कुटीर उद्योग का वर्गीकरण कीजिए?

कुटीर उद्योग को दो भागों में बाँटा जाता है - 

1. ग्रामीण कुटीर उद्योग, 
2. शहरी कुटीर उद्योग। 

1. ग्रामीण कुटीर उद्योग - ग्रामीण कुटीर उद्योग वे हैं, जो ग्रामीण क्षेत्रों में स्थापित किये जाते हैं। इन ग्रामीण कुटीर उद्योगों को पुन: दो भागों में बाँट सकते हैं, प्रथम - वे जो कृषि से संबंधित हैं तथा जिन्हें कृषकों द्वारा अपने सहायक धंधे के रूप में चलाया जाता है। 

इसमें मुर्गीपालन, दुग्ध व्यवसाय, कताई बुनाई, टोकरियाँ बनाना, रेशम के कीड़े पालना, रस्सी बनाना आदि शामिल किये जाते हैं। द्वितीय- वे जो ग्रामीण कौशल के धंधे के रूप में अपनाये जाते हैं। जैसे-मिट्टी के बर्तन बनाना, चमड़े के जूते बनाना, घानी से तेल निकालना आदि।

2. शहरी कुटीर उद्योग - शहरी कुटीर उद्योग वे हैं, जो शहरी क्षेत्रों में स्थापित किये जाते हैं । इसमें मिट्टी या कागज के खिलौने बनाना, कपड़ों पर कढ़ाई करना, हाथकरघा द्वारा कपड़ा बुनना, लकड़ी से फर्नीचर बनाना आदि शमिल किया जाता है।

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