनके निरीक्षण की व्यवस्था की जाती है व आवश्यकता पड़ने पर उनको ऋण दिया जाता है। इस प्रकार रिजर्व बैंक बैंकों का बैंक है, उनका शुभचिंतक है तथा संरक्षक, नियंत्रक सभी कुछ है। जो कृषि साख संबंधी आवश्यकताओं

6. कृषि साख व्यवस्था - रिजर्व बैंक में पृथक् से एक कृषि साख विभाग है के संबंध में अनुसंधान करता है। रिजर्व बैंक का यह विभाग राज्य सरकारों, केन्द्रीय सरकारों एवं राज्य सहकारी बैंकों को परामर्श भी देता है। देश के गोदामों की व्यवस्था करने में भी यह विभाग सहायता प्रदान करता है।

7. देश के विदेशी मुद्रा कोष के संरक्षण का कार्य - रिजर्व बैंक का एक महत्वपूर्ण कार्य विदेशी मुद्रा का संचय एवं संरक्षण करना है। विदेशी विनिमय दरों में स्थिरता बनाये रखने के लिए रिजर्व बैंक विभिन्न देशों की मुद्राओं के कोष अपने पास रखता है और उस पर उचित नियंत्रण भी रखता है, ताकि आवश्यकता के समय विदेशी मुद्रा का उचित प्रयोग हो सके। 

8. समाशोधन कार्य - रिजर्व बैंक, बैंकों का बैंक तथा अंतिम ऋणदाता होने के कारण प्रारंभ से ही समाशोधन का कार्य कर रहा है। मुम्बई, कोलकाता, चेन्नई, बंगलौर, नागपुर, पटना, हैदराबाद तथा नई दिल्ली आदि के समाशोधन गृहों की व्यवस्था रिजर्व बैंक स्वयं करता है, जबकि अन्य समाशोधन गृहों की व्यवस्था रिजर्व बैंक की देख-रेख में भारतीय स्टेट बैंक द्वारा किया जाता है।

9. आँकड़ों का संकलन एवं प्रकाशन - रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया का सातवाँ कार्य मुद्रा, साख बैंकिंग, विदेशी विनिमय, विदेशी व्यापार भुगतान संतुलन, औद्योगिक एवं कृषि उत्पादन, मूल्य प्रवृत्तियाँ आदि के संबंध में आँकड़ों का संकलन एवं उनका प्रकाशन करना है।

10. प्रशिक्षण की व्यवस्था - रिजर्व बैंक ने अपने अधिकारियों एवं अन्य बैंकों के अधिकारियों के प्रशिक्षण की व्यवस्था भी कर रखी है। इसके लिए रिजर्व बैंक का Bankers Training Collage हैं। क्लर्कों को प्रशिक्षण देने के लिए मुम्बई, कोलकाता, नई दिल्ली तथा चेन्नई में क्षेत्रीय प्रशिक्षण संस्थाएँ काय कर रही हैं ।

साधारण बैंकिंग सम्बन्धी कार्य करना 

रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया, साधारण बैंकिंग सम्बन्धी समस्त कार्यों को करता है। इनमें से प्रमुख कार्य निम्नांकित हैं

1. जमा पर रुपया प्राप्त करना - रिजर्व बैंक अन्य सरकारी, अर्द्ध सरकारी, गैर-सरकारी संस्थाओं एवं व्यक्तियों से जमा प्राप्त कर सकता है। लेकिन इन जमाओं पर रिजर्व बैंक ब्याज नहीं देता है।

2. ऋण लेना - रिजर्व बैंक भारत के किसी भी अनुसूचित बैंक अथवा अन्य देशों के केन्द्रीय बैंक से अधिक से अधिक एक महीने के लिए ऋण ले सकता है।

3. ऋण देना - रिजर्व बैंक केन्द्र एवं राज्य सरकारों को 90 दिन के लिए ऋण एवं अग्रिम के रूप में ऋण देता है । वह अनुसूचित बैंकों तथा राज्य सरकारी बैंकों की माँग पर देय अथवा 90 दिन के अन्दर देय ऋण देता है। ये ऋण स्वीकृत प्रतिभूतियों, सोना, चाँदी अनुसूचित बैंक तथा सहकारी बैंकों के बिलों तथा प्रतिज्ञा पत्रों की जमानत पर दिये जाते हैं।

4. विदेशी विनिमय का क्रय-विक्रय - रिजर्व बैंक सदस्य बैंकों से कम से कम एक लाख रू. के विदेशी विनिमय का क्रय-विक्रय कर सकता है।

5. बिलों का क्रय-विक्रय - रिजर्व बैंक भारत में भुगतान होने वाले अधिक से अधिक 80 दिन की अवधि के व्यापारिक एवं वाणिज्य एवं प्रतिज्ञा पत्रों को बट्टा पर भुनाता है और उनका क्रय-विक्रय करता है।  

6. कृषि बिलों का क्रय-विक्रय - रिजर्व बैंक भारत में भुगतान होने वाले अधिक से अधिक 15 महीने की अवधि वाले कृषि बिलों का क्रय-विक्रय करता है अथवा उनका बट्टा करता है।

7. स्वर्ण का क्रय-विक्रय - रिजर्व बैंक स्वर्ण के सिक्के एवं स्वर्ण धातु का क्रय-विक्रय कर सकता है। 

8. बहुमूल्य पदार्थों को सुरक्षित रखना - रिजर्व बैंक नकद रुपया, बहुमूल्य प्रतिभूतियाँ तथा बहुमूल्य पदार्थों को सुरक्षित रखता है।

 विकास सम्बन्धी कार्य 

रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया के विकास सम्बन्धी प्रमुख कार्य निम्नांकित हैं -

1. बैंकिंग सुविधाओं को बढ़ावा - देश में बैंकिंग सुविधाओं को बढ़ावा देने के लिए रिजर्व बैंक अपनी ओर से सभी आवश्यक सुविधाएँ प्रदान कर रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग विकास एवं विस्तार के वह विशेष प्रयास कर रहा है। 

2. औद्योगिक साख - रिजर्व बैंक ने उद्योगों के विकास के लिए दीर्घकालीन औद्योगिक साख उपलब्ध कराने के भी प्रयास किये हैं। इस हेतु वह औद्योगिक वित्त निगम, राज्य वित्त निगम औद्योगिक साख एवं विनियोग निगम एवं औद्योगिक विकास बैंक के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है ।

3. लघु उद्योगों को बढ़ावा - रिजर्व बैंक ने लघु उद्योगों को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने के उद्देश्य से सन् 1960 से गारंटी योजना प्रारम्भ की है। इस योजना के अन्तर्गत व्यापारिक बैंकों एवं अन्य साख संस्थाओं द्वारा लघु उद्योगों को वित्तीय सहायता देने पर गारंटी देता है। रिजर्व बैंक में लघु उद्योग विकास बैंक की स्थापना में भी सहयोग दिया है।

4. कृषि साख - रिजर्व बैंक ने कृषि साख हेतु एक अलग विभाग खोल रखा है। यह सरकारी बैंकों का निरीक्षण करता है। कृषि साख सम्बन्धी सलाह देता है। सन् 1982 में नाबार्ड की स्थापना कर कृषि साख उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

5. कीमत स्तर में स्थिरता - रिजर्व बैंक की सम्पूर्ण मौद्रिक नीति का उद्देश्य ही कीमतों में स्थिरता बनाये रखना रहा है। इस हेतु वह एक ओर जहाँ मुद्रा एवं साख उपलब्ध कराता है। वहीं दूसरी ओर साख नियंत्रण की नीतियों का कठोरता से पालन भी करता है।

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