सूचना का अधिकार अधिनियम क्या है - suchna ka adhikar

भारत में जब लोकतांत्रिक गणराज्य की स्थापना की गई। तो लोकतंत्र में आवश्यक है कि नागरिकों को सूचना की जानकारी उपलब्ध करायी जाए। तथा सरकार शासितों के प्रति जवाबदेही तय हो। 

सूचना का अधिकार अधिनियम क्या है

जानकारी की गोपनीयता को दृष्टिगत रखते हुए लोकतांत्रिक आदर्शों के परिपालन में जनहित को ध्यान में रखते हुए नागरिकों को सूचना उपलब्ध कराने के उद्देश्य से सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 पारित किया गया। 

इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य लोकतांत्रिक आदर्शों को सर्वोपरि मानते हुए संवेदनशील गोपनीयता बनाए रखते हुए जो सूचना नागरिक चाहते हों उसकी जानकारी देना हैं। इस अधिनियम के अनुसार सूचना देना सरकार के सभी विभागों का कर्त्तव्य होगा।

इससे नागरिकों से संबंधित लोकहित कार्यों में अनावश्यक विलम्ब तथा नौकरशाही का वर्चस्व दूर कर सकेगा। शासन और उनके संगठनों के माध्यमों से जनता के प्रति जवाबदेही होने का अहसास होगा।

इस अधिनियम को सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 कहा जाता हैं। धारा 2 के अनुसार सूचना के अधिकार से तात्पर्य ऐसी सूचना के अधिकार से है जो इस अधिनियम के अधीन पहुँच योग्य और अधिगम्य हो। सूचना के अधिकार में निम्न अधिकार सम्मिलित हैं -

  1. किसी कार्य दस्तावेजों का अभिलेखों का निरीक्षण। 
  2. दस्तावेजों के नोट्स लेना, उनकी प्रमाणित प्रतिलिपियाँ लेना। 
  3. सामग्री के प्रमाणित नमूने। 
  4. जहाँ सूचना कमप्यूटर में द्वारा भंडारण की गई हैं, वह वीडियो या फाइल द्वारा प्राप्त करना।

1. सूचना का अधिकार - इस अधिनियम के आधीन रहते हुए समस्त नागरिक सूचना का अधिकार प्राप्त कर सकते हैं। अर्थात अधिकार निर्देश के आधीन रहेंगे। 

यदि अधिनियम के उपबंध किसी सूचना की संवदेनशील व गोपनीय मानने का प्रावधान रखते हैं तो सूचना पाने का अनुरोध नागरिक के लिए प्रतिबंधित होगा। किन्तु नागरिकों के पहुँच के भीतर सूचना उपलब्ध कराने में लोक प्राधिकारी की जवाबदेही होगी। 

इस बात का प्रयास हो कि नागरिकों को सामान्य रूप से जानकारी प्राप्त हो सके तथा लोकहित के कार्यों में भी किसी प्रकार की कठिनाई ना हो।

2. लोक प्राधिकारियों का दायित्व - अधिनियम की धारा 4 के अनुसार प्रत्येक लोक प्राधिकारी के लिए अनिवार्य होगा कि। वे अपने समस्त अभिलेख की सूची को तालिकाबद्ध प्रारूप में बनाए रखें। जिससे इस अधिनियम के अधीन सूचना अधिकार को सरल बनाया जाए। 

यह सुनिश्चित करें कि समस्त अभिलेख, कम्प्यूटरीकृत किए जाँए तथा समस्त देश विभिन्न पद्धतियों से रेडियो, टेलीविजन से जुड़ा हुआ रहे जिससे अभिलेख तक पहुँच को आसान बनाया जा सके।

इस अधिनियम के लागू होने के 120 दिन के भीतर लोक प्राधिकारी निम्नलिखित प्रकाशन करेगा तथा 100 दिन के भीतर प्रत्येक लोक प्राधिकारी प्रत्येक अनुविभागीय स्तर पर केन्द्रीय सहायक लोक सूचना अधिकारी के रूप में पद पद धरण करेगा। जिससे कार्यालयों को इस अधिनियम के अधीन व्यक्तियों को सूचना प्रदान की जाएगी। लोक प्रधिकारी निम्न प्रकाशन करेगा -

