जड़ की आन्तरिक संरचना क्या है - internal structure of the root

जड़ पौधे का एक अंग होता हैं जो पौधे को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता हैं, जिससे पौधों को लंबा और तेजी से बढ़ने में सहायता मिलती है। वे अक्सर मिट्टी की सतह के नीचे होते हैं, लेकिन जड़ें जमीन के ऊपर या विशेष रूप से पानी के ऊपर बढ़ सकती हैं।

जड़ की आन्तरिक संरचना

जड़ पौधे का एक महत्त्वपूर्ण अंग है, जिसकी संरचना में निम्नलिखित विशेषताएँ पायी जाती हैं -

  • जड़ की सबसे बाहरी एककोशिकीय स्तर एपीब्लेमा कहलाती है जिस पर कम समय तक जीवित रहने वाले एककोशिकीय मूल रोम पाये जाते हैं। 
  • एपीब्लेमा के नीचे मृदूतकी कोशिकाओं की बनी एक स्तर पायी जाती है जिसे कॉर्टेक्स कहते हैं।
  • कॉर्टेक्स के अन्दर की ओर एककोशिकीय स्तर पायी जाती है जिसे अन्तस्त्वचा कहते हैं ।
  • अन्तस्त्वचा की निचली स्तर पेरीसाइकिल कहलाती है जो मृदूतक कोशिकाओं की बनी होती है।
  • पेरीसाइकिल के अन्दर संवहन पूल स्थित होता है। इनके जायलम तथा फ्लोयम एक-दूसरे से भिन्न-भिन्न त्रिज्याओं पर एक क्रम में स्थित होते हैं।
  • इनके जायलम एक्सार्च होते हैं। इनके प्रोटोजायलम केन्द्र से दूर तथा मेटाजायलम केन्द्र की ओर स्थित होते हैं।
  • इनका फ्लोयम नलिका, कोशिका तथा फ्लोयम मृदूतक का बना होता है।
  • इनके जायलम तथा फ्लोयम के बीच संयोजी ऊतक नामक मृदूतकी ऊतक पाया जाता है।

वैसे तो सभी पुष्पीय पादपों के जड़ों की आधारभूत संरचना एक जैसी होती है, फिर भी द्विबीजपत्री एवं एकबीजपत्री पादपों की जड़ों की संरचना में कुछ अन्तर पाया जाता है। इस कारण इनका अध्ययन अलग-अलग करना ही उत्तम है।

1 द्विबीजपत्री जड़ की संरचना 

चना द्विबीजपत्री पादप का एक सामान्य उदाहरण है जिसकी जड़ को सूक्ष्मदर्शी में देखने पर निम्नलिखित संरचनाएँ दिखाई देती हैं -

  • बाह्यत्वचा - यह सबसे बाहरी एककोशिकीय स्तर है, जिसकी कोशिकाओं से एककोशिकीय मूल रोम निकलते हैं। यह भूमि से जल एवं खनिज लवणों का अवशोषण करती है। 
  • कॉर्टेक्स  – यह बाह्यत्वचा से अन्तस्त्वचा के बीच स्थित होता है तथा गोलाकार अथवा बहुभुजाकार मृदूतकी कोशिकाओं का बना होता है। इसकी कोशिकाओं में अन्तराकोशिकीय अवकाश पाया जाता है। ये कोशिकाएँ स्टार्च का संग्रहण करती हैं।
  • अन्तस्त्वचा - यह 'फॉर्टेक्स की आन्तरिक सतह पर पायी जाने वाली भरत है जो सम्वहन पूल को चारों तरफ से घेरे रहती हैं।
  • पेरिसाइकिल - यह परत अन्तस्त्वचा के तुरन्त बाद पायी जाती है और वोशिकाओं की एक परत की बनी होती है।
  • सम्वहन पूल - इसके सम्वहन पूल में जायलम तथा फ्लोएम एकदूसरे के बराबर-बराबर विभिन्न अव्यास पर स्थित हैं। इसका सम्वहन पूल अरीय तथा एक घेरे में त्रस्थित रहता है। इसका सम्बहन पूल चतुराfरुक तथा जायलम एक्सार्च होता। इसका फ्लोएम चालनी नलिका, सखि कोशिका तथ फ्लोएम पैरेनकाइमा का बना होता है।
  • संयोजी ऊतक – जायलम तथा फ्लोएम के फूलों के मध्य मृदूत की संयोजी ऊतक पाया जाता है।
  • मज्जा - संवहन फूलों के मध्य काग पिथ या मज्जा कहलाता है। यह कम विकसित होता है तथा मृदूतकी कोशिकाओं का बना होता है, जिस अन्तराकोशिकीय अवकाश पाये जाते हैं। 

