निर्देशांक कितने प्रकार के होते हैं?

निर्देशांकों को उन विषयों के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है, जिनमें परिवर्तन का मापन किया जाता है। आर्थिक व व्यावसायिक क्षेत्रों के निर्देशांकों को चार वर्गों में विभाजित किया जाता है जो इस प्रकार हैं -

1. मूल्य निर्देशांक 

इन निर्देशांकों के माध्यम से हम मूल्यों में या मूल्य-स्तर में होने वाले परिवर्तनों को आसानी से माप सकते हैं। यह दो उपवर्गों में विभाजित होते हैं-

  • थोक मूल्य निर्देशांक - थोक मूल्य निर्देशांक थोक मूल्यों में होने वाले परिवर्तनों का अध्ययन करने के लिए प्रयोग किया जाता है, इनका उपयोग सामान्यतः व्यापारी वर्ग के द्वारा किया जाता है। व्यापारी दो समयों के बीच में थोक मूल्यों में होने वाले परिवर्तनों को ज्ञात कर भविष्य में उन मूल्यों में क्या परिवर्तन हो सकते हैं। इसका अनुमान इसी के आधार पर लगाकर व्यापार करते हैं।
  • निर्वाह व्यय निर्देशांक - किसी स्थान पर रहने वाले लोगों के वर्ग विशेष पर मूल्यों के परिवर्तनों से होने वाले प्रभाव को नापने के उद्देश्य से जो निर्देशांक बनाए जाते हैं। उसे निर्वाह व्यय निर्देशांक कहते हैं। सामान्यतः मूल्यों के बढ़ने व घटने से सभी वर्गों का निर्वाह व्यय बढ़ता व घटता है। यह घट-बढ़ सभी के लिए समान नहीं होती है किसी के लिए कम तो किसी के लिए अधिक होती है।

2. भौतिक मात्राओं के निर्देशांक 

इन निर्देशांकों का संबंध मूल्यों से न होकर भौतिक वस्तुओं की मात्राओं में कमी या वृद्धि को दर्शाने से होता है। इसकी रचना भी मूल्य निर्देशांकों की रचना की तरह ही की जाती है केवल अंतर इतना रहता है कि इसमें मूल्य के स्थान पर भौतिक रूप से मात्राओं में होने वाले परिवर्तनों को लिया जाता है, इसके प्रमुख निर्देशांक निम्नलिखित हैं

  • उत्पादन निर्देशांक - देश के कृषि व औद्योगिक उत्पादनों का अलग-अलग एवं तुलनात्मक अध्ययन करने के लिए मासिक व वार्षिक सूचकांक बनाए जाते हैं, वह उत्पादन निर्देशांक या उत्पादन सूचकांक कहलाते हैं। - 
  • व्यापार निर्देशांक - इसके अंतर्गत देशी व्यापार, विदेशी व्यापार, आयात-निर्यात निर्देशांक तैयार किए जाते हैं। इसे फुटकर निर्देशांक व थोक निर्देशांक के रूप में भी बनाया जाता है।

3.  कुल मूल्य निर्देशांक - इस निर्देशांक का सामान्यतः प्रकाशन नहीं होता है, फिर भी प्रबंधकीय व व्यापारिक जानकारी के लिए इसका पर्याप्त उपयोग होता है। अनेक प्रकार की संस्थाएँ अपने विक्रय की जानकारी देने के लिए निर्देशांकों का प्रयोग करती हैं। ये सूचकांक प्रतिशत के रूप में प्रदर्शित किए जाते हैं। 

4. विशेष उद्देशीय निर्देशांक - इस प्रकार के निर्देशांकों की रचना किसी विशेष उद्देश्यों की पूर्ति के लिए की जाती है। संबंधित उद्देश्य के समाप्त होने के पश्चात् इनका कोई महत्व नहीं होता है, इसके अंतर्गत निम्नलिखित शामिल हैं-

  •  राष्ट्रीय आय निर्देशांक,
  •  विकास दर निर्देशांक, 
  • उत्पादकता निर्देशांक आदि।

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