द्विबीजपत्री तथा एकबीजपत्री तने में अन्तर
द्विबीजपत्री पत्ती | एकबीजपत्री पत्ती |
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इसकी बाह्या त्वचा पर बहुकोशिकीय रोम पाये जाते हैं। | इसकी बाह्यत्वचा पर रोम नहीं पाये जाते हैं। |
इसकी हाइपोडर्मिस कोलेनकायमा की बनी होती हैं। |
इसकी हाइपोडमिस स्केलेरेनकायमा की बनी होती है। |
इसमें एण्डोडर्मिस तथा पेरिसाइकिल पाये जाते हैं। | इनमें ये अनुपस्थित होते हैं। |
संवहन पूल कम संख्या में एक चक्र के रूप में व्यवस्थित होते हैं। | ये संख्या में अधिक तथा अनियमित रूप से भरण ऊतक में बिखरे रहते हैं। |
इनके संवहन पूल खुले प्रकार के होते हैं। | इनके संवहन पूल बन्द प्रकार के होते हैं। |
इनमें संवहन पूल के चारों तरफ कोई परत नहीं होती। | इनमें संवहन पूल के चारों तरफ स्क्लेरेनकायमा की बनी एक पर्त पायी जाती है। |
इनमें मज्जा तथा मज्जा किरणें पायी जाती हैं। |
इनमें ये दोनों अनुपस्थित होती हैं। |
इनमें द्वितीयक वृद्धि होती है । | इनमें द्वितीयक वृद्धि नहीं होती। |
इनके सम्वहन पूल एक ही आकार के होते हैं । |
इनमें बाहर की ओर छोटे तथा केन्द्र की ओर बड़े संवहन पूल पाये जाते हैं । |
इनका फ्लोएम चालनी नलिकाओं, सहकोशिकाओं तथा मृदूतक कोशिकाओं का बना होता है। | इनका फ्लोएम केवल चालनी नलिकाओं तथा सहकोशिकाओं का बना होता है। |