  1. संगठन कृत्य और कर्त्तव्यों की विशेषताओं का प्रकाशन
  2. अधिकारीगण तथा कर्मचारियों की शक्तियों और कर्त्तव्यों का प्रकाशन।
  3. निर्णय किए जाने के प्रक्रम में अपनायी जाने वाली प्रक्रिया और निगरानी का प्रकाशन।
  4. मानदंड निश्चित करना तथा नियमों, विनिमयों, अनुदेशों मेन्युल्स का प्रकाशन।
  5. उसके द्वारा धारित दस्तावेजों की श्रेणियों का विवरण एवं प्रकाशन। 
  6. नीतियों के परिपालन के सम्बन्ध में किसी व्यवस्था और परामर्श का प्रकाशन। 
  7. बोर्डों, परिषदों और निकायों का विवरण का प्रकाशन।
  8. इसके अधिकारियों और कर्मचारियों की निर्देशिका का प्रकाशन। 
  9. मासिक–पारिश्रमिक, क्षतिपूर्ति, मुआवजे की पद्धति का प्रकाशन।
  10. अभिकरण के लिए आबंटित बजट, समस्त योजनाओं की रिपोर्ट का प्रकाशन। 

3. सूचना प्राप्त करने लिए अनुरोध - वह व्यक्ति जो इस अनुरोध के अंतर्गत कोई सूचना प्राप्त करने की इच्छा रखता है लिखित में या इलेक्ट्रानिक साधन द्वारा अंग्रेजी, हिन्दी या क्षेत्रीय भाषा जो उसे क्षेत्र में आवेदन दिया जा रहा है फीस सहित अपना अनुरोध कर सकता है ।

इस अनुरोध में वह सूचना की विशिष्टियाँ इंगित करेगा। सूचना के लिए अनुरोध करने वाले व्यक्ति से कारण बताए जाने का या कोई अन्य व्यक्तिगत विवरण देने की अपेक्षा नहीं की जाएगी। सिवाय इसके कि उससे सम्पर्क साधन के लिए जो विवरण आवश्यक हो वह प्रदाय करें।

लोक प्राधिकारी जिसे आवेदन दिया गया है उसे आवेदक को या उस आवेदन से संबंधित किसी ऐसे भाग को जो उस लोक सूचना अधिकारी को स्थानान्तरित करेगा जो उपयुक्त रीति की सूचना देने में सक्षम हो तथा आवेदन प्राप्ति के पाँच दिनों के भीतर आवेदन को स्थानांतरित करने के बारे में सूचित करेगा।

अनुरोध का निपटारा केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी अनुरोध प्राप्त होने पर यथासंभव शीघ्र या किसी भी दशा में अनुरोध प्राप्त होने के तीस दिन के भीतर सूचना प्रदान करेग या धारा 8 या 9 में निहित कारणों में से किसी कारण से अनुरोध को नामंजूर कर देगा। 

परन्तु जहाँ चाही गई सूचना व्यक्ति के जीवन स्वतंत्रता से संबंध रखती है तो उस सूचना को अनुरोध प्राप्ति से 48 घंटे के भीतर प्रदान किया जाना अनिवार्य होगा। यदि केन्द्रीय सूचना अधिकारी या राज्य सूचना अधिकारी कालावधि के भीतर सूचना के अनुरोध पर निर्णय करने में असफल रहते हैं तो यह समझा जावेगा कि अनुरोध नामंजूर कर दिया गया है।

सूचना का अधिकार शुल्क

अनुरोध की मंजूरी या नामंजूरी की दशाओं में कार्यवाही करने की लोक सूचना प्राधिकारी, अधिकारी की कर्त्तव्यनिष्ठा पर बल दिया गया है। सूचना देने के लिए अवधारित लागत खर्च की गणना एवं आंकलन कर उस फीस को जमा करने का अनुरोध किया जाएगा। इस हेतु 30 दिन का समय निर्धारित है। 

फीस जमा करने की तिथि को कालावधि की तीस दिन में नहीं गिना जावेगा। जिस व्यक्ति को सूचना दी जाती है यदि वह निःशक्त है तो सूचना प्राप्ति में सूचना अधिकारी राहत बरतेगा। 

