उत्तर भारत एवं दक्षिण भारत की नदियों की तुलना कीजिए

उत्तरी भारत नदियाँ दक्षिणी भारत की नदियाँ
ये नदियाँ हिमालय से निकलने के कारण इनमें वर्ष भर जल भरा रहता है। ये नदियाँ पूर्णतः वर्षा के जल पर निर्भर रहती है, अतः ग्रीष्म ऋतु में इनमें जल कम हो जाता है। 
इन नदियों का बेसिन और जल ग्रहण क्षेत्र बहुत बड़ा है।  इन नदियों का बेसिन और क्षेत्र बहुत छोटा होता है।
ये नदियाँ नवीन वलित पर्वतों से निकलती है इसलिए पर्वतीय भाग में इनका ढाल बहुत तेज होता है। पर्वतों को छोड़कर इनका ढाल अत्यंत मंद है।
ये नदियाँ अभी भी युवावस्था में है।

दक्षिण भारत की नदियाँ प्राचीन एवं जीर्ण अवस्था में है।

हिमालय की नदियाँ कम जल प्रपात बनाती है।  इनमें अधिक प्राकृतिक जल प्रपात पाए जाते हैं।
हिमालय से निकलने वाली नदियाँ अपने मध्यावर्ती भाग में विशाल समतल मैदानों का निर्माण करती है।  ये नदियाँ छोटे मैदानों का ही निर्माण करती है। 
इन नदियों में नौका चालन एवं नहरों द्वारा सिंचाई सुविधाएँ अधिक हैं।  इन नदियों में नौका चालन एवं सिंचाई सुविधाएँ कम है। 
ये नदियाँ अपनी घाटियों को लम्बवत काटती है। ये नदियाँ अपनी घाटियों को सिर्फ चौड़ा करने में आज भी संलग्न है। 
हिमालय की नदियाँ बाढ़ के समय उत्तम उपजाऊ काँप मिट्टी बिछाती हैं अतः इनके मैदान अधिक उपजाऊ है।  दक्षिण भारत की नदियाँ प्राचीन कठोर शैली से होकर बहती है अतः बहुत कम मिट्टी का निक्षेप होता है।
ये नदियाँ अपने पर्वतीय मार्ग में टेढ़ी-मेढ़ी बहकर मैदानी क्षेत्र में विसर्पों का निर्माण करती है ।  ये नदियाँ विसर्पों का निर्माण नहीं करती है यह सीधे मार्ग में बहती है।
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