मिश्रित फसल किसे कहते है - what is mixed crop

फसल एक ऐसा पौधा है जिसे लाभ प्राप्त करने के लिए बड़े पैमाने पर उगाया जाता है। जब एक ही प्रकार के पौधों को एक ही स्थान पर बड़े पैमाने पर उगाया जाता है तो उसे फसल कहते हैं। अधिकांश फसलों की खेती कृषि या जलीय कृषि में की जाती है। इस अध्याय मे हम मिश्रित फसल किसे कहते है। इसकी जानकारी प्राप्त करेंगे। 

मिश्रित फसल किसे कहते है

मृदा के उपजाऊपन के ह्रास ने तथा मानसूनी वर्षा की अनिश्चितता एवं अनियमितता से कृषि उत्पादन की अनिश्चितता ने किसानों को ऐसी तकनीक विकसित करने के लिए प्रेरित किया, जिससे मृदा का उपजाऊपन बना रहे तथा कृषि उत्पादन का जोखिम कम हो। 

किसानों ने मिश्रित शस्य अथवा फसलों का साहचर्य की तकनीक विकसित की, इसमें एक ही शस्य अवधि में एक ही खेत में दो  या दो से अधिक फसलें बोई जाती हैं। बोने के समय यह ध्यान रखना होता है।

  • जो फसलें एक साथ बोई जा रही हैं, उनका वर्धनकाल अलग-अलग हो।
  • एक पर्याप्त जल वाली फसल हो, तो दूसरी कम जल वाली फसल हो।
  • एक खाद्य फसल हो तो दूसरी-तीसरी दलहन, तिलहन वाली फसल हो।

इस तरह से की गयी खेती में फसलें एक साथ बोई जाती हैं, परन्तु अलग-अलग समय में काटी जाती हैं। उसी प्रकार वर्षा कम हो या पर्याप्त दोनों ही स्थिति में कोई न कोई फसल अच्छी ही होती है, जिससे किसानों को आर्थिक हानि होने का खतरा कम होता है। मिश्रित शस्य संयोजन में कई प्रकार की फसलों का तालमेल होता है, जो मृदा, मौसम, परम्परा, स्थानीय दशाओं, आर्थिक कारणों एवं गृहस्थी की आवश्यकताओं पर आधारित होता है। 

जैसे- गेहूँ + चना + सरसों एक ही मौसम की फसलें हैं। इसी प्रकार गेहूँ + जौ बोया जाता है। इस मिश्रण को गोजई कहते हैं। चना और जौ के मिश्रण को बेझड़ तथा गेहूँ व चना के मिश्रण को गोचनी कहते हैं।

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