सूचना मुद्रित प्राप्त में उपलब्ध कराई जाएगी तथा निर्धारित फीस ली जा सकेगी। किन्तु ऐसा व्यक्ति जो गरीबी रेखा से नीचे है उन्हें फीस विमुक्ति दी जावेगी। इसी प्रकार से यदि अधिकारी सूचना समझाईश में नहीं दे सके तब भी फीस रियायत दी जावेगी।

नामंजूरी का कारण बताते हुए तथा अपीलीय प्राधिकारी के बारे में विशिष्टयों में व्यक्ति के पदनाम, स्थान, पता आदि अन्य सूचनाएँ अनुरोध चाहने वाले व्यक्ति को सूचना अधिकारी देंगे।

सूचना का अधिकार सीमाएं 

  1. ऐसी सूचना जिससे भारत की प्रभुसत्ता और अखण्डता पर प्रतिकूल प्रभाव हो वह सूचना नहीं दी जाएगी।
  2. ऐसी सूचना जिसको प्रकाशित करने में न्यायालय द्वारा निषिद्ध किया गया हो।
  3. ऐसी सूचना जिसके प्रकटीकरण से संसद या विधानसभा के भंग होने का कारण होगा।
  4. ऐसी सूचना जिसमें वाणिज्यिक विश्वास, गोपनीयता के लिए या प्रकटीकरण हानिप्रद हो। 
  5. ऐसी सूचना जिसके प्रकाशन में किसी व्यक्ति के शारीरिक सुरक्षा को खतरा हो। 
  6. सूचना जो अपराधियों के अनुसंधान या जाँच में बाधक बनेगी।
  7. ऐसी सूचना जो विदेशी सरकार से प्राप्त की गई है।
  8. मंत्रिमंडलीय कागजात जिसमें मंत्रिपरिषद्, सचिवों व अन्य अधिकारियों का अभिलेख हो।

उपरोक्त सभी सूचनाओं जब तक राजस्व प्राधिकारी इस बात से संतुष्ट न हो जावे कि लोकहित उनकी प्रकटीकरण आवश्यक है तभी दिए जाएँगे।

कतिपय मामलों में पहुँच की नामंजूरी के लिए आधार धारा 7 के उपबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य सूचना अधिकारी के अनुरोध को नामंजूर कर सकेगा।

तीसरे पक्ष को सूचना धारा 11 के अनुसार जब कोई सूचना तीसरे पक्ष में संबंधित है तथा तीसरे पक्ष ने उस पर अनुरोध किया तो केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य सूचना अधिकारी अनुरोध प्राप्ति की समयाविधि में तीसरे पक्ष को सूचना देगा। 

सूचना, रिकार्ड या भाव प्रकटन के बारे में विरोध दर्ज कराने या विरोध को विनिश्चय करने के निर्धारित समय सीमा के भीतर कार्यवाही का प्रावधान करेगा। तीसरे पक्ष के विरूद्ध विनियम होने पर तीसरे पक्ष को धारा 11 के अंतर्गत अपील का अधिकारी होगा।

केन्द्रीय सूचना आयोग का गठन

केन्द्रीय सरकार राजपत्र में अधिसूचना के द्वारा केन्द्रीय सूचना के नाम से जानने योग्य एक निकाय का गठन इस अधिनियम के अधीन प्रदत्त शक्तियों के प्रयोग करने तथा सौंपे गए कृत्यों का निर्वहन करने के लिए करेगी। 

केन्द्रीय सूचना आयोग में निम्नलिखित सदस्य रहेंगे मुख्य सूचना आयुक्त ऐसी संस्थाओं के केन्द्रीय सूचना आयुक्तों को रखा जाएगा जो 10 की संख्या से अधिक न हो। मुख्य सूचना आयुक्त को और सूचना आयुक्तों को निम्नलिखित कमेटी की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाएगा

  • प्रधानमंत्री इस कमेटी के चेयरमेन रहेंगे
  • लोकसभा के विपक्ष के नेता
  • प्रधानमंत्री द्वारा निर्देशित केन्द्रीय मंत्री परिषद् का मंत्री

केन्द्रीय सूचना आयोग के कार्यकलाप, सामान्य अधीक्षक, निर्देश प्रबंध मुख्य सूचना आयुक्त में निहित होंगे, जिसकी सूचना आयोगों के द्वारा की जावेगी और वह समस्त ऐसी शक्तियों का प्रयोग कर सकेगा और समस्त ऐसे कार्य एवं बातों को कर सकेगा जिसका प्रयोग क्रियान्वयन इस अधिनियम के अधीन किसी अन्य प्राधिकारी के निर्देशन में अध्याधीन स्वायत्तशासी के रूप में केन्द्रीय सूचना आयोग द्वारा किया जा सकेगा।

