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निर्देशांक की विशेषताएं - Features of coordinates

 निर्देशांक की विशेषताएं

निर्देशांक की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं -

1. संख्या द्वारा व्यक्त - निर्देशांक केवल संख्या में व्यक्त किये जाते हैं। किसी भी प्रकार के परिवर्तन को शब्दों में ही व्यक्त किया जा सकता है। जैसे-मूल्य-स्तर में वृद्धि, उत्पादन में वृद्धि आदि, लेकिन परिवर्तन की इस दशा को निर्देशांक संख्या के रूप में व्यक्त करते हैं।

2. सापेक्ष माप - निर्देशांक हमेशा सापेक्ष रूप में होते हैं। परिवर्तन की मात्रा को निरपेक्ष रूप में प्रस्तुत नहीं की जाती, क्योंकि उस दशा में वह तुलना योग्ध नहीं होती है। इसलिए उन्हें तुलना योग्य बनाने के लिए सापेक्ष बनाया जाता है। इसके लिए आधार को 100 मानकर, प्रतिशत में व्यक्त किया जाता है।

3. प्रतिशतों का माध्य - निर्देशांक प्रतिशतों का माध्य होता है। इसके लिए सबसे पहले आधार वर्ष के मूल्य को 100 मान लिया जाता है और इसके आधार पर प्रचलित वर्षों के मूल्यों को प्रतिशतों के रूप में परिवर्तित कर दिया जाता है। इस प्रकार प्रतिशतों का यह माध्य ही निर्देशांक कहलाता है।

4. तुलना का आधार - तुलना समय या स्थान के आधार पर की जा सकती है। समय को आधर मानते हुए किसी विशेष वर्ष, माह, या समय के अंश को आधार मानते हैं या स्थान को आधार मानते समय किसी विशेष स्थान या भू-भाग को आधार मानकर परिवर्तन की मात्रा का मापन करते हैं।

5. सार्वभौमिक उपयोगिता - आज का युग निर्देशांक का युग है। इसलिए इसकी सार्वभौमिक उपयोगिता है। आर्थिक एवं व्यावसायिक समस्याओं का तुलनात्मक अध्ययन करने के लिए निर्देशांकों का बहुत अधिक प्रयोग किया जाता है। आधुनिक युग में शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र हो जहाँ निर्देशांकों का प्रयोग न होता हो।

6. औसत के रूप में प्रस्तुत - निर्देशांक परिवर्तन की दिशा को औसत रूप में प्रकट करते हैं। यहाँ किसी एक वस्तु या कुछ वस्तुओं के परिवर्तन की दिशा व मात्रा का मापन नहीं होता, बल्कि सामान्य रूप से परिवर्तन के दिशा व मात्रा का मापन होता है।

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