सन 1905 में बंगाल राष्ट्रीय आदोलन का केन्द्र था। अतः लार्ड कर्जन ने 20 जुलाई 1905 में बंगाल को दो भागों में बाँटने की घोषण किया। उसका कहना था की बंगाल एक बहुत बड़ा प्रांत है शासन की सुविधा के लिए उसका विभाजन आवश्यक है। लेकिन उसका मुख्य उद्देश्य हिन्दु और मुसलमानों में फूट डालना था। और राष्ट्रीय एकता को नष्ट करना था।
बंगाल प्रेसीडेंसी में बंगाल, बिहार, छत्तीसगढ़, उड़ीसा और असम शामिल थे। यह ब्रिटिश भारत का सबसे बड़ा प्रांत था। बंगाल के विभाजन को वहाँ के निवासियों ने अपनी राष्ट्रीय और संस्कृति पर आघात समझा। जिसके बाद बंगाल के लोग इस विभाजन के विरुद्ध हो गए।