मुख्य सूचना आयुक्त तथा सूचना आयुक्त ऐसे उत्कृष्ट व्यक्ति होंगे जिनको विधि विज्ञान एवं तकनीकी, सामाजिक सेवा प्रबंध और शासन में विस्तृत जानकारी और अनुभव हो।

मुख्य सूचना आयुक्त अथवा सूचना आयुक्त तथा स्थिति संसद सदस्य या संघीय क्षेत्र अधिकार के सदस्य या किसी राजनैतिक दल से संबंध नहीं रखेंगे। न ही व्यवसाय स्वीकार करेंगे। केन्द्रीय सूचना आयोग का हेडक्वार्टर दिल्ली में होगा।

सेवा की शर्तें - मुख्य सूचना आयुक्त की उस दिनांक से जब वह अपने ऑफिस में प्रवेश करते हैं, पाँच वर्ष पदावधि होगी और वे पुनः सेवा के पात्र नहीं होंगे। मुख्य चुनाव आयुक्त 65 वर्ष की आयु के बाद पद धारण नहीं करेंगे तथा 5 वर्ष से अधिक पद पर नहीं रहेंगे।

मुख्य सूचना आयुक्त या सूचना आयुक्त किसी भी समय पद त्याग कर सकेंगे। मुख्य सूचना आयुक्त या सूचना आयुक्त धारा 14 के अंतर्गत अपने पद से हटाए जा सकेंगे। मुख्य चुनाव आयुक्त मुख्य सूचना आयुक्त राष्ट्रपति के सामने पद की शपथ लेंगे तथा पद त्यागकर सकेंगे। 

धारा 14 उपधारा (3) के उपबंधों के अध्याधीन राष्ट्रपति द्वारा सुप्रीम कोर्ट को किए गए संदर्भ पर जाँच पर, सुप्रीम कोर्ट रिपोर्ट देता है कि मुख्य सूचना आयुक्त या किसी सूचना आयुक्त को यथास्थिति ऐसे आधार पर हटाए जाने चाहिए। तब राष्ट्रपति के आदेश के द्वारा मुख्य सूचना आयुक्त या किसी आयुक्त को सिद्ध हुए दुर्व्यहार, अभद्रता, अयोग्यता के आधार पर हटाया जावेगा। राष्ट्रपति उनका निलंबन या पद पर से निष्कासन कर सकता है।

इस अधिनियम के अधीन मुख्य सूचना आयुक्त व सूचना आयुक्त को अपने कर्त्तव्य निवर्हन के लिए यथा संभव अपनी ओर से आवश्यक अधिकारी, कर्मचारी भी देगा। किन्तु उनके वेतन भत्ते एवं सेवा शर्तें एक सी होगी जैसी विहित की गई हो ।

राज्य सूचना आयोग क्या है

प्रत्येक राज्य सरकार सरकारी राज्य में अधिसूचना के द्वारा इस अधिनियम के अनुसार प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करने, सौंपे गए कर्त्तव्यों का निर्वहन करने के लिए राज्य सूचना आयोग नामक निकाय का गठन करेगी राज्य सूचना आयोग में निम्नलिखित रहेंगे

  1. राज्य मुख्य सूचना आयुक्त।
  2. राज्य सूचना आयुक्त आवश्यकतानुसार।

मुख्य सूचना आयुक्त व राज्य सूचना आयुक्तों को निम्न कमेटी की अनुशंसा पर राज्यपाल द्वारा नियुक्त किया जावेगा।

  1. मुख्यमंत्री जो कमेटी का चेयरमेन होगा।
  2. विधा। सभा में विपक्ष के नेता।
  3. मुख्यमंत्री द्वारा नाम निर्देशित एक मंत्री। 

राज्य सूचना आयोग का गठन

1. सामान्य अधीक्षण, निर्देशन, प्रबंधक, राज्य मुख्य सूचना आयुक्त में निहित रहेंगे जिसकी सहायता राज्य सूचना आयुक्तों द्वारा की जावेगी और ऐसी समस्त शक्तियों का वह प्रयोग करेगा जो स्वायत्तशासी रूप में राज्य सूचना आयोग द्वारा इस अधिनियम के आधीन किसी अन्य प्राधिकारी के हस्तक्षेप के बिना क्रियान्वित होंगे।

