लाभ किसे कहते हैं?

स्वागत हैं हमारे इस ब्लॉग पर इस पोस्ट में अर्थशास्त्र के अनुशार लाभ क्या हैं या लाभ किसे कहते हैं। इसके बारे में जानकारी दी गयी हैं। आसान भाषा में कहा जाय तो लाभ लगाए गए धन से अधिक प्राप्त होना ही लाभ कहलाता हैं। सामान्यतया लाभ जोखिम उठाने का फल होता है।

लाभ किसे कहते हैं

आय का वह भाग जो साहसी को उसकी सेवा के बदले दिया जाता है। उसे लाभ कहते है। कुल उत्पादन में से लगान, मजदूरी एवं ब्याज का भुगतान करने के बाद जो कुछ बचता है। वह लाभ होता है। इस प्रकार कुल उत्पादन तथा उत्पादन की कुल लागत में जो अन्तर होता है, वही लाभ है। लाभ आय का अकेला ऐसा भाग है जो ऋणात्मक भी हो सकता है।

लाभ किसे कहते हैं - labh kya hai
  • लाभ साहस का पुरस्कार है।
  • लाभ का पहले भुगतान नहीं होता है।
  • लाभ अनिश्चित होता है।
  • लाभ ऋणात्मक भी हो सकता है।

परिभाषा - जोखिम तथा अनिश्चितता के लिए दिये जाने वाले प्रतिफल को लाभ कहते हैं और वह वस्तुओं की कुल बिक्री से प्राप्त होने वाली आय तथा उसकी उत्पादन लागत के अन्तर के बराबर होता है। 

लाभ जोखिम उठाने का पुरस्कार तथा बाजार में अपूर्ण प्रतियोगिता होने के कारण उत्पन्न होने वाली अनिश्चितताओं का परिणाम कहा जा सकता है। इनमें से कोई दशा अथवा तीनों दशाओं के सामूहिक प्रभाव के कारण आर्थिक लाभ प्राप्त हो सकता है।

लाभ के प्रकार

लाभ दो प्रकार के होते हैं कुल लाभ और शुद्ध लाभ

कुल लाभ - सामान्य अर्थ में जिसे हम लाभ कहते हैं। वह कुल लाभ ही होता है। साहसी को वस्तु के उत्पादन की लागत के ऊपर जो अतिरिक्त बचत प्राप्त होती है। उसे कुल लाभ कहा जाता है। 

अर्थात् उत्पादन के अन्य साधनों जैसे भूमि के लगान, श्रमिकों की मजदूरी, पूँजी की ब्याज, प्रबंधक का वेतन तथा कर की राशि को कुल बिक्री से प्राप्त आय में से निकाल देने के बाद जो शेष बचता है, उसे ही कुल लाभ कहते हैं।

1. रखरखाव शुल्क – उद्योग में जो मशीनें लगी रहती हैं। वह कुछ समय के बाद खराब हो जाती हैं। उनकी बीच-बीच में मरम्मत एवं सुधार भी कराने पड़ते हैं। इनके लिए कारखाने में एक कोष की स्थापना किया जाता है।

2. अस्पष्ट लागतें – जब कोई साहसी किसी वस्तु का उत्पादन करता है, तब वह उत्पादन के कुछ साधन अपने पास से लगाता है। वह अपनी भूमि पर कारखाना लगाता है, वह स्वयं की पूँजी लगाता है अथवा वह स्वयं प्रबंधक का कार्य भी करता है।

3. अव्यक्तिगत लाभ - इसके अन्तर्गत दो प्रकार के लाभों को सम्मिलित किया जाता है - प्रथम एकाधिकारी लाभ और द्वितीय आकस्मिक लाभ। कभी-कभी साहसी को वस्तु - विशेष के उत्पादन में एकाधिकार प्राप्त हो जाती है । ऐसी स्थिति में साहसी वस्तु की कीमतों में वृद्धि करके एकाधिकारी लाभ कमाता है।

शुद्ध लाभ - शुद्ध लाभ साहसी के जोखिम उठाने का पुरस्कार होता है। यह लाभ साहसी को जोखिम उठाने, नवीनीकरण करने और कुशल व्यवस्था स्थापित करने के लिए दिया जाता है।

1. जोखिम उठाने का पुरस्कार - साहसी का एक महत्वपूर्ण कार्य हानि का जोखिम उठाना है। वह अपने व्यवसाय को शुरू करने के पहले उत्पादन लागत एवं आय का अनुमान लगाता है लेकिन वस्तु का उत्पादन करने के बाद यदि उसका अनुमान गलत हो जाता है तो उसे हानि होती है। इस हानि के जोखिम उठाने के बदले में उसे शुद्ध लाभ के रूप में पुरस्कार मिलता है।

2. नवीनीकरण को लागू करने के लिए पुरस्कार - साहसी उत्पादन के क्षेत्र में नई-नई तकनीक एवं मशीनों का प्रयोग करके नई-नई वस्तुओं का उत्पादन करता है। इन नई तकनीकों को उत्पादन के क्षेत्र में लागू करने के लिए भी उसे पुरस्कार मिलता है।

3. कुशल व्यवस्थापन का पुरस्कार - साहसी किसी वस्तु का उत्पादन करने के लिए विभिन्न साधनों जैसे - भूमि, श्रम, पूँजी और संगठन को एकत्रित करता है। वह उनके बीच इस प्रकार का अनुकूलतम संयोग स्थापित करता है कि वस्तु की उत्पादन लागत न्यूनतम हो जाती है। साहसी को इस कुशल व्यवस्था के लिए लाभ प्राप्त होता है।

सामान्य लाभ एवं असामान्य लाभ

सामान्य लाभ - सामान्य लाभ वह न्यूनतम लाभ होता है जो साहसी को उत्पादन में बनाये रखने के लिए अवश्य ही मिलना चाहिए। यदि साहसी को अपने व्यवसाय में सामान्य लाभ नहीं मिलेगा, तो वह जोखिम उठाने के लिए तैयार नहीं होगा। इस लाभ को ही सामान्य लाभ के रूप में जाना जाता है। सामान्य लाभ का अर्थ उस भुगतान से है। जो व्यापारी को बाजार में बनाये रखने के लिए आवश्यक होता है।

  • सामान्य लाभ साहसी के लिए न्यूनतम पुरस्कार होता है।
  • यह जोखिम उठाने का पुरस्कार होता है। 
  • सामान्य लाभ वह न्यूनतम स्तर है जिसके उद्योग बाजार छोड़कर नहीं जाती हैं।
  • दीर्घकाल में सभी उद्योगों को सामान्य लाभ अवश्य ही मिलना चाहिए।
  • सामान्य लाभ फर्म की औसत लागत का एक भाग होता है।

असामान्य लाभ - सामान्य लाभ से जो अधिक लाभ प्राप्त होता है। उसे असामान्य लाभ कहा जाता है। यह असामान्य लाभ साहसियों को उनकी विशिष्ट योग्यता के कारण प्राप्त होता है। यह वस्तु के उत्पादन लागत के ऊपर बचत होती है। सामान्य लाभ के अतिरिक्त जो लाभ प्राप्त होता है, उसे असामान्य लाभ कहते हैं। यह लाभ योग्यता का पुरस्कार है।

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