मालवा का पठार कहां है?

मालवा का पठार उत्तर में अरावली पर्वत दक्षिण में विंध्याचल व सतपुड़ा पर्वत और पश्चिम में गंगा के डेल्टा तक फैला हुआ है। इन्हें कई स्थानों पर नदियों ने खंडित कर दिया है जैसे- दक्षिण उत्तर प्रदेश में बुन्देलखंड तथा बघेलखंड, दक्षिण बिहार में छोटा नागपुर आदि। इसके अंतर्गत निम्नांकित उप-प्रदेश है। 

1. विंध्याचल पर्वत श्रेणी - यह मालवा पठार में 120 किमी के विस्तार में फैली है। पश्चिम में खम्भात की खाड़ी से सासाराम तक विस्तृत है । इन पर्वतों की रचना बलुआ पत्थर तथा कर्वाटजाइट शैलों से हुई है। मैकाल श्रेणी विध्याचल तथा सतपुड़ा पर्वत को मिलाती है।

2. सतपुड़ा पर्वत श्रेणी - विंध्याचल पर्वत के समान्तर दक्षिण में नर्मदा तथा ताप्ती नदियों के मध्य सतपुड़ा श्रेणियों का विस्तार है। यह पश्चिम में गुजरात की राजपीपला पहाड़ियों से लेकर पूर्व में पचमढ़ी, मैकाल तथा सरगुजा पहाड़ियों के रूप में राँची, हजारीबाग (झारखंड) तक फैली हुई है। इसकी सबसे ऊँची चोटी धूपगढ़ (1480 मी.) पचमढ़ी में है। यह श्रेणी अधिकतर बेसाल्ट तथा ग्रेनाइट शैलों से बनी है।

3. छोटा नागपुर का पठार - यह पठार झारखंड के राँची, हजारीबाग, गया जिलों में है। इसकी औसत ऊँचाई 760 मीटर तक है किन्तु पार्श्वनाथ की ऊँचाई 1365 मीटर है। यह पठार खनिज संसाधनों की दृष्टि से अत्यंत संपन्न है। यहाँ कोयला, ताँबा, बॉक्साइट, अभ्रक, क्रोमाइट, चिकनी मिट्टी, चूनापत्थर, टंग्सटन, फेल्सपार आदि खनिज मिलते हैं।

4. अरावली पर्वत श्रेणी - यह श्रेणी भारत की प्राचीनतम वलित श्रेणी है। अपक्षय तथा अपरदन के कारकों ने इसे अपरदित कर अवशिष्ट पर्वत में बदल दिया है। इस श्रेणी का विस्तार अहमदाबाद के राजस्थान होते हुए दिल्ली तक 800 कि.मी. लंबाई में है, इसकी प्रमुख चोटियाँ माउण्ट आबू, जरगा पहाड़ियाँ, हर्षनाथ आदि है।

5. थार मरुस्थल - यह मरुस्थल राजस्थान के उत्तर-पश्चिम में लगभग 640 कि.मी. लंबा और 160 कि. मी. चौड़ा रेतीला मरुस्थल है। यह पवनों की दिशा में 150 मीटर तक ऊँचाई के बालुका स्तूप मिलते हैं।

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