2 एकबीजपत्री जड़ की संरचना 

मक्का एकबीजपत्री पादप का प्रमुख उदाहरण है जिसकी जड़ के अनुप्रस्थ काट में निम्न संरचनाएँ दिखाई देती हैं। 

  • बाह्यत्वचा - सबसे बाहरी एकको शकीय परत है जिस पर एककोशिकीय रोम पाये जाते हैं।
  • कॉर्टेक्स - बहुस्तरीय मृदूतकी कोशिकाओं की बनी अन्तराकोशिकीय अवकाशयुक्त दूसरी स्तर है।
  • अन्तस्त्वचा - कॉर्टेक्स की आन्तरिक स्तर पर ढोलक जैसी कोशिकाओं की बनी स्तर है।
  • पेरिसाइकिल  - यह अन्तस्त्वचा के नीचे की एककोशिकीय स्तर हैहै। इसमें कुछ स्थानों पर स्क्लेरेनकाइमा कोशिकाओं के समूह पाये जाते हैं, जो प्रोटोजायलम के पास स्थित होते हैं ।
  • संवहन पूल - ये द्विबीजपत्री जड़ के ही समान अरीय क्रम में व्यवस्थित होते हैं, लेकिन इनकी संख्या बहुत अधिक होती है। ये एक्सार्च होते हैं। इनके फ्लोएम में चालनी नलिकाएँ तथा सहकोशिकाएँ उपस्थित, लेकिन फ्लोएम पैरेनकाइमा अनुपस्थित होती है।
  • संयोजी ऊतक - जाइलम तथा फ्लोयम के बीच मृदूतकी कोशिकाओं का बना संयोजी ऊतक पाया जाता है।
  • पिथ - मक्के की जड़ में मज्जा विकसित रूप में पाया जाता है। 

पार्श्व मूलों की उत्पत्ति 

जड़ों में पार्श्व शाखाओं की उत्पत्ति अन्तर्जात अर्थात् आन्तरिक ऊतकों से होती है। वास्तव में पार्श्व जड़ों की उत्पत्ति मातृ जड़ की पेरिसाइकिल से होती है जो पार्श्व शाखा के निर्माण के समय विभज्योतक कोशिकाओं का कार्य करने लगती है। 

प्रोटोजायलम के अभिमुख पायी जाने वाली पेरिसाइकिल कोशिकाएँ विभाजन का गुण ग्रहण कर विभिन्न तलों में विभाजित होकर कुछ परतों का निर्माण कर लेती हैं। 

ये परतें अन्तस्त्वचा को बाहर ढकेलती हैं तथा कॉर्टेक्स के बीच से होकर वृद्धि करने लगती हैं और तीन भागों- डर्मेटोजेन, पेरीब्लेम एवं प्लीरोम में विभेदित होकर जड़ के विविध भागों का निर्माण करती हैं। इसी समय अन्तरत्वचा तथा कॉर्टेक्स की कुछ कोशिकाएँ मिलकर मूल टोप का निर्माण कर देती हैं। 

तने की आन्तरिक संरचना

तने की आन्तरिक संरचना में निम्नलिखित विशेषताएँ पायी जाती हैं - 

  • इसकी बाह्यत्वचा के चारों तरफ क्यूटिकल का आवरण होता है।
  • बाह्यत्वचा पर पाये जाने वाले रोम बहुकोशिकीय होते हैं।
  • इनके संवहन पूल संयुक्त (अर्थात् जायलम तथा फ्लोएम एक ही त्रिज्या पर एक-दूसरे से जुड़े हुए), कोलेटरल (एक ही त्रिज्या पर फ्लोएम बाहर की तरफ तथा जायलम अन्दर की तरफ), बाइकोलेटरल (एक ही त्रिज्या पर जायलम बीच में तथा बाहर व अन्दर की तरफ फ्लोएम) तथा कभी-कभी संकेन्द्री (इसमें जायलम और फ्लोएम में से एक, दूसरे को घेरे रहता है) होते हैं।
  • इनका जाइलम एण्डार्क (प्रोटोजायलम केन्द्र तथा मेटाजायलम परिधि की ओर स्थित) होता है। 

1 द्विबीजपत्री तने की आन्तरिक संरचना

यदि हम सूर्यमूखी के तने की आन्तरिक संरचना को देखें तो इसमें निम्नलिखित रचनाएँ दिखाई देती हैं।

1. बाह्यत्वचा- यह सबसे बाहरी एककोशिकीय स्तर है, जिस पर क्यूटिकल पायी जाती है। इस पर कहीं-कहीं बहुकोशिकीय रोम तथा स्टोमेटा पाये जाते हैं।