2. राज्य मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों में सार्वजनिक रूप से ऐसे प्रतिष्ठित उत्कृष्ठ व्यक्ति को रखा जाएगा जिसकी व्यापक जानकारी ज्ञान एवं विधि तथा तकनीक, सामाजिक सेवा प्रबंध पत्रकारिता तथा प्रशासन व शासन का अनुभव हो ।

3. राज्य मुख्य आयुक्त तथा आयुक्त संसद या विधान सभा के सदस्य नहीं होंगे तथा न ही किसी दल से संबंधित होंगे। वे लाभकारी पद या कारोबार को स्वीकार नहीं करेंगे।

मुख्यालय - इस आयोग का मुख्यालय ऐसी जगह होगा जहाँ राज्य सरकार राजपत्र में अधिसूचना द्वारा तय करे। यह भी व्यवस्था है कि सूचना आयोग राज्य सरकार से अनुमति लेकर अन्य स्थान पर कार्यालय खोले। 

मुख्य सूचना आयुक्त व राज्य सूचना आयुक्त की सेवा शर्ते 

1. राज्य मुख्य सूचना आयुक्त पाँच वर्ष के लिए होगा और पुनर्नियुक्ति का पात्र नहीं होगा।

2. प्रत्येक राज्य सूचना आयुक्त पाँच वर्ष या 65 वर्ष की आयु इनमें से जो पहले अपना कार्यकाल पूरा करेगा। उसके पश्चात् पुनर्नियुक्ति का पात्र नहीं होगा, किन्तु वह मुख्य सूचना आयुक्त बन सकता है। 

यदि राज्य सूचना आयुक्त, मुख्य सूचना आयुक्त के रूप में नियुक्त होता है तो उसकी पदावधि कुल मिलाकर दोनों पदों के आयुक्त के रूप में पाँच से अधिक नहीं होगी।

3. मुख्य सूचना आयुक्त या राज्य सूचना आयुक्त राज्यपाल के नाम पद ग्रहण करने के पूर्व कर्त्तव्यनिष्ठा की शपथ लेंगे तथा निर्धारित प्रारूप के अनुसार हस्ताक्षर करेंगे।

4. राज्य मुख्य सूचना आयुक्त व आयुक्त किसी भी समय राज्यपाल को अपने पद से त्यागपत्र दे सकते हैं। राज्यपाल द्वारा सुप्रीम कोर्ट को दिए संदर्भ में जाँच बाद राज्यपाल के आदेश द्वारा सिद्ध प्रमाणित, दुर्व्यवहार, असमर्थता के आधार पर हटाया जा सकेगा। 

राज्यपाल इन्हें जाँच के दौरान निलंबित कर सकेगा और आवश्यक समझे तो पद पर उपस्थित रहने का निषेध भी कर सकता है। दीवालिया, अपराधी, अयोग्यता व वित्तीय हित अर्जन करने आदि के आधार पर राज्यपाल उसे पद से हटा सकेगा।

सूचना आयोगों की शक्तियाँ एवं कार्य विधि

1. धारा 18 में सूचना आयोगों की शक्तियाँ तथा कृत्य में शिकायत की जाँच करने, विर्निदिष्ट विषयों में सिविल प्रक्रिया संहिता के अधीन दी गई शक्तियों का प्रयोग करने के लिए प्राधिकृत किया गया है।

2. केन्द्रीय सूचना आयोग या यथास्थिति राज्य सूचना आयोग के धारा 13 में वर्णित दशाओं में किसी व्यक्ति की शिकायत इस बात का समाधान होने पर कि जाँच आवश्यक है जाँच करने का अधिकार है। अनुरोध पर

समयाविध में ध्यान नहीं दिया गया या फीस अनुपयुक्त हो युक्ति-युक्त माँगी गई या अपील का समयावधि में अग्रसर करने से इंकार करने पर या अनुरोध कर सूचना की पहुँच नहीं कराई गई हो।

अपील- अपील एक कानूनी अधिकार है जो कानून के अधीन दुखी पक्ष को दिया जाता है। सूचना के लिए निर्धारित कालावधि व्यतीत होने के 30 दिनों के भीतर दुखी व्यक्ति अपील प्रस्तुत कर सकता है। दूसरी अपील 90 दिनों के भीतर प्रस्तुत की जावेगी। 

अपील प्राप्त करने के तीस दिनों के भीतर या कुल मिलाकर 45 दिनों में कारणों को अभिलिखित करते हुए निपटारा किया जाएगा । केन्द्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग का विनिश्चय बाध्यकर होगा। नस्तियाँ धारा 20 में इनका दस्तावेज है। 

केन्द्रीय कानून के अन्तर्गत पारदर्शिता एवं जवाबदारी शासन व प्रशासन में निष्ठा भारतीय नागरिकों में बनाए रखने के लिए कदाचार, दुराग्रह को खत्म करने तथा लोकतंत्र की गरिमा बनाए रखने के लिए शास्तियों की व्यवस्था की गई। इनका उद्देश्य युक्तियुक्त कारणों के बिना सूचना आवेदन प्राप्त करने से इन्कार करने पर सेवा नियमों के अधीन अनुशासनात्मक कार्यवाही करना है।

छत्तीसगढ़ सूचना के अधिकार

छत्तीसगढ़ शासन सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा 11 अक्टूबर, 2005 को सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 में प्रदत्त शक्तियों का धारा प्रयोग करते हुए राज्य सरकार निम्नलिखित नियम बनाती है अर्थात् 

1. ये नियम छत्तीसगढ़ सूचना का अधिकार, शुल्क एवं मूल्य विनिमयकरण कहलाएगा तथा यह प्रकाशन की तिथि से प्रभावशाली रहेगा। शब्दों व अभिव्यक्तियों जो नियम से प्रयुक्त है, उनके वही अर्थ होंगे जो उनके लिए अधिनियम में दिए जाते हैं। 

धारा 6 की उपधारा (1) के तहत सूचना प्राप्त करने हेतु दस रुपए का शुल्क समुचित रसीद सहित चालान द्वारा लोक प्राधिकारी के नाम से देय होगा। धारा 7 के उपधारा (1) के तहत सूचना उपलब्ध कराने हेतु नियमानुसार मूल्य समुचित रसीद या मनीआर्डर सहित चालान द्वारा जमा होगा। 

  • तैयार किए गए प्रतिलिपि प्रत्येक कागज के लिए रु. 
  • बड़े कागज पर प्रति का वास्तविक मूल्य या लागत मूल्य एवं 
  • नमूना अथवा माडल के लिए वास्तविक लागत मूल्य देय होगा।

9 मार्च, 2006, 7 मार्च, 2006 में सूचना के अधिकार में निम्न परिवर्तन किए गए हैं। गरीबी रेखा से नीचे के व्यक्तियों के लिए चाही गई जानकारी हेतु -

आवेदन द्वारा माँगी गई जानकारी यदि उसके जीवन से संबंधित है तो वह प्रारूप में दी जावेगी। जिसमें वह माँगी गई है। चाही गई जानकारी यदि स्वयं से संबंधित नहीं हो, तो 50 पृष्ठों की छायाप्रति तैयार करके 100 /के खर्च में दी जावेगी।

यदि जानकारी 50 पृष्ठों से अधिक तथा 100 पृष्ठों से अधिक खर्च की है तो आवेदकगण को कार्यालय अभिलेखों नस्तियों के लिए निवेदन करना होगा।

प्रश्नोत्तर प्रारूप में माँगी गई जानकारी हेतु नॉन बी. पी. एल. कार्डधारियों के लिए यदि वह उसके व्यक्तिगत जीवन से संबंधित है तो 100 प्रतिपृष्ठ की कीमत में माँगे गए प्रारूप में दी जावेगी।

उत्तर तैयार करने में जन संसाधन, कम्प्यूटर, समय व अन्य संसाधनों पर आने वाले खर्च आवेदक द्वारा शुल्क जमा करने के उपरांत प्रारूप में दी जावेगी । अन्यथा नस्ती अभिलेख के अवलोकन की अनुमति दी जावेगी। नस्ती अवलोकन के प्रथम घंटे का शुल्क 50 रुपए होगा। छत्तीसगढ़ सूचना आयोग का गठन भी राज्य सूचना आयोग के अनुसार ही किया गया है।

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