छत्तीसगढ़ की मिट्टी की विशेषताएं?

छत्तीसगढ़ में लाल तथा पीली मिट्टी अधिक पाई जाती है। नाइट्रोजन तत्वों की कमी के कारण इसकी उर्वरकता कम होती है। किन्तु यहाँ की मिट्टी धान के फसल के लिए आदर्श है। छत्तीसगढ़ धान का कटोरा कहलाता है। 

छत्तीसगढ़ की मिट्टी की विशेषताएं

1. लाल और पीली मिट्टी- इस वर्ग की मिट्टियॉ प्राचीन युग की ग्रेनाइट शिष्ट चट्टानों पर विकसित हुई है। यह महानदी बेसिन के पूर्वी जिलों सरगुजा, सूरजपुर, बलरामपुर, कोरिया, बिलासपुर, जाँजगीर, रायगढ, जशपुर, रायपुर, गरियाबंद, बलौदाबाजार-भाठापारा, धमतरी, महासमुंद, कांकेर, बस्तर, कोंडागांव, दंतेवाड़ा और सुकमा में विस्तृत है।

2. लैटराइट मिट्टी- यह मिट्टी लाल शैलों से निर्मित होती है इसलिए इसका रंग लाल होता है, यह मिट्टी सरगुजा जिले के मैनपाट पठार के दक्षिण भाग, बिलासपुर, कोरबा, जाँजगीर, बेमेतरा, बस्तर में जगदलपुर के आसपास मिलती है।

3. काली मिट्टी - काली मिट्टी रायपुर जिले के मध्यक्षेत्र बिलासपुर तथा राजनांदगाँव जिले के पश्चिमी भाग कवर्धा में पाई जाती है। लोहा तथा जीवाश्म की उपस्थिति के कारण इसका रंग काला होता है, पानी पड़ने पर यह चिपकती है और सूखने पर इसमे बड़ी मात्रा में दरारें पड़ती है।

4. लाल बलुई मिट्टी- यह दुर्ग, राजनांदगाँव, पश्चिमी रायपुर और बस्तर संभाग में पाई जाती है। 

5. लाल दोमट मिट्टी- यह दक्षिणी पूर्वी बस्तर जिले में पाई जाती हैं।

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