2. कॉर्टेक्स - यह बाह्यत्वचा के नीचे की स्तर है, जो तीन स्तरों की बनी होती है - 

  • अधस्त्वचा – यह कोलेनकाइमेट्स कोशिकाओं की 3 से 5 परतों की बनी होती है। इन कोशिकाओं में अन्तरकोशिकीय अवकाश अनुपस्थित तथा हरितलवक उपस्थित होता है।
  • सामान्य कॉर्टेक्स  – यह अधस्त्वचा के नीचे स्थित होता है तथा अन्तराकोशिकीय अवकाशों युक्त मृदूतकी कोशिकाओं का बना होता है।
  • अन्तस्त्वचा - यह कॉर्टेक्स की आन्तरिक एक कोशिकीय स्तर है, जो ढोलक के समान कोशिकाओं की बनी होती है, जिसमें स्टार्च कण पाये जाते हैं। इसमें कैस्पेरियन स्ट्रिप स्पष्ट दिखाई देती है।

3. पेरिसाइकिल - यह परत मृदूतकी तथा दृढ़ोतक कोशिकाओं के एकान्तर क्रम में व्यवस्थित होने से बनती है और अन्तस्त्वचा के नीचे स्थित होता है। है

4. संवहन पूल - इनके सम्वहन पूल संयुक्त, कोलेटरल, खुले तथा एक घेरे में व्यस्थित होते हैं। इनका प्रत्येक संवहन पूल जायलम, फ्लोएम तथा कैम्बियम का बना होता है। इनका जायलम वेसेल्स, ट्रैकीड, काष्ठतन्तु तथा काष्ठ मृदूतक का बना होता है। 

जबकि फ्लोएम चालनी नलिकाओं, सखि कोशिकाओं तथा मृदूतक कोशिकाओं का बना होता होता है। इनके जाइलम तथा फ्लोएम के बीच में पतली भित्ति वाली कोशिकाओं की एक पट्टी पायी जाती है, जिसे कैम्बियम कहते हैं।

5. पिथ - तने के मध्य में मृदूतकी कोशिकाओं का बना पिथ पाया जाता है। 

एकबीजपत्री तने की आन्तरिक संरचना 

मक्का सामान्य रूप से पाया जाने वाला एकबीजपत्री पादप है, जिसके अनुप्रस्थ काट में निम्नलिखित संरचनाएँ दिखाई देती हैं। 

1. बाह्यत्वचा - इसमें क्यूटिकल उपस्थित, लेकिन रोम अनुपस्थित होते हैं। 

2. अधस्त्वचा - बाह्यत्वचा के नीचे दृढ़ोतकी कोशिकाओं की 2 से 4 परतें पायी जाती हैं, जिन्हें अधस्त्वचा या हाइपोडर्मिस कहते हैं।

3. भरण ऊतक – यह मृदूतकी, अन्तराकोशिकीय अवकाश युक्त कोशिकाओं का बना भाग है, जो अधस्त्वचा से लेकर तने के केन्द्र तक फैला होता है।

4. संवहन फूल - इसके भरण ऊतक में बहुत से संयुक्त, कोलेटरल तथा बन्द संवहन पूल बिखरे होते हैं, अर्थात् इनमें कैम्बियम का अभाव होता है। प्रत्येक संवहन पूल के चारों तरफ स्कलेरेनकायमा कोशिकाएँ पायी जाती हैं। इनका संवहन पूल जायलम तथा फ्लोएम का बना होता है। 

इसका जायलम वेसल्स, ट्रैकीड्स तथा जायलम मृदूतक का बना होता है, जबकि फ्लोएम चालनी नालिकाओं तथा सखि कोशिकाओं का बना होता है। एकबीजपत्री तनों में फ्लोएम पैरेनकायमा नहीं पायी जाती है। एकबीजपत्री तने में मज्जा का अभाव होता है।

पत्तियों की आन्तरिक संरचना

आन्तरिक संरचना के आधार पर पत्तियाँ दो प्रकार की होती हैं - (1) पृष्ठाधारी (द्विवीजपत्री) एवं (2) समद्विपार्श्विक (एकबीजपत्री) 

1. पृष्ठाधारी पत्ती की आन्तरिक संरचना 

वे पत्तियाँ जिनकी ऊपरी तथा निचली सतह में संरचनात्मक भिन्नता पायी जाती है, पृष्ठाधारी पत्ती कहलाती है। द्विवीजपत्री पादपों में इसी प्रकार की पत्तियाँ पायी जाती हैं। आम एक सामान्य द्विवीजपत्री पौधा है, जिसकी संरचना निम्नानुसार होती है।

ऊपरी बाह्यत्वचा – यह एक कोशिकीय स्तर मोटी पैरेनकाइमेट्स कोशिकाओं की बनी होती है, जिसमें क्लोरोप्लास्ट तथा स्टोमेटा नहीं पाये जाते, लेकिन उनकी बाहरी सतह पर क्यूटिकल का एक आवरण पाया जाता है। इनकी कोशिकाएँ ढोलक के समान तथा एक-दूसरे से सटी होती हैं।

