समष्टि अर्थशास्त्र का क्षेत्र

समष्टि अर्थशास्त्र के अध्ययन क्षेत्र में निम्नांकित बातें मुख्य रूप से सम्मिलित होती हैं 

1. आय तथा रोजगार स्तर का निर्धारण - आय तथा रोजगार स्तर का निर्धारण समष्टि अर्थशास्त्र की मुख्य विषय-सामग्री है। आय एवं रोजगार का स्तर प्रभावपूर्ण माँग पर निर्भर करता है। 

प्रभावपूर्ण माँग कुल व्यय (उपभोग व्यय, विनियोग व्यय एवं सरकारी व्यय) द्वारा निर्धारित होती है। प्रभावपूर्ण माँग में परिवर्तन से अर्थव्यवस्था में तेजी-मंदी की दशाएँ उत्पन्न होकर आर्थिक अस्थिरता को जन्म देती हैं।

2. सामान्य कीमत स्तर एवं स्फीति का विश्लेषण – मुद्रा- स्फीति के कारण उत्पन्न स्फीतिक कीमत वृद्धि वर्तमान विश्व की सबसे कष्टदायक आर्थिक बीमारी है। विकसित एवं अर्द्धविकसित दोनों ही तरह की अर्थव्यवस्थाएँ इससे पीड़ित हैं। प्रो. कीन्स के आर्थिक विश्लेषण के बाद स्फीतिक कीमत वृद्धि का अध्ययन समष्टि अर्थशास्त्र का महत्वपूर्ण अंग बन गया है। 

3. आर्थिक विकास के सिद्धान्त - आर्थिक विकास का अर्थशास्त्र, समष्टि अर्थशास्त्र की एक महत्वपूर्ण शाखा है। द्वितीय महायुद्ध के पश्चात् विश्व के अनेक देशों को गुलामी से स्वतंत्रता प्राप्त हुई। इन नवोदित राष्ट्रों में आर्थिक विकास की समस्या को आर्थिक नियोजन की सहायता से हल करने के प्रयत्न किये जा रहे हैं। 

केन्द्र के साथ-साथ विकास और नियोजन का उत्तरदायित्व राज्य सरकार ने भी स्वीकार किया है। इससे स्पष्ट हो जाता है कि आर्थिक विकास का विषय समष्टि अर्थशास्त्र का अभिन्न अंग है। 

4. वितरण का समष्टि सिद्धान्त - वितरण की अनेक समस्याओं जैसे - कुल राष्ट्रीय आय में उत्पादन के विभिन्न साधनों का पारिश्रमिक कितना है तथा उनमें कुल आय का वितरण किस प्रकार किया जाता है। यह समष्टि अर्थशास्त्र के सिद्धान्तों का मुख्य विषय है।

 5. राजस्व का सिद्धान्त – राजस्व के अनेक सिद्धान्त जैसे- अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के सिद्धान्त एवं आर्थिक नियोजन के सिद्धान्त भी समष्टि अर्थशास्त्र के विषय हैं।

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