द्विबीजपत्री जड़ |
एकबीजपत्री जड़ |
इसकी पेरिसाइकिल पार्श्व मूलों और द्वितीयक विभज्योतक का निर्माण करती है। |
यह केवल पार्श्व मूलों का ही निर्माण करती है, क्योंकि एकबीजपत्री जड़ में द्वितीयक वृद्धि का अभाव होता है। |
इनके संवहन फूलों की संख्या सामान्यत: 2-6 तक होती है, कुछ में ही इससे अधिक होती है। |
इनके संवहन पूलों की संख्या सामान्यतः छः से अधिक होती है। बहुत कम पादपों में इससे कम होती है। |
इनमें पिथ अल्प विकसित अथवा अनुपस्थित होता। |
इनमें पिथ पूर्ण विकसित होता है। |
इनमें द्वितीयक वृद्धि के समय कैम्बियम उत्पन्न हो जाता है। |
इनमें कैम्बियम तथा द्वितीयक वृद्धि का अभाव होता है। |