निचली बाह्यत्वचा – यह एक कोशिकीय मोटी निचली स्तर है, जिसकी संरचना बाह्यत्वचा के समान होती है, लेकिन इस स्तर में कुछ विशेष प्रकार के छिद्र पाये जाते हैं जिन्हें रन्ध्र कहते हैं, ये वाष्पोत्सर्जन तथा वायु के आदान-प्रदान में भाग लेते हैं। स्टोमेटा एक कक्ष में खुलते हैं जिसे श्वसन कक्ष कहते हैं।

पर्ण मध्योतक - ऊपरी तथा निचली त्वचा के बीच के ऊतक को पर्णमध्योतक कहते हैं। इनमें बाह्यत्वचा से लगे अन्तराकोशिकीय अवकाश विहीन तथा हरितलवक युक्त ऊतक पाये जाते हैं, जिन्हें खम्भ मृदूतक कहते हैं। 

ये प्रकाश-संश्लेषण में भाग लेते हैं। इन ऊतकों के नीचे के ऊतक की कोशिकाएँ अण्डाकार अन्तराकोशिकीय अवकाश तथा हरितलवक युक्त स्पॉन्जी मृदूतक कहते हैं।

संवहन पूल - पत्तियों में संवहन पूल स्पॉन्जी मृदूतक में बिखरे रहते हैं। जिन पत्तियों में मध्यशिरा पायी जाती है, उनकी मध्यशिरा का संवहन पूल सबसे बड़ा होता। उनके संवहन पूल कोलेटरल तथा बन्द प्रकार के होते हैं तथा उनके चारों तरफ मृदूतकी कोशिकाओं का एक आवरण पाया जाता है। 

जिसे बण्डल छाद कहते हैं। इनका जायलम ट्रैकीड़, वेसेल्स, काष्ठतन्तु तथा जायलम पैरेनकाइमा का बना होता है तथा जल एवं खनिज लवणों का संवहन करता है। इनका फ्लोएम चालनी नलिकाओं, सखि कोशिकाओं तथा फ्लोएम पैरेनकाइमा का बना होता है। 

फ्लोएम भोज्य पदार्थों के संवहन का कार्य करता है। इनका जायलम बाह्यत्वचा की ओर तथा फ्लोएम नीचे की ओर स्थित होता है, जायलम का प्रोटोजायलम भी बाह्यत्वचा की ओर ही स्थित होता है। इसके संवहन पूल के ऊपर तथा नीचे पैरेनकाइमा अथवा कोलेनकाइमा की कोशिकाएँ बाह्यत्वचा तक स्थित होती हैं।

2. समद्विपार्श्विक पत्ती की आन्तरिक संरचना

वे पत्तियाँ जिनकी ऊपरी तथा निचली दोनों परतें संरचना की दृष्टि से समान होती हैं। समद्विपाविक पत्तियाँ कहलाती हैं। एक बीजपत्री पादपों में इसी प्रकार की पत्तियाँ पायी जाती हैं। मक्का एक सामान्य एकबीजपत्री पौधा है जिसकी पत्ती के अनुप्रस्थ काट में निम्नलिखित संरचनाएँ दिखायी देती हैं-

बाह्यत्वचा  - इसकी संरचना द्विबीजपत्री पत्ती के समान होती हैं, लेकिन इसकी दोनों ऊपरी तथा निचली स्तरों में क्यूटिकल तथा स्टोमेटा पाये जाते हैं। इसकी बाहरी त्वचा में कुछ बड़ी विशेष कोशिकाएँ पायी जाती हैं, जिन्हें बुलीफार्म कोशिका कहते हैं।

वाष्पोत्सर्जन की दर तीव्र होने पर ये कोशिकाएँ, स्फीति दशा त्यागकर बाह्य सतह पर मुड़ जाती हैं, जिससे वाष्पोत्सर्जन की दर कम हो जाती है।

पर्ण मध्योतक - इनका पर्ण मध्योतक पैलीसेड तथा स्पॉन्जी स्तरों में विभेदित न होकर एक समान समव्यासी, हरितलवक युक्त कोशिकाओं का बना होता है जिनके अवकाश अपेक्षाकृत छोटे होते हैं।

संवहन पूल - इनके पर्ण मध्योतक में कोलेटरल तथा बन्द प्रकार के संवहन पूल एक-दूसरे के समानान्तर स्थित होते हैं। इनमें बण्डल छाद पाया जाता है जो पैरेनकाइमा कोशिकाओं का बना होता है।

बण्डलच्छाद कोशिकाओं में मण्डकण पाये जाते हैं। इनके संवहनपूल में जायलम ऊपर तथा पलोएम नीचे की ओर स्थित होता है। बण्डल तथा बाह्यत्वचा के बीच में स्क्लेरेनकायमेट्स कोशिकाएँ स्थित होती